जानिए, कैसे लॉकडाउन ने बचाई लोगों के साथ देश की इकॉनमी पर पश्चिम के देशों में न जान बची न Economy

शुरुआती लॉकडाउन ने किया भारत को कोरोना से लड़ने को तैयार, अब मिलेगी अर्थव्यवस्था को रफ्तार

लॉकडाउन

(pc-amar ujala)

वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के चलते विश्व के लगभग सभी देशों की अर्थव्यवस्था की गाड़ी पटरी से उतरी हुई है। कुछ ऐसा ही हाल भारत का भी है लेकिन खास बात ये है कि इस मामले में भारत की अर्थव्यवस्था नीचे जाने के बाद अब बहुत तेजी से दोबारा आगे बढ़ने लगी है जिसके बाद ये आशाएं जग रही हैं कि जल्द ही देश की अर्थव्यवस्था की गाड़ी पुनः पटरी पर आ जाएगी। दिलचस्प ये भी है कि भारत की अर्थव्यवस्था पर लॉकडाउन के चलते चोट पड़ी लेकिन कोरोनावायरस से लड़ने में इतनी बड़ी जनसंख्या होने के बावजूद भारत सफलता की सूची में अव्वल देशों में शामिल है, जबकि विश्व के कई समृद्ध देश अर्थव्यवस्था पर चोट होने के साथ ही लोगों के जीवन को भी नहीं बचा सके हैं।

देश में विपक्ष लगातार लॉकडाउन के कारण गिरी अर्थव्यवस्थआ के लिए प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार पर हमला बोलता रहा है। इसमें कोई शक भी नहीं है कि भारत को लॉकडाउन के कारण काफी नुकसान हो चुका है और देश की अर्थव्यवस्था भी इसी कारण नकारात्मक स्थिति में भी है, लेकिन लॉकडाउन का मकसद अर्थव्यवस्था से ज्यादा कोरोना से जिंदगिया बचाने का था और बजट से पहले आए आर्थिक सर्वेक्षण इस बात की तस्दीक भी कर रहे हैं कि भारत ने कोरोना जैसी महामारी को पश्चिमी देशों से ज्यादा बेहतरीन तरीके से हैंडल किया है।

इस मुद्दे पर आर्थिक सर्वेक्षण के संसद में पेश होने के बाद देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने बताया कि समय से पहले लॉकडाउन लगाने के कारण हमने देश में लोगों के जीवन को बचाने में सफलता पाई है। कोरोना से निपटने की नीति पर उन्होंने कहा, “कोरोना से लड़ाई में हमारी नीति थी कि गिरी हुई अर्थव्यवस्था से आसानी से उबर जाएंगे, लेकिन लोगों के जीवन को बचाना बेहद ही आवश्यक है।” उन्होंने कहा, “जब इतिहास भारत को इस दशक की सबसे बड़ी महामारी से लड़ने के मुद्दे पर मूल्यांकन करेगा, तो अर्थव्यवस्था को परे रखकर लिया गया भारत का फैसला एक साहसिक कदम के रूप में जाना जाएगा।”

उन्होंने कहा कि भारत ने इस वैश्विक महामारी को रोकने में बेहतरीन सफलता पाई है और आंकड़े इस बात की गवाही भी दे रहे है। आर्थिक सर्वेक्षण के आधार पर भारत की जीडीपी 2020-2021 में करीब – 7.7 रहेगी। वहीं 2021-22 के वित्त वर्ष में ये जीडीपी 11 फीसदी की दर से दोबारा पटरी पर लौटेगी। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने भारत की जीडीपी ‘V’ शेप में सुधरने की संभावना जताई है जो कि एक बेहद ही सकारात्मक दिशा की ओर ले जाने वाली नीति को दर्शाता है।  ठीक उन्हीं की ही तरह भारत की अर्थव्यवस्था के अनुमान पर सभी आर्थिक अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भारत को 9-11 प्रतिशत की वृद्धि दे रही है।

कोरोनावायरस जैसी वैश्विक महामारी के मुद्दे पश्चिमी देशों की बात करें तो अमेरिका से लेकर ब्रिटेन और इटली से लेकर फ्रांस सभी की स्थिति बेहद खराब रही है। अमेरिका ने अर्थव्यवस्था को बचाने के नाम पर लॉकडाउन न करने का निर्णय लिया और आज स्थिति ये है कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था सबसे बुरी हालत में है। इसी तरह वहां दुनिया में सबसे ज्यादा कोरोनावायरस के मरीज हैं। अमेरिका समेत पश्चिमी देश इस दौर में ऐसी स्थिति में जा चुके हैं कि उन्हें ‘न माया मिली न राम’।

इन सबसे इतर भारत ने जीवन को प्राथमिकता देते हुए अर्थव्यवस्था की ढलान को नजरंदाज कर दिया और लॉकडाउन लगाया। नतीजा आज सामने है कि जीवन को बचाकर भारत की अर्थव्यवस्था अब जब दोबारा रफ्तार पकड़ने की तैयारी में है और पश्चिमी देश जान और माल दोनों से ही हाथ धो चुके हैं।

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