किसान आंदोलन के कारण, BJP हरियाणा पर मंडराने लगे हैं खतरे के बादल!

BJP हरियाणा पर गहराया सत्ता का संकट

किसान आंदोलन के कारण एक तरफ जहां पंजाब हरियाणा और दिल्ली समेत पूरे NCR में अराजकता और उथल-पुथल की स्थिति है, कुछ वैसी ही उथल-पुथल हरियाणा की NDA सरकार में भी है। उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और उनके विधायकों पर लगातार दबाव बढ़ रहा है जिसके चलते हरियाणा सरकार गिर सकती है। इसीलिए BJP के लिए जरूरी है कि वो जल्द से जल्द इस स्थिति को संभाले वरना परिणाम बुरे हो सकते हैं।

हरियाणा सरकार को लेकर पहले भी दुष्यन्त चौटाला कई बार रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मिल चुके थे और स्थितियों को सामान्य करने की कोशिश कर चुके हैं। इसी बीच जेजेपी ने मंगलवार को नई दिल्ली में विधायकों व पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है। इस बैठक के बाद दुष्यंत JJP विधायकों के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर सकते हैं, क्योंकि उनकी राजनीतिक जमीन के कारण उन पर दबाव बढ़ रहा है।

इसके इतर दूसरी ओर मुख्य्मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी निर्दलीय विधायकों से लंच पर मुलाकात की थी और समर्थन को लेकर लंबी बातचीत की थी। ऐसे में अब ये खबरें हैं कि मनोहर लाल खट्टर भी दुष्यंत चौटाला और जेजेपी विधायकों की भांति अमित शाह की मुलाकात में शामिल हो सकते हैं जिससे किसानों के मुद्दे पर फंसा हरियाणा सरकार के पेंच पर कुछ किया जा सके।

गौरतलब है कि करनाल के किसानों के विरोध के कारण मुख्यमंत्री को काफी रोष झेलना पड़ा था, यद्यपि वो विपक्ष समर्थित ही था लेकिन अब खट्टर डिप्लोमेसी करने लगे हैं जो कि सकारात्मक स्थिति हैं।

हरियाणा की एनडीए सरकार पर विपक्ष कि नजरें पहले ही काफी बुरी रही हैं। बीजेपी की विधानसभा में अकेले अल्पमत की स्थिति में हैं। ऐसे किसानों के मुद्दे पर विपक्ष लगातार दुष्यंत चौटाला और जेजेपी कै नेताओं को कोस रहा है। साथ ही दुष्यंत चौटाला को पर्दे के पीछे से लुभाने की कोशिशें भी कांग्रेस द्वारा की जा रही हैं, जिससे किसान आंदोलन में हरियाणा की एनडीए सरकार की बलि दे दी जाए।

दुष्यंत चौटाला फिलहाल तो बीजेपी के साथ खड़े होने की बातें करते रहे हैं जिससे गठबंधन बना रहे। हालांकि वो भी ये चाहते हैं किसान का ये मुद्दा जल्द से जल्द खत्म हो क्योंकि विधायक उन पर भी दबाव बना रहे है। इस स्थिति में विपक्ष की नीयत और गठबंधन में ढीलापन बीजेपी को नुक्सान पहुंचा सकती है जिसके चलते सक्रियता दिखाने की अधिक आवश्यकता है, जिसकी स्थिति बीजेपी के चाणक्य और गृह मंत्री अमित शाह ने समझ ली और वो एक्शन में भी आ गए हैं।

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