वर्ष 2020 बेशक मानवता के लिए एक बड़े झटके का रूप लेकर आया हो, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने इस वर्ष कूटनीति और विदेश नीति के क्षेत्र में नया कीर्तिमान रचा है। विदेश नीति के लिहाज़ से वर्ष 2020 भारत के लिए बेहद सफ़ल और प्रभावी वर्ष रहा। भारत की सॉफ्ट पावर में बेशक बढ़ोतरी हुई है और वैश्विक पटल पर भारत एक बड़ी एवं प्रभावी शक्ति बनकर उभरा है। कोरोना महामारी को हराने से लेकर लद्दाख में चीन की आक्रामकता का मुंह तोड़ जवाब देने तक, भारत ने अपने आप को एक वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित किया है।
वर्ष 2020 virtual diplomacy का साल रहा। PM मोदी इस साल एक भी विदेश दौरे पर नहीं जा पाये। आखिर बार वे वर्ष 2019 में दिसंबर महीने में ब्राज़ील के दौरे पर गए थे। हालांकि, इसके बावजूद पीएम मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत के विदेश मंत्रालय की उत्पादकता पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ने दिया।
साल के शुरुआत में आ धमके चीनी वायरस के कारण भारत और बाकी देशों ने अपने आप को बाकी दुनिया से अलग-थलग कर लिया। Flights पर पाबंदी लगा दी गयी, बॉर्डर सील कर दिये गए और नए वीज़ा जारी करने बंद कर दिये गए। फिर भारत सरकार ने चलाया ऐतिहासिक “वंदे-भारत” मिशन, जिसके तहत अब तक 9 चरणों में करीब 6500 flights चलाकर 10 लाख भारतीयों को सकुशल भारत में लाया जा चुका है। भारतीय विदेश मंत्रालय के इस operation से दुनिया ने इस बात का लोहा माना कि विदेश में रहने वाले एक-एक भारतीय की जान की कीमत भारत सरकार बखूबी समझती है।
इधर घर में भी भारत सरकार कोरोना को काबू में सफल करने में सक्षम रही और दुनिया के उन सभी experts को गलत साबित किया, जो कोरोना के कारण भारत में तबाही आने की भविष्यवाणी कर रहे थे। प्रत्येक 1 मिलियन की आबादी पर कोरोना से मौत होने के मामलों के पैमाने पर भारत दुनिया के अमीर-तरीन देशों को मात देता है। भारत में प्रत्येक 10 लाख लोगों में कोरोना के कारण सिर्फ 107 लोगों की मौत हुई है, जबकि अमेरिका में यह आंकड़ा 1 हज़ार से ऊपर का है।
कोरोना को सफलतापूर्वक हराकर भारत ने दुनिया को यह संदेश भेजा है कि भारत कोरोना जैसी किसी भी महामारी से निपटने में तथाकथित First World Countries से कई गुना बेहतर है।
वर्ष 2020 साल, वही साल था जब दुनिया को भारत की सैन्य शक्ति का एक बार फिर अहसास हो गया। अपने घरेलू मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए जब चीन ने लद्दाख में भारत के खिलाफ आक्रामकता दिखाना शुरू किया, तो भारतीय सेना ने चीन को हैरान कर दिया। 15 जून को गलवान घाटी में भारत के सैनिकों ने अपनी जान की बाजी लगाकर 50 से ज़्यादा चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। लद्दाख में चीन द्वारा हज़ार पैंतरे अपनाने के बावजूद अभी भारत बेहतर स्थिति में है। चीन के साथ संघर्ष के दौरान ही भारत ने लद्दाख की black top और helmet top जैसी चोटियों को अपने कब्जे में ले लिया, जो कि वर्ष 1965 के युद्ध के बाद से unoccupied थीं। 2020 में चीन को भलि-भांति अहसास हो गया कि भारत में मोदी सरकार से निपटना उतना आसान नहीं है, जितना कि UPA के दौरान हुआ करता था।
लद्दाख में चीन के हमले के जवाब में भारत ने चीन के खिलाफ एक व्यापार युद्ध और tech war भी छेड़ दी। इसी वर्ष भारत ने चीन के सैकड़ों Apps को प्रतिबंधित कर दिया और चीनी निवेश के खिलाफ एक के बाद एक बड़े फैसले लेने शुरू कर दिये। लद्दाख में भारतीय सेना के पराक्रम और नई दिल्ली में मोदी सरकार के सख्त रुख के कारण ही यह संभव हो पाया कि भारत के खिलाफ आक्रामकता दिखा रहा चीन अब पिछले छः महीनों से भारत के साथ बातचीत करने पर मजबूर हुआ है, और गलवान घाटी जैसे वाकये को दोहरा नहीं पाया है।
रणनीतिक तौर पर भी भारत ने वर्ष 2020 में कई बड़े कदम उठाए। भारत ने इसी साल चीन विरोधी Quad समूह में अपनी सक्रियता को बढ़ा दिया। एक तरफ जहां Malabar Exercise में USA और जापान के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया को भी आधिकारिक न्यौता दे दिया गया, तो वहीं कोरोना के बावजूद जापान में जाकर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने बाकी तीन समकक्षों के साथ बैठक की और “Free and open Indo-Pacific” के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को ज़ाहिर किया। इसी वर्ष भारतीय नौसेना ने भी दक्षिण चीन सागर में अपना एक युद्धपोत तैनात कर चीन को यह संदेश भेज दिया कि अब भारत सिर्फ सुरक्षात्मक नीति नहीं अपनाएगा, बल्कि अब वह चीन की आक्रामकता का जवाब देने के लिए दक्षिण चीन सागर में अपनी मौजूदगी बढ़ाएगा।
भारत की Indo-Pacific नीति में रूस और जापान जैसे देशों के लिए सबसे अहम स्थान रहा है। वर्ष 2020 में भारत ने रूस और जापान को साथ लाने के लिए रूस के Far East में जापान के साथ मिलकर निवेश करने का प्रस्ताव सामने रखा था। भारत ने इसके माध्यम से यह संदेश दिया था कि वह रूस और जापान के बीच सम्बन्धों को सामान्य कराने के पक्ष में है, ताकि चीन के खिलाफ एकजुट होकर रणनीति बनाई जा सके।
भारत ने वर्ष 2020 में दुनिया में पाकिस्तान की हैसियत को और बौना कर दिया है। अरब देशों के साथ लगातार रणनीतिक साझेदारी बढ़ाकर भारत ने पाकिस्तान की प्रासंगिकता को खत्म कर दिया है। अरब देश अब ना सिर्फ पाकिस्तान से अपना सारा कर्ज़ वापस ले रहे हैं, बल्कि UAE ने तो अपने देश में पाकिस्तानियों की एंट्री पर ही पाबंदी लगा दी है। 2020 वही साल था जब जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों ने पाकिस्तान को किसी भी प्रकार की सैन्य सहायता देने से साफ़ मना कर दिया था। बता दें कि पाकिस्तान के पास बड़ी संख्या में फ्रांस के मिराज फाइटर जेट्स हैं, जिन्हें अब upgrade की आवश्यकता है। हालांकि, भारत का दोस्त फ्रांस पाकिस्तान को किसी भी प्रकार की मदद प्रदान करने से साफ़ मना कर चुका है।
वर्ष 2020 में भारत ने इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ भी दुनिया को एक कड़ा संदेश भेजा। इस्लामिस्म के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए जब फ्रांस के राष्ट्रपति Macron तुर्की के राष्ट्रपति एरदोगन समेत पाकिस्तानी PM इमरान खान के निशाने पर आए, तो वह भारत ही था जिसने सबसे पहले अपने दोस्त फ्रांस का हाथ थामा! भारत की मोदी सरकार ने फ्रांस को खुला समर्थन दिया और आतंक के खिलाफ लड़ाई में साथ खड़ा होने का वादा किया। इतना ही नहीं, अब फ्रांस भारत की Indo-Pacific नीति में भी सक्रिय भूमिका निभाने जा रहा है। फ्रांस हाल ही में Indian Ocean Rim Association का भी सदस्य बना है, जिसके बाद हिन्द महसागर क्षेत्र में वह और ज़्यादा सक्रियता के साथ चीन के प्रभाव को खत्म करने के अपनी भूमिका निभाएगा।
वर्ष 2020 में भारत ने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों और ऑस्ट्रेलिया के साथ भी अपने साझेदारी को और मजबूत किया है। भारत अभी दक्षिण अमेरिका में अर्जेन्टीना और ब्राज़ील जैसे देशों के साथ व्यापार समझौते के लिए वार्ता कर रहा है। साथ ही अफ्रीका में भी भारत अपनी कूटनीतिक पहुँच को बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। वर्ष 2020 में भारत ने अफ्रीका में 18 नए दूतावास खोले, जिनमें से 9 तो फरवरी महीने में ही खोले गए थे।
भारत ने 2020 में अपने पड़ोस में भी अपने प्रभाव को कई गुना बढ़ाया है। श्रीलंका को भारत दोबारा चीन के प्रभाव से बाहर निकालने में कुछ हद तक सफ़ल रहा है। इसके अलावा इसी वर्ष भारत ने ऐलान किया था कि वह म्यांमार में 6 बिलियन डॉलर के निवेश से एक oil refinery को स्थापित करेगा। नेपाल में भारत-विरोधी ओली सरकार अब पहले ही धूल चाट रही है, और बांग्लादेश के साथ भी भारत अपने कूटनीतिक रिश्ते और बेहतर कर रहा है।
वर्ष 2020 में भारत ने यह साबित कर दिखाया है कि कैसे सीमित संसाधनों के साथ भी कोई देश वैश्विक स्तर पर अपनी छाप छोड़ने की क्षमता रखता है। पीएम मोदी और एस जयशंकर के कुशल नेतृत्व ने इस वर्ष भारत की कूटनीति को नया आयाम दिया है।