पहले झूठ फैलाओ, फिर उस झूठ का बचाव करो, और जब इसके बाद भी आप कार्रवाई से न बच पाएँ, तो आपकी पैरवी के लिए पूरा कुनबा घड़ियाली आँसू बहाने के लिए तैयार तो है ही। कुछ ऐसा ही विचित्र नजारा देखने को मिला जब लाल किले पर हुए हमले के दौरान अपनी भ्रामक रिपोर्टिंग के लिए राजदीप सरदेसाई को न केवल इंडिया टुडे से ऑफ एयर होना पड़ा, बल्कि इंडिया टुडे से उनकी विदाई भी लगभग तय है। इसके साथ ही राजदीप सहित कई अन्य पत्रकारों पर हिंसा को भड़काने के आरोप में यूपी पुलिस ने FIR दर्ज की है।
लेकिन राजदीप पर ऐसी कार्रवाई हो और वामपंथी जगत एकदम खामोश हो जाए, ऐसा सोचना भी हास्यास्पद है। क्या नेता क्या पत्रकार, सभी राजदीप के साथ हुए इस ‘अन्याय’ पर दहाड़ें मार मार के रोने लगे। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने तो मानो अश्रुधारा बहाते हुए राजदीप सहित अन्य पत्रकारों पर हुए FIR हटाने की मांग की।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के बयान के अनुसार, “जिस तरह से FIR दायर की गई है, उससे स्पष्ट होता है कि पत्रकारों को अपना काम करने के लिए निशाने पर लिया जा रहा है। मीडिया लोकतंत्र की एक स्वतंत्र रक्षक होनी चाहिए, लेकिन यह FIR मीडिया के इसी व्यक्तित्व पर हमले के समान है। हमारी मांग है कि राजदीप, मृणाल पाण्डे इत्यादि पर दायर FIR तुरंत वापस लिए जाएँ।”
ये वही एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया है, जो अर्नब गोस्वामी की गिरफ़्तारी और उसपर हो रहे अत्याचारों को उचित ठहराने में जुटी हुई थी। लेकिन जब राजदीप पर दिल्ली पुलिस के कर्मचारियों की जान को खतरे में डालने के लिए यूपी पुलिस ने आड़े हाथों लेने का निर्णय किया, तो एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया को अपने सभी आदर्श याद आने लगे। हिपोक्रेसी को भी अपनी हरकतों से शर्मिंदा महसूस कराना कोई इनसे सीखे।
लेकिन ये तो मात्र प्रारंभ था, क्योंकि कुछ राजनेताओं को राजदीप पर कार्रवाई से ऐसा धक्का लगा, मानो उनके अपने को किसी ने बिना बात के जमकर कूटा हो। कार्ति चिदंबरम को इंडिया टुडे पर इतना गुस्सा आया कि उन्होंने इंडिया टुडे के लिए जमकर अपशब्द निकाले –
@IndiaToday! *#***&
— Karti P Chidambaram (@KartiPC) January 28, 2021
ममता बनर्जी को तो राजदीप पर हो रही कार्रवाई से विशेष आघात पहुंचा, और ट्विटर पर उन्होंने अपनी भड़ास निकालते हुए लिखा, “मैं राजदीप सरदेसाई के साथ जो कुछ भी हो रहा है, उससे काफी स्तब्ध हूँ। इससे भी ज्यादा हैरानी की बात है कि कैसे मीडिया के कई लोग इस विषय पर मौन है। हमें इस लोकतान्त्रिक सिस्टम में रहकर इसके विरुद्ध अपनी आवाज उठानी चाहिए। मीडिया हमारे लोकतंत्र का एक बहुत अहम भाग है” –
I am shocked at what is happening to senior journalist @sardesairajdeep
It is also surprising how most in the media are silent on this issue. In our democratic system we must raise our voice. The media is an important pillar of our democracy— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) January 29, 2021
यही नहीं, द वायर के सिद्धार्थ वरदराजन भी राजदीप के विरुद्ध हो रही कारवाई के विरुद्ध उबल पड़े। ‘महोदय’ ने ट्वीट किया, “निंदनीय! शशि थरूर, राजदीप सरदेसाई, ज़फ़र आगा, मृणाल पाण्डे इत्यादि के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जाता है। आखिर क्यों? इसलिए क्योंकि उन्होंने बस रिपोर्ट किया था कि एक किसान को गोली लगी है?” –
Outrageous! A Sedition case against @ShashiTharoor, @sardesairajdeep, @MrinalPande1, @zafaragha70, @vinodjose, @anantnath and Others has been filed by UP police. Why? For tweets that reported the claim of farmers that one of their folks had been shot! https://t.co/PuoL92VY4w
— Siddharth (@svaradarajan) January 29, 2021
अब सिद्धार्थ बाबू को कौन समझाए कि इन लोगों को बगिया से आम चुराने के लिए नहीं, बल्कि अराजक तत्वों को भड़काने, 300 से अधिक दिल्ली पुलिस के कर्मचारियों को चोटें पहुंचाने के लिए यूपी पुलिस ने कार्रवाई की है। लेकिन ये प्रतिक्रिया केवल और केवल वामपंथियों की कुंठा को ही जगजाहिर करता है, क्योंकि वे अब भी इस बात को पचा नहीं पा रहे हैं कि उनसे सबसे प्रिय पत्रकारों में से एक पर इंडिया टुडे और सरकार दोनों ने ताबड़तोड़ कार्रवाई की है। इनके व्यवहार को देख इनपे एक ही कहावत फिट बैठती है – खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे।