महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार और खासकर शिवसेना हर उस शख्स से नफरत करते हुए हमला बोलने की नीति अपना रही है, जो कि अपने अच्छे कर्मों से सीएम उद्धव ठाकरे की सरकार से ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं। इसी कड़ी में एक नाम बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद का भी है। सोनू सूद ने कुछ भी नहीं किया, उनकी गलती बस इतनी है कि वो लोगों का भला कर रहे थे, जिससे जनता सरकार से ज्यादा सोनू को पसंद करने लगी। नतीजा ये कि शिवसेना शासित बीएमसी ने सोनू सूद के घर की बिल्डिंग के हिस्सों को अवैध बता दिया, लेकिन सोनू के दांव में बीएमसी ही फंसती जा रही है।
सोनू सूद की एक बिल्डिंग के निर्माण पर बीएमसी ने नोटिस दिया तो सोनू बॉम्बे हाईकोर्ट चले गए। इस नोटिस पर स्टे लगाकर अब हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है। ऐसे में बीएमसी सोनू सूद को टारगेट कर रही है। बीएमसी ने कोर्ट में कहा, “सोनू सूद ने रिहायशी बिल्डिंग को होटल में तब्दील करने की कोशिश की। अब वह इस गलती को छुपाने की कोशिश में जुटे हैं।” बीएमसी ने अपनी नोटिस को सही बताया है। यही नहीं, बीएमसी सोनू सूद के खिलाफ ऐसे बयानबाजी कर रही है जैसे कोई गुंडे या अपराधी हो। बीएमसी ने कहा, “अपील करने वाले शख्स आदतन अपराधी हैं और पैसों के लाभ के लिए अनधिकृत निर्माण कराया है। अब उन्होंने एक बार फिर से निर्माण कार्य कराना शुरू कर दिया है, जबकि इसके लिए उन्होंने लाइसेंस डिपार्टमेंट से कोई अनुमति नहीं ली है।”
बीएमसी का रुख सोनू सूद के खिलाफ तब से बदला हुआ जब से वो लोगों की नजर में मदद करने वाले मसीहा बनकर उभरे हैं। गरीबों की मदद करने से लेकर प्रवासी मजदूरों को अपने शहर वापस भेजने में सोनू की भूमिका सबसे अहम थी जिसके चलते लोग ये कहने लगे थे कि सोनू सूद राज्य सरकार से ज्यादा अच्छा काम कर रहे हैं। इसलिए शिवसेना के मन में सोनू सूद के प्रति नफरत भर गई थी और शिवसेना नेता संजय ने सोनू के प्रति बदजुबानी तक शुरू कर दी थी।
संजय राउत ने अपने सामना के एक लेख में सोनू सूद की आलोचना करते हुए उनके मदद के कार्यों को केंद्र की साजिश से जोड़ा। उन्होंने सामाना में लिखा, “लॉकडाउन के दौरान आचानक सोनू सूद नाम से नया महात्मा तैयार हो गया। इतने झटके और चतुराई के साथ किसी को महात्मा बनाया जा सकता है? कहा जा रहा है कि सोनू सूद ने लाखों प्रवासी मजदूरों को दूसरे राज्यों में उनके घर पहुंचाया। अर्थात् केंद्र और राज्य सरकार ने कुछ भी नहीं किया। इस कार्य के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल ने भी महात्मा सूद को शाबाशी दी।”
इसके बाद शिवसेना और संजय राउत दोनों को आम जनता के गुस्से का सामना भी करना पड़ा था। जिससे उद्धव ठाकरे को भारी शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी। इस घटनाक्रम के कारण संजय राउत और BMC शासित शिवसेना ने इसे नाक की लड़ाई बनाकर सोनू सूद को कैसे भी नीचा दिखाने के लिए हथकंडे अपना रही है।
शिवसेना अब सोनू सूद पर भड़की हुई है और अब उनके घर की बिल्डिंग को होटल बनाने का आरोप लगाकर उन्हें राजनीतिक छींटाकशी के दल-दल में घसीट रही है। कुछ ऐसा ही शिवसेना ने बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के साथ किया था। हालांकि, कंगना का शिवसेना बाल भी बांका नहीं कर पाई थी, वही हाल सोनू का भी होगा।
सोनू सूद ने अपने कार्यों से लोगों के बीच अपने लिए सकारात्मक भावना बना ली है। ऐसे में शिवसेना जितना ज्यादा उन्हें परेशान करने की कोशिश करेगी, जनता के मन में सोनू सूद के प्रति उतना ही सहज भाव होगा। वहीं जनता शिवसेना से पहले से ही नाराज है और उसके ऐसे कार्य तो उसकी एक और नई फजीहत करा ही देंगे।