न्यूज़ीलैंड ने चीन के साथ बढ़ाए अपने सहयोग, अब Australia को भी अपने पाले में लाने का कर रहा प्रयास

ऑस्ट्रेलिया अब चीन के झांसे में नहीं आने वाला, सारे प्रयास होंगे विफल!

न्यूज़ीलैंड

(pc-ABC)

न्यूज़ीलैंड ने चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किया है। इसके बाद न्यूज़ीलैंड की ओर से प्रयास शुरू किया गया है कि वह अपनी तरह ऑस्ट्रेलिया को भी चीन के साथ किसी समझौते की स्थिति में ले आये। न्यूज़ीलैंड के व्यापार मंत्री Damien O’Connor ने कहा है कि “मैं ऑस्ट्रेलिया की ओर से बात नहीं कर सकता और इसपर कुछ नहीं कह सकता कि वे किस तरह अपनी कूटनीति को संचालित करते हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि यदि वे हमारी तरह चलना चाहते हैं और चीन के प्रति सम्मान दिखाते हैं, मुझे लगता है कि समय-समय पर थोड़ी कूटनीति रखते हैं और अपने शब्दों में थोड़ा सतर्क रहते हैं, तो, वे भी, संभवतः हमारे समान स्थिति में हो सकते हैं।”

ऑस्ट्रेलिया इस समय चीन से ट्रेड वॉर जैसी स्थिति का सामना कर रहा है। इसका कारण यह है कि उसने वुहान वायरस की उत्पत्ति के कारणों की निष्पक्ष जाँच करने की मांग उठाई थी। वास्तविकता यह है कि चीन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन को अपनी आर्थिक नीतियों दबदबे से अपने कूटनीतिक दबाव में लाना चाहता था। मॉरिसन जब ऑस्ट्रेलिया में बतौर Treasurer of Australia के रूप में कार्य करते थे तब भी उन्होंने चीन का विरोध किया था।

यहाँ तक कि ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार को गिरफ्तार कर लिया गया, ऑस्ट्रेलिया को चीन की ओर से धमकी भरा पत्र लिखा गया और ऑस्ट्रेलियाई निर्यातों पर चीन ने रोक लगा दी। इसके बाद भी ऑस्ट्रेलिया ने, राष्ट्रवाद की भावना से ओतप्रोत होकर चीन का मुकाबला किया। इसके विपरीत न्यूज़ीलैंड की बात करें तो वह ऑस्ट्रेलिया के बजाए चीन से सहयोग बनाकर चलना चाहता है क्योंकि वहाँ की समाजवादी विचारधारा की Jacinda Ardern सरकार का मानना है कि कोरोना संकट में राष्ट्रवाद निर्रथक विचार है

न्यूज़ीलैंड भी बाकी विश्व की तरह कोरोना के कारण आर्थिक संकट में जूझ रहा है। ऐसे में उसकी नीति है कि चीन के साथ मुक्त व्यापार का समझौता करके कैसे भी आर्थिक संकट से अर्थव्यवस्था को उबारा जाए। किंतु न्यूजीलैंड के अन्य महत्वपूर्ण सहयोगी जैसे ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, UK और अमेरिका अभी तक चीन विरोधी रुख अपनाए हैं।

जहाँ एक ओर UK और ऑस्ट्रेलिया में दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी सरकार हैं, वहीं अमेरिका में भी हाल तक ट्रम्प जैसा नेता शासन कर रहा था। जबकि कनाडा पहले ही हुआवे की Chief Financial Officer की रिहाई को लेकर चीन के साथ टकराव की स्थिति में है। इसके अलावा पांचों देशों के संगठन Five eye group ने भी हांगकांग के मुद्दे पर संयुक्त बयान देकर चीन की आलोचना की थी, जिसपर चीन ने इन देशों को धमकाया भी था

ऐसी स्थिति में केवल न्यूजीलैंड ही एकमात्र ऐसा देश है जो इतने गंभीर टकराव के बाद भी चीन से आर्थिक सहयोग जारी रखना चाहता है। न्यूज़ीलैंड का यह रवैये उसे असहज अवस्था में ले जा रहा है जहाँ आर्थिक नीति और कूटनीतिक संबंध आपस में बिल्कुल तालमेल नहीं रखते। ऑस्ट्रेलिया लंबे समय से लगभग हर पहलू पर न्यूज़ीलैंड जैसी नीतियां लागू करता रहा है। अतः न्यूज़ीलैंड की कोशिश है कि कैसे भी ऑस्ट्रेलिया चीन संबंध में थोड़ा सुधार आये, जिससे five eye group में वह अकेला न दिखाई दे।

गौरतलब है कि 2018 में एक पूर्व CIA अधिकारी ने न्यूज़ीलैंड की इस ग्रुप में विश्वसनीयता और सहयोग को लेकर संदेह जाहिर किया था। तब यह प्रश्न उठा था कि न्यूज़ीलैंड के चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से इतने अच्छे सम्बधों के बाद क्या उसे विश्वसनीय सहयोगी माना जा सकता है? तब से अब के हालात और नाजुक हो चुके हैं। कोरोना के बाद पैदा हुए टकराव के बावजूद, न्यूज़ीलैंड का चीन से आर्थिक समझौता, उसके लिए दुविधा की स्थिति पैदा कर रही है, यही कारण है कि न्यूज़ीलैंड सरकार की कोशिश है कि ऑस्ट्रेलिया को भी अपने ही रास्ते पर लाया जाए।

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