भारत की प्रमुख आतंकवाद रोधी एजेंसी राष्ट्रीय जांच एजेंसी, NIA ने तमिलनाडु में स्थित एक इस्लामिक आतंकवादी मॉड्यूल का खुलासा किया है जिसकी योजना भारत में इस्लामिक शासन स्थापित करने की था। NIA ने इस मॉड्यूल के खिलाफ चार्जशीट दायर की है जो जिहादी संगठन “शहादत हमारा लक्ष्य” से जुड़ा है। एजेंसी के आरोपपत्र के अनुसार, समूह के 10 आतंकवादी हिंसक हमले की योजना बना रहे थे, और उनका अंतिम उद्देश्य भारत में इस्लामी शासन स्थापित करना है।
ANI की एक रिपोर्ट के अनुसार, NIA के एक अधिकारी ने बताया कि, “जांच से यह पता चलता है कि हिंसक जिहादी विचारधारा से इन आरोपियों को कट्टरपंथी बनाया गया था। मुख्य आरोपी शेख दाऊद और मोहम्मद रिफास ने अवैध हथियारों की खरीद कर आतंकी हमलों को अंजाम देने का प्रयास किया था।”
इस समूह के खिलाफ मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 153A और 120B और धारा 15 (c), 17, 18, 19 और 20 के तहत गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 तथा 194 की धारा के तहत FIR संख्या 46/2018 तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले के किलाकरई पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था। यही नहीं उनके खिलाफ शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 25 (1) (ए) भी लगायी गयी थी। इस जिहादी संगठन से संबंधित कुछ आतंकवादियों की गिरफ्तारी से उस नेटवर्क का खुलासा हुआ, जो भारत में इस्लामिक शासन स्थापित करना चाहता था।
इस मामले के मुख्य आरोपी शेख दाऊद और मोहम्मद रिफास ने रमजान 2017 के बाद से तमिलनाडु के विभिन्न स्थानों पर कई बैठकें की, और भारत में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए खुदखुशी की योजना बना रहे थे।
यह सर्वविदित है कि भारत में सक्रिय अधिकांश इस्लामी चरमपंथी समूहों को अंतिम लक्ष्य ग़ज़वा-ए-हिंद है, जिसका अर्थ है इस्लामी शासन के तहत भारत और पाकिस्तान का पुनर्मिलन। ये समूह और संगठन मुगल साम्राज्य से अपनी प्रेरणा और विचारधारा फैलाते हैं, जिसे वे भारतीय उपमहाद्वीप में वापस इस्लाम के सुनहरे दिन देख सके। यह कहने की जरूरत नहीं है कि इन संगठनों का उद्देश्य इस्लामी शासन के तहत हिंदुओं को अपने अधीन करना और उनसे जजिया लेना।
कुछ महीने पहले, पाकिस्तानी क्रिकेटर का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें उसने कहा था कि, “हमारी पवित्र पुस्तकों में ग़ज़वा-ए-हिंद का उल्लेख है। हम पहले कश्मीर पर कब्जा करेंगे और फिर ग़ज़वा-ए-हिंद के लिए हर तरफ से भारत पर आक्रमण करेंगे। ”
“शाहदत ही हमारा लक्ष्य” नाम के इस आतंकवादी मॉडल का खुलासा होने से एक बात स्पष्ट हो गयी है कि भारत में भी एक ऐसा कानून रहे जिससे ऐसी सोच रखने वालों को डी-रेडिकलाइज किया जा सके।