बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सत्ता पर बने रहने की राहें अब मुश्किल दिख रही हैं, इसीलिए अब उन्होंने राजनीति से दूरी बनाने के संकेत देना शुरू कर दिया है। उनका हालिया बयान किसी फेयरवेल स्पीच से कम नहीं है। इसीलिए वो अब अपने काम की तुलना जातिगत रणनीति के पितामह कहे जाने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर से करते हुए खुद को अच्छा नेता बता रहे हैं, और इशारा कर रहे हैं कि उन्हें भी कर्पूरी ठाकुर की तरह ही बीच कार्यकाल में अपने सीएम पद से हटाया जा सकता है।
जेडीयू के अति पिछड़ा विभाग की इकाई द्वारा आयोजित किए गए कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने अपनी तुलना बिहार के जननायक कर्पूरी ठाकुर से कर दी। उन्होंने कहा, “जननायक के साथ अन्याय क्यों हुआ? कर्पूरी ठाकुर जी ने अतिपिछड़ों को आरक्षण दिया। नाराज लोगों ने 2 साल कुछ महीने में ही उन्हें हटा दिया। हमलोग भी सबके हित में काम कर रहे हैं। कभी-कभी सबके हित में काम करने से कुछ लोग नाराज हो जाते हैं। किसी की भी हमने उपेक्षा नहीं की है। बिहार निरंतर आगे बढ़ रहा है।”
15 साल सत्ता में रहने वाले और सत्ता के लिए रातों रात पाला बदलने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सत्ता के लालचियों की काफी आलोचना की है। उन्होंने कहा, “कुछ लोग सिर्फ सत्ता का सुख लेना चाहते हैं। हमारे लिए सत्ता का बस एक मतलब है और वो है सेवा। लोगों की सेवा करना ही हमारा धर्म है। मैं वचन देता हूं, जब तक हम हैं, लोगों की सेवा करते रहेंगे।” नीतीश अपनी सरकार के कार्यों की बड़ाई करने से तो कभी नहीं चूकते हैं, लिहाजा इस बार भी उन्होंने कुछ ऐसा ही किया और कहा, “जो भी नीतियां बनाईं उसका लाभ सबको मिला है। सरकार में आने के पहले ही दिन से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक समाज, अतिपिछड़ा वर्ग एवं महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए गए हैं।”
नीतीश कुमार आपने कार्यों की तुलना बिहार की राजनीति के बड़े नाम कर्पूरी ठाकुर से करके एक तरह से खुद को उनकी ही राह पर चलने वाला बता रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें भी कर्पूरी की तरह ही सीएम पद की कुर्सी से अचानक बीच कार्यकाल में ही हटाया जा सकता है जो कि संभव भी है क्योंकि उनकी पार्टी के पास इस बार सबसे कम विधानसभा सीटें हैं। इसके बावजूद वो अपनी हनक बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन उनके काम काज इस बार उनके लिए मुसीबत बन रहे हैं।
बिहार में लगातार जंगलराज (अपराध) का ग्राफ ऊपर जा रहा है जिसके लिए वो ही जिम्मेदार हैं, और जब उनसे इस मुद्दे पर सवाल पूछे जाते हैं, तो वो बिना कुछ सोचे समझें पत्रकारों पर ही बरस पड़ते हैं। इसके चलते सोशल मीडिया से लेकर बिहार के चौक-चौराहों पर उनकी आलोचना दिन-ब-दिन तीखी होती चली जा रही है, जिसे काउंटर करने के लिए उनके पास अब कुछ नहीं है। इसीलिए अब वो हर एक राजनीतिक हथकंडा अपना रहे हैं, जिससे गठबंधन में अपने बड़े भाई बीजेपी पर राजनीतिक सुचिता का दबाव बनाया जाए।
दूसरी ओर बीजेपी का बढ़ता प्रभुत्व नीतीश को परेशान कर रहा है, वो दोबारा आरजेडी से मिलकर सरकार बनाने और सीएम बनने की कोशिश भी नहीं कर सकतें हैं, क्योंकि उनका वो कदम उन्हें एक नैतिक पतन की ओर ले जाएगा। इसीलिए अब राज्य में सीएम पद की कुर्सी को बचाए रखने के लिए साम दाम दण्ड भेद सबकुछ अपना रहे हैं, इसलिए अति पिछड़ों के बीच बातचीत में उन्होंने कर्पूरी ठाकुर का जिक्र किया है।