बंगाल में मुस्लिमों के सबसे बड़े धर्मगुरु से ओवैसी की सांठ-गांठ, ममता को बड़े नुकसान की आशंका

31 प्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं के समर्थन से भाईजान करेंगे दीदी को सत्ता से बेदखल

ओवैसी

बिहार विधानसभा चुनावो में आरजेडी का खेल बर्बाद करने के बाद एआईएमआईएम प्रमुख असद्दुदीन ओवैसी ने पश्चिम बंगाल का रुख कर दिया है, और वो यहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अल्पसंख्यक वोट बैंक पर सेंधमारी की तैयारी कर रहे हैं। इसीलिए उन्होंने अपने पहले ही दौरे में बंगाल के इस्लामिक धर्म गुरु पीरजादा अब्बास सिद्दकी से मुलाकात कर उनके नेतृत्व में लड़ने की बात कर चुके हैं, जिन्हें ममता का धुर विरोधी भी माना जाता है। ऐसे में ये कहा जा रहा है कि मुस्लिम धर्मगुरुओं से सांठ-गांठ करके ओवैसी ने ममता दीदी का किला दरकाने की शुरुआत कर दी है।

देश के अलग-अलग राज्यों में अपनी पार्टी का वजूद बनाने की कोशिश में लगे ओवैसी ने बंगाल के पहले दौरे में हुगली के फुरफुरा शरीफ की दरगाह पर माथा टेका और वहां के सबसे बड़े धर्मगुरु पीरजादा अब्बास सिद्दकी से मुलाकात की। इस दौरान दो घंटे की लंबी बैठक हुई और फिर ओवैसी ने एक बड़ा फैसला ले लिया। उन्होंने कहा, “बंगाल में हमारी पार्टी सिद्दीकी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी। वही यह तय करेंगे कि एआईएमआईएम कैसे चुनाव लड़ेगी।” वहीं सिद्दकी का कहना है कि वो आगे सारी रणनीतियों का खुलासा करेंगे।

ओवैसी के प्रशंसक अब्बास सिद्दीकी हुगली जिले के जंगीपारा में मौजूद फुरफुरा शरीफ के मौलाना हैं। उनकी मुस्लिम समाज के लोगों में काफी  मजबूत पकड़ है। उनका कहना है कि उन्होंने इसीलिए चुनाव में हिस्सा लेने का फैसला लिया है क्योंकि कुछ लोग धर्म के आधार पर समाज को बांटने में लगे हुए हैं।  महत्वपूर्ण बात है कि फुरफुरा शरीफ को साल 1375 में मुकलिश खान ने एक मस्जिद की तामीर कराई थी। ये अब बंगाली मुस्लिमों की आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है, जहां उर्स और पीर मेले के दौरान श्रद्धालुओं की भारी संख्या होती है। इसीलिए इसका राजनीतिक महत्व भी बढ़ जाता है।

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में लेफ्ट को सरकार में बनाए रखने से लेकर ममता बनर्जी के सिंगूर आंदोलन को सफल बनाने में इस दरगाह और यहां के मौलाना सिद्दकी की बड़ी भूमिका थी। ममता को यहां से सीधा समर्थन मिलता था जिससे उन्हें एक मुश्त ही बड़ा वोट बैंक हासिल हो जाता था, लेकिन दोनों के बीच दूरियों और नाराजगियों का फायदा अब असद्दुदीन ओवैसी ने उठा लिया है जो कि ममता दीदी को काफी परेशान करने वाला होगा।

पश्चिम बंगाल की सियासत में 31 फीसदी मतदाता मुस्लिम हैं, और इस दरगाह का एक बड़े वोट बैंक पर काफी प्रभाव है। वहीं 90 सीटों पर तो सिद्दकी की सीधी पकड़ भी मानी जाती है जिसके चलते अब ये माना जा रहा है कि असद्दुदीन ओवैसी बंगाल में अपने उसी मुस्लिम बाहुल्य राजनीति वाला कार्ड खेलेंगे, जिसका सीधा नुकसान राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के वोट बैंक को होगा। इसके चलते वोटों का बंटना ममता दीदी के लिए ख़तरनाक साबित होगा और उनके हाथ से बंगाल की सत्ता निकलने लगेगी।

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