विश्व के सभी देश अपनी-अपनी जनता के लिए वैक्सीन जुटाने में लग चुके हैं, कोई अन्य देशों से समझौता कर रहा है तो कोई प्राइवेट कंपनियों से। परंतु ऐसा लगता है भारत के पड़ोसी पाकिस्तान को अपनी जनता की कोई चिंता ही नहीं है। एक तरफ उसने भारत के साथ अपने रिश्ते इतने खराब कर लिए है कि भारत उसे वैक्सीन देने के लायक नहीं समझता वहीं दूसरी ओर वह चीनी वैक्सीन पर आस लगाए बैठा है जिसकी कोई गारंटी नहीं है। हैरानी की बात तो यह है कि पाकिस्तान में 220 मिलियन जनसंख्या है लेकिन पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने चीनी कंपनी से मात्र 1.1 मिलियन वैक्सीन के लिए ही करार किया है।
इस करार की एक और खास बात यह है कि चीन ने पाकिस्तानी सरकार से वैक्सीन की कीमत बताने से मना किया है। यानि चीन पाकिस्तान को कितने में वैक्सीन बेच रहा है इसका खुलासा पाकिस्तान सरकार नहीं कर सकती है। अब ऐसा क्यों किया जा रहा है इसका कोई जवाब नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कोरोना वैक्सीन को लेकर पाकिस्तान में इतनी बदहाल स्थिति है कि वहां के 10 में से 8 लोगों को टीका नहीं लग पाएगा।
इतना ही नहीं संयुक्त राष्ट्र की मदद के बिना पाकिस्तान अपने यहाँ की 20 प्रतिशत आबादी को भी कोरोना वैक्सीन उपलब्ध नहीं करा पाएगा। इसके लिए पाकिस्तान UN के United Nation’s Covax mechanism से 45 मिलियन वैक्सीन पाने की उम्मीद कर रहा है। यानि एक ओर सभी देश वैक्सीन के लिए नए नए उपाए कर रहे हैं जिससे उन्हें कोरोना से लड़ने में सफलता मिले तो वहीं पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र से मिलने वाले फ्री वैक्सीन का इंतज़ार कर रहा है।
यानि देखा जाए तो पाकिस्तान ऐसी मुसीबत में फंसा है जहां एक ओर समुद्र है तो दूसरी ओर खाईं हैं। चीन का कोई भरोसा नहीं है कि वह वैक्सीन को कितनी जल्दी पहुंचाएगा वहीं संयुक्त राष्ट्र से प्रोग्राम में भी लेट लतीफी होगी। ऐसे में पाकिस्तान को अगर अपनी जनता की जरा भी चिंता होती तो वह अन्य प्राइवेट कंपनियों से सौदा करता लेकिन पाकिस्तान के पास खाने के पैसे नहीं हैं तो वैक्सीन के लिए कहाँ से आजाएंगे।
ऐसे में उसके पास भारत एक मात्र विकल्प था लेकिन पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान ने जिस तरह से भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने की कोशिश की है अब भारत उसे किसी भी प्रकार से मदद नहीं करने जा रहा है। जब वैक्सीन की घोषणा हुई थी तभी भारत ने अपनी जनता के बाद अपने पड़ोसियों को सबसे पहले मदद की बात कही थी। इसी के मद्देनजर भारत ने वैक्सीन प्रोडक्शन और सप्लाई बढ़ा भी दी है लेकिन भारत जिन पड़ोसी देशों की मदद के लिए लगा हुआ है उसमे पाकिस्तान का नाम नहीं है।
पाकिस्तान को छोड़कर सभी पड़ोसियों को भारत से वैक्सीन सप्लाई होगी। इसके साथ-साथ ब्राजील, मोरक्को, सऊदी अरब, म्यांमार, बांग्लादेश, दक्षिण अफ्रीका ने तो औपचारिक रूप से घोषणा भी कर दी है कि वे मेड इन इंडिया वैक्सीन का इस्तेमाल करने वाले हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव के मुताबिक, भारत कोरोना वायरस महामारी के साझा युद्ध में ग्लोबल रिस्पॉन्स में सबसे आगे रहा है। साथ ही इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को अपना दायित्व समझता है।
अब पाकिस्तान न तो भारत से वैक्सीन की मांग कर सकता है और न ही UN के वैक्सीन को जल्द अपने देश में बुला सकता है वहीं चीनी वैक्सीन का कोई भरोसा नहीं है। ऐसे में जब विश्व के देश कोरोना की अंतिम लड़ाई लड़ रहे होंगे तब पाकिस्तान बैठ कर सभी का मुंह देख रहा होगा और वहाँ की जनता कोरोना से जूझ रही होगी।