विश्व की बड़ी कंपनियों द्वारा लगातार भारतीय स्टार्टअप्स के लीलने के कारण केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने देश के उद्योगपतियों से स्टार्टअप्स की मदद के लिए आगे आने को कहा है। केंद्रीय मंत्री का कहना है कि शुरुआती मदद से ही नए उद्यमियों को वह फायदा मिलेगा, जिसकी उन्हें सख्त जरूरत है। इसके लिए देश के बड़े उद्योगपति अपनी संपत्ति का एक भाग नए बिजनेस पर लगाने के लिए अलग रख सकते हैं।
केन्द्रीय मंत्री का यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्टार्टअप्स के लिए 1,000 करोड़ रुपये के Seed Fund की घोषणा करने के कुछ दिनों बाद आया है।
बुधवार को TiECon इवेंट में बोलते हुए, गोयल ने कहा कि भारतीय स्टार्टअप को पर्याप्त घरेलू पूंजी भी नहीं मिल पाई है, हालाँकि सरकार ने Seed Fund के साथ-साथ गारंटी बैंको के माध्यम से प्रदान करने की कोशिश की है।
उन्होंने कहा कि, “अगर हमारे सभी व्यवसायी अपने संसाधनों को जमा कर सकते हैं, तो शायद शुरुआती 10,000 करोड़ रुपये का फंड, जो घरेलू रूप से संचालित है तथा जिसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है, जो हमारे स्वदेशी स्टार्टअप को संभाले, तो मुझे लगता है कि हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन स्टार्टअप्स को सस्ते में बिकने से बचा सकते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि जब वे बाजार में लिस्टिंग के लिए या फंडरेजिंग के लिए निकलेंगे, तब हम सही मूल्य प्राप्त कर सकेंगे।“
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने इंडिया इंक के उद्यमियों से व्यक्तिगत रूप से एक-दो स्टार्टअप को सलाह देने के साथ नजर रखने और शुरुआती कठिनाइयों को दूर करने में स्टार्टअप की मदद के लिए अपने सहयोगियों को साथ लाने का भी अनुरोध किया।
कार्यक्रम के दौरान पीयूष गोयल, संजीव बीकचंदानी, जो कि एक इंटरनेट उद्यमी हैं, उनके साथ बातचीत कर रहे थे, जिन्होंने Info Edge India, Jeevsaathi.com सहित कई कंपनियों की स्थापना की, और स्टार्टअप के क्षेत्र में बहुत सक्रिय हैं।
बीकचंदानी ने कई बार भारतीय स्टार्टअप के उपनिवेशण का मुद्दा उठाया है लेकिन अभी तक, देश स्टार्टअप फंडिंग के लिए एक तंत्र नहीं बना पाया है।
Shades of the East India Company type of situation here – Indian market, Indian customers, Indian developers, Indian workforce. However 100% foreign ownership, foreign investors. IP and data transferred overseas. Transfer pricing issues foggy. https://t.co/gANDVZOceS
— Sanjeev Bikhchandani (@sbikh) December 4, 2020
यही नहीं अब विभिन्न सरकारी प्रक्रियाओं, पंजीकरण, विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाने आदि के माध्यम से स्टार्टअप्स को संभालने के लिए, सरकार स्टार्टअप्स के लिए एक समर्पित हेल्पडेस्क स्थापित करना चाह रही है।
कुछ महीने पहले, हमने tfipost में यह बताया था कि कैसे भारतीय स्टार्टअप विदेशी पूंजीपतियों द्वारा हड़पे जा रहे हैं और इसके कारण आने वाले दशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी मुश्किलें पैदा होंगी। ये मुद्दे न केवल डेटा चोरी के हैं बल्कि आर्थिक उपनिवेशवाद का है। ऐसा लगता है कि मोदी सरकार ने आवाज सुनी है और अब केन्द्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं। यह देश में एक चिंताजनक स्थिति है क्योंकि भारतीय स्टार्टअप के उपनिवेशिकरण के माध्यम से, विदेशी निवेशक उपभोक्ताओं और साथ ही कंपनी के संस्थापकों को भविष्य में पूरी तरह से अपने कब्जे में कर लेंगे। संस्थापकों को कंपनी से बाहर निकाल दिया जाएगा, जैसे सचिन और बिन्नी बंसल को फ्लिपकार्ट से बाहर कर दिया गया था। कुछ साल पहले, अमेरिका स्थित वॉलमार्ट ने फ्लिपकार्ट को पूरी तरह से खरीद लिया था जो भारत का सबसे पहला लोकप्रिय इंटरनेट स्टार्टअप था। आज के दौर में Zomato, Swiggy, Ola, Policybazaar, Paytm, PhonePe जैसी लगभग सभी भारतीय कंपनियों में प्रमुख निवेशक विदेशी उद्यम पूंजी फर्म हैं। अमेरिका स्थित Tiger Global management कंपनी ने लगभग हर दूसरे या तीसरे प्रमुख स्टार्टअप में निवेश किया हुआ है। Byju और Unacademy जैसे edtech सेक्टर के स्टार्टअप्स में भी विदेशी कंपनियों के महत्वपूर्ण निवेश है। यही नहीं Inshorts जैसी ऑनलाइन मीडिया क्षेत्र की कई कंपनियों में भी महत्वपूर्ण विदेशी निवेश किया है।
भारतीय स्टार्टअप स्पेस 40,000 से अधिक कंपनियों और लगभग 40 यूनिकॉर्न के साथ तीसरा सबसे बड़ा है। इसलिए, स्टार्टअप को बड़ी मात्रा में पूंजी की आवश्यकता होती है, जिसे निजी इन्वेस्टरों के बिना पूरा नहीं किया जा सकता है।