पश्चिम बंगाल में प्रशांत किशोर का मिशन बीजेपी को रोकना और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी को तीसरी बार सत्ता पर लाने का है, लेकिन पीके ममता दीदी की हार सुनिश्चित करने में लगे हैं। उनके रहते टीएमसी में अंदरखाने एक फूट की स्थिति आ गई है जो भी नेता टीएमसी छोड़ बीजेपी का दामन थाम रहा है वो पीके को खरी खोटी सुना रहा है।
पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष जगमोहन डालमिया की बेटी और टीएमसी विधायक वैशाली डालमिया की आलोचना भी कुछ इसी तरह की है। खास बात ये है कि उन्होंने बिना पार्टी छोड़े ही पार्टी को आईना दिखाना शुरू कर दिया है। वैशाली वर्तमान बीसीसीआई अध्यक्ष और पूर्व भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान सौरव गांगुली के बेहद करीबी दोस्तों में शामिल हैं।
पश्चिम बंगाल की बल्ली विधानसभा सीट से विधायक वैशाली डालमिया ने प्रशांत किशोर के कामकाज पर सवाल करते उन्हें भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला बताया है। उन्होंने कहा, “प्रशांत किशोर पार्टी के भ्रष्ट लोगों को महत्वपूर्ण पद देते हैं। वो कोई भी समस्या नहीं सुनते हैं और खुद को एक बहुत बड़ा आदमी समझते हैं।” यही नहीं वैशाली ने कहा है कि वो पार्टी छोड़ने की तैयारी नहीं कर रही हैं। बस पार्टी हित में काम कर रही हैं। ममता बनर्जी के लिए वैशाली मुसीबतें बढ़ाती जा रही है क्योंकि भ्रष्टाचार के मामलों में वो सरेआम टीएमसी की पोल खोल रही हैं।
वैशाली ने टीएमसी के भ्रष्टाचार का खुलासा करते हुए कहा कि जानकारी के बावजूद ममता दीदी कोई कार्रवाई नहीं कर रही हैं। उन्होंने कहा, “मेरे विधानसभा क्षेत्र में काफी भ्रष्टाचार है, मैं तीन साल से इस बात को कह रही हूँ। इलाके की सड़कों की हालत भी खराब हो चुकी है। मैं भ्रष्टाचार पर अपनी राय ममता बनर्जी को भी बता चुकी हूँ।” उनका कहना है कि पिछले तीन चार सालों से पार्टी में भी कार्यशैली बिगड़ गई है। साफ है कि पिछले कुछ सालों में ही तो पीके ने टीएमसी में दखल देना शुरू किया है, और उनका निशाना पीके ही हैं।
उन्होंने कहा, “हाल ही में ममता सरकार के मंत्री लक्ष्मी रतन शुक्ला ने दुखी होकर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और अब उन्हें पार्टी के लोगों के हमले का सामना करना पड़ रहा है।” वैशाली लगातार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत उनकी पार्टी पर आरोप लगा रही हैं लेकिन पार्टी नहीं छोड़ रही हैं जो दिखाता है कि उन्होंने एक पार्टी में एक नया द्वंद छेड़ दिया है।
वैशाली डालमिया की प्रशांत किशोर से नाराज़गी इतने अचानक की नहीं है। दरअसल, वैशाली के क्षेत्र के पूर्व पार्षदों के साथ बैठक में ही प्रशांत किशोर ने उन्हें नहीं बुलाया था, जो लाज़मी तौर पर ही अजीबोगरीब बात है। इसको लेकर पहले ही वैशाली उन पूर्व पार्षदों को गुंडों की संज्ञा दे चुकी थीं। वैशाली कोई अकेली नेता नहीं है जो पीके से नाराजगी के कारण उन पर हमलावर हैं।
ममता के सिपहसलार कहे जाने वाले शुभेंदु अधिकारी से लेकर लोकसभा के टीएमसी सांसद सुनील मंडल तक ने पीके के कारण पार्टी छोड़ने की बात स्वीकारी है। इसके इतर ममता दीदी की पार्टी के बड़े नेताओं पर पहले ही नारदा और शारदा में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। ऐसे में टीएमसी की विधायक का खुलकर सरकार में भ्रष्टाचार की बात कबूलना ममता बनर्जी पर भारी पड़ सकता है।
ऐसे में जब उनके जैसे नेताओं को टीएमसी के रणनीतिकार प्रशांत किशोर तवज्जो नहीं देते हैं तो साफ है कि वो अब टीएमसी को गर्त में ढकेलने की तैयारी कर चुके हैं। बीजेपी को केवल ताबूत में आखिरी कील ठोकने की आवश्यकता है जो कि विधानसभा चुनाव में ठुक भी जाएगा, ऐसे आसार भी लग रहे हैं।