सोशल मीडिया और आम बोलचाल में कबीर के दोहे का एक चुटीला अनुवाद किया गया है –“ऐसी वाणी बोलिए, कि जमकर झगड़ा होय, पर उनसे पंगा न लीजिए, जो आपसे तगड़ा होय।” हम समझते हैं कि राहुल गांधी राजनीति में ज्यादा परिपक्व नहीं है, लेकिन काश उन्होंने इस चुटकुले का सार ही समझ लिया होता, तो कम से कम उन्हें कैप्टन अमरिंदर सिंह [सेवानिर्वृत्त] के हाथों बेइज्जत न होना पड़ता। जहां राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लाल किले पर हमले का ठीकरा पुलिस वालों और केंद्र सरकार पर फोड़ने का प्रयास किया, तो वहीं, अमरिंदर सिंह ने उन्हीं के दावों की धज्जियां उड़ाते हुए पाकिस्तानी तत्वों को इस हिंसक घटना के लिए दोषी बताया।
अमरिंदर सिंह के अनुसार, “मुझे नहीं लगता कि किसान हिंसा में शामिल थे। मैंने कई बार चेतावनी दी कि पाकिस्तान घुसपैठ की कोशिश कर रहा है। इसे लेकर मैं काफी समय से चेतावनी दे रहा हूं, क्योंकि एक परेशान पंजाब पाकिस्तान की नीतियों को सूट करता है”।
उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तानी लोग भी इस हमले में शामिल हो सकते हैं, क्योंकि एक कमजोर पंजाब में सबसे ज्यादा फायदा पाकिस्तानियों का ही होगा। अमरिंदर सिंह के अनुसार, “किसान आंदोलन की शुरुआत से ही पाकिस्तान सीमापार घुसपैठ की कोशिश कर रहा है और बड़े पैमाने पर ड्रोन के जिए हथियार भेज रहा है। केंद्र से मैंने पाकिस्तान की चालों से सतर्क रहने की अपील की थी”।
यह राहुल गांधी के बयानों के ठीक उलट है, जिनके अनुसार लाल किले पर हमला केंद्र सरकार ने ही करवाया, ताकि किसान आंदोलन को तोड़ा जा सके। लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह और राहुल गांधी के बीच की तनातनी आज की नहीं, बल्कि वर्षों पुरानी है। इसकी नींव 2016 के आसपास ही पड़ गई थी, जब राहुल गांधी कांग्रेस के नए नए अध्यक्ष बने थे, और पंजाब 2017 के विधानसभा चुनाव की तैयारियां कर रहा था।
उस समय कांग्रेस की राष्ट्रीय इकाई नहीं चाहती थी कि अमरिंदर सिंह सीएम पद के उम्मीदवार बने, लेकिन अमरिंदर सिंह ने आक्रामक रवैया अपनाते हुए कांग्रेस हाईकमान को अपना निर्णय बदलने पर विवश किया था। इसके अलावा किसान आंदोलन को जारी रखने में राहुल गांधी और अमरिंदर सिंह के बीच वैचारिक मतभेद भी हैं।
राहुल गांधी अपने निजी लाभ के लिए शाहीन बाग की तर्ज पर एक बार फिर देश को आग में झोंकना चाहते हैं, लेकिन अमरिंदर सिंह इस कुत्सित सोच से सहमत नहीं है, क्योंकि इससे स्वयं पंजाब की अर्थव्यवस्था को जबरदस्त नुकसान पहुंच रहा है। इसके अलावा अमरिंदर सिंह राहुल गांधी के मित्र और कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू के भड़काऊ बयानों से भी काफी कुपित है, जहां उन्होंने मांगें पूरी न होने पर ‘लाशें बिछा देने’ की धमकी भी दी थी।
यही नहीं, राहुल गांधी का कुछ ही महीनों बाद कांग्रेस चुनाव में जीतना भी तय है, और ऐसे में अपने री लॉन्च के लिए वे अमरिंदर सिंह की बलि चढ़ाना चाहते हैं, जिससे उन्हें पार्टी में किसी भी प्रकार की चुनौती न मिल पाए। लेकिन अमरिंदर सिंह को यूं ही उनकी राजनीतिक सोच के लिए नहीं जाना जाता। जिस प्रकार से उन्होंने पाकिस्तान का कार्ड खेला है, उससे न सिर्फ उन्होंने पंजाब में अपना जनाधार मजबूत करने का प्रयास किया है, बल्कि राहुल को ये संदेश दिया है कि पंजाब कांग्रेस का एक ही बॉस है, और वह है कैप्टन अमरिंदर सिंह।