राहुल गांधी राजनीतिक खेमे में बतौर कांग्रेस अध्यक्ष पुन: आगमन के लिए तैयार दिखाई पड़ते हैं। लेकिन यह काम इतना भी आसान नहीं होगा, और सूत्रों की माने तो राहुल गांधी इसके लिए पंजाब के वर्तमान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (सेवानिवृत्त) की बलि चढ़ाने को भी तैयार है।
जी हां, आपने ठीक पढ़ा। राहुल गांधी अमरिंदर सिंह की ‘ बलि ‘ चढ़ाकर ही भारतीय राजनीति में पुन: सक्रिय होंगे, जिसका मंच बनेगा वर्तमान ‘ किसान आंदोलन ‘।
लेकिन यह संभव कैसे है? दरअसल, तथाकथित ‘ किसान आंदोलन ‘ को लेकर अब पंजाब में कांग्रेस की स्थिति दो फाड़ होती दिखाई दे रही है। जहां राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी की राष्ट्रीय इकाई चाहती है कि आंदोलन में कोई कमी न रहे और अराजकतावादी अपना उपद्रव जारी रखे, तो वहीं अब अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में क्षेत्रीय इकाई चाहता है कि दोनों पक्षों में सुलह कराकर जल्द से जल्द इस आंदोलन का समाधान निकले।
द प्रिन्ट की रिपोर्ट के अनुसार, “मुख्यमंत्री ने सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों से बात करने तीन आईपीएस अफसर और एक कृषि विशेषज्ञ को भेजा है। इसके पीछे का इरादा स्पष्ट है – प्रदर्शनकारियों में नरम दल को रिझाना और उन्हें केंद्र सरकार के दिए प्रस्ताव की स्वीकारने के लिए मनाना, ताकि वर्तमान समस्या जल्द से जल्द खत्म हो। वे नहीं चाहते कि आंदोलनकारियों की आड़ में पंजाब विरोधी ताकतों को बढ़ावा मिले।”
इसके पीछे सबसे प्रमुख कारण अराजकतावादियों के कारण पंजाब की अर्थव्यवस्था और अमरिंदर सिंह की छवि को हो रहा नुक़सान है। जिस प्रकार से अराजकतावादी दिल्ली के साथ-साथ पंजाब में उपद्रव कर रहे हैं, उससे अमरिंदर सिंह के बारे में एक गलत संदेश जा रहा है, और वे अपनी छवि पर और दाग नहीं लगवाना चाहते हैं।
लेकिन राहुल गांधी आखिर इस आंदोलन को जारी रख क्या प्राप्त करना चाहते हैं? दरअसल, बहुत विचार विमर्श के बाद पार्टी हाईकमान ने एक बार फिर कांग्रेस की कमान इनके हाथों में सौंपने का निर्णय किया है, और वे अपने आप को सिद्ध करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। इसलिए राहुल गांधी चाहते हैं कि आंदोलन में किसी प्रकार की ढिलाई न हो, चाहे इसके लिए देश को हिंसा की आग में ही झोंकना क्यों ना पड़े।
द प्रिंट की रिपोर्ट में ही आगे बताया गया, “जहां राहुल गांधी इस आंदोलन में मोदी सरकार को नीचे गिराने का मौका ढूंढ रहे हैं, तो वहीं अमरिंदर सिंह इसके ठीक उलट यह भली-भांति जानते हैं कि यदि इस अराजकता को नहीं रोका गया, तो न सिर्फ कांग्रेस सरकार को खतरा होगा, बल्कि खालिस्तानियों की मदद से आम आदमी पार्टी इस अराजकता का फायदा उठाकर पूरे पंजाब पर कब्ज़ा जमा सकती है।”
राहुल गांधी चाहते ही नहीं कि यह आंदोलन खत्म हो, चाहे उसके लिए अमरिंदर सिंह के करियर की बलि ही क्यों ना चढ़ानी पड़े। इसलिए वे इस आंदोलन के नाम पर अराजकतावाद को बढ़ावा दे रहे हैं, ताकि बतौर कांग्रेस के संभावित अध्यक्ष उनकी छवि मजबूत हो और उन्हें एक दमदार नेता के तौर पर गिना जाए। लेकिन सच्चाई तो यही है कि जनाब अपना ही घर फूंक के तमाशा देख रहे हैं।