रवीश कुमार ने PRIME TIME में दिखाया साफ झूठ, बाद में मांगनी पड़ी माफ़ी!

NDTV के रवीश कुमार को माँगनी पड़ी माफ़ी

बहुत कम ऐसा होता है कि बेशर्मी से सफेद झूठ बोलने वालों को अपनी गलती स्वीकारने पर विवश होना पड़े। लेकिन रवीश कुमार के मामले में ऐसा ही हुआ है। हाल ही में कृषि कानून के मामले में रेल एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के एक ट्वीट पर भ्रामक अफवाहें फैलाने के चक्कर में रवीश कुमार को केंद्र सरकार से ऐसी लताड़ लगी कि उन्हे बेहद करुणा से भरी पोस्ट में अपनी गलती स्वीकारनी पड़ी।
हाल ही में पीयूष गोयल ने धान की खेती के संबंध में एक ट्वीट किया, “किसान हितों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा किये गए प्रयासों से 10 जनवरी तक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 26 प्रतिशत अधिक धान MSP मूल्य पर खरीदा गया, जिसकी मात्रा 534 LMT है। एक लाख करोड़ रुपये से भी अधिक के भुगतान से 71 लाख किसान लाभान्वित हुए। किसान हित में MSP है, और रहेगा” 

अब ये ट्वीट स्पष्ट तौर पर केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानूनों को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों को ध्यान में रखते हुए ट्वीट किया गया था। लेकिन इस पर रवीश बाबू अपनी विशेष टिप्पणी न दे, ऐसा हो ही नहीं सकता। सो उन्होंने ndtv के प्राइम टाइम पर एक लंबा चौड़ा भाषण देते हुए इस ट्वीट के बारे में अफवाहें फैलानी शुरू कर दी –

Prime Time With Ravish Kumar: खेती को लेकर जारी है सरकार की गलतबयानी

 

रवीश बाबू के अनुसार, “ग्राफिक में दिया गया डेटा गलत है। ये इन्फोग्राफिक, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने 11 जनवरी 2021 को पोस्ट किया था। इसमें जानकारी दी गई थी कि 10 जनवरी तक भारत सरकार ने 534 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की थी, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 423 LMT थी”

तो सच क्या है? असल में भारत सरकार ने झूठ नहीं फैलाया था, बल्कि रवीश कुमार ने या तो गलती से या जानबूझकर फर्जी जानकारी देने के लिए पीयूष गोयल के ट्वीट की इमेज को क्रॉप किया था। केन्द्रीय मंत्री द्वारा साझा जानकारी में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि डेटा 10 जनवरी तक खरीद के लिए है। लेकिन सरकार को झूठा करार देने के लिए, रवीश कुमार ने पूरे साल के डेटा का इस्तेमाल किया।
अब ध्यान रहे, ये वही रवीश कुमार हैं जिन्होंने पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए दंगों में खुलेआम कट्टरपंथी मुसलमानों का बचाव करते हुए पुलिस पर हमला करने वाले मोहम्मद शाहरुख का नाम जानबूझकर अनुराग मिश्रा बताया था। ऐसे में इनके सफेद झूठ की सीमा पार होने पर सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए थी और उन्होंने किया भी।

इस पत्र के अनुसार प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो की एडीजी अल्पना पंत शर्मा ने लिखा, “घटिया पत्रकारिता और भ्रामक तथ्यों के बेहूदा प्रदर्शन में श्री रवीश कुमार ने जानबूझकर धान की खरीद के बारे में गलत तथ्य प्रसारित किये हैं। ऐसे नाजुक समय पर जब कुछ ‘किसान’ दिल्ली के सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, तो रवीश कुमार ने भ्रामक रिपोर्टिंग कर न केवल गलत तथ्य प्रसारित किये हैं, बल्कि एक तरह से असामाजिक तत्वों को भी बढ़ावा दिया है।”

ऐसे में रवीश कुमार की पोल एक बार फिर खुल गई, और उन्होंने आश्चर्यजनक रूप से अपनी गलती इस बार स्वीकार भी की। उनके फ़ेसबुक पोस्ट के अनुसार, “मुझसे एक गलती हुई है। प्राइम टाइम के पिछले कई एपिसोड में मैं कृषि को लेकर सरकार द्वारा किये गए आंकड़ों की भ्रामकता को उजागर कर रहा था कि किस तरह सही लगने वाली यह सूचनाएँ पूरी नहीं है, आधी अधूरी हैं और इसलिए सही नहीं है। इस क्रम में 14 जनवरी को एक एपिसोड में मैं खुद भी यह गलती कर बैठा। उस गलती से रेल मंत्री के ट्वीट का विश्लेषण गलत हो गया”

ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि रवीश कुमार को आखिरकार अपने भ्रामक तथ्यों फैलाने की प्रवृत्ति के लिए पकड़े जाने पर अपनी गलती स्वीकारने को विवश होना पड़ा। परंतु केंद्र सरकार को केवल इतने पे नहीं रुकना चाहिए, और उन्हे सुनिश्चित करना चाहिए कि रवीश कुमार को ऐसा झूठ दोबारा फैलाने के लिए कड़ी से कड़ी सजा मिले।

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