देश में अराजकता फैलानी हो और काँग्रेस सक्रिय न हो, ऐसा भला हो सकता है क्या? ‘किसान आंदोलन’ के नाम पर अराजकता फैलाने के जब सभी प्रपंच फेल होने लगे, तो अब काँग्रेस ने हाल ही में अमेरिका में हुए दंगों से प्रेरणा लेते हुए 15 जनवरी को कुछ ऐसा ही भारत में दोहराने की ठानी है ।
काँग्रेस को लगता है कि इस समय केंद्र सरकार ‘बैकफुट’ पर है। इसलिए अब उसने सरकार द्वारा ‘कृषि कानूनों’ को वापिस न लेने की स्थिति में देशव्यापी प्रदर्शनों की चेतावनी दी है। इसके अंतर्गत 15 जनवरी को काँग्रेस ‘किसान अधिकार दिवस’ के रूप में मनाएगी। देशभर में रैलियों के आयोजन के बाद हर राज्य के राज्य भवन की ओर काँग्रेसी मार्च करेंगे। ऐसे में अब यह कयास प्रबल होने लगे हैं कि कहीं काँग्रेस इन विरोध प्रदर्शनों की आड़ में दंगे तो नहीं भड़काना चाहती
ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने हाल ही में एक भड़काऊ बयान दिया है। जनाब के अनुसार “सरकार काले कानूनों को हटाने के बजाए बातचीत के खेल, खेल रही है। आखिर अपने जनता के प्रति जिम्मेदारियों को निभाने से सरकार क्यों कतरा रही हैं? ये सरकार कुछ पूंजीवादियों के हाथों बिक चुकी है। इसलिए काँग्रेस अब 15 जनवरी को ‘किसान अधिकार दिवस’ मनाने वाली है। अपने जिला हेडक्वार्टर्स पर प्रदर्शन करने के अलावा हम रैलियों का आयोजन करेंगे और हर राज्य के राज्य भवन की ओर मार्च करेंगे। अब किसानों की आवाज को सुनना ही पड़ेगा” –
इसके अलावा 15 जनवरी से काँग्रेस एक सोशल मीडिया अभियान चलाने पर भी उतारू है, जिसका ट्रेंड चलेगा #SpeakUpforFarmers के नाम से। अमेरिका में Capitol बिल्डिंग के सामने हुए हिंसक प्रदर्शन भी इसी पद्वति के अंतर्गत चलाए गए थे, जिससे आप स्पष्ट समझ सकते हैं कि काँग्रेस की नीयत इस समय क्या है। लेकिन न ही ये अमेरिका है, और न ही काँग्रेस इतनी ताकतवर कि उनके ऐसे प्रदर्शनों से डरकर सरकार अपने कृषि कानून वापिस लेगी। उन्हें अपने पार्टी के सीएम अमरिंदर सिंह से सीख लेकर देश में शांति बहाल करनी चाहिए।