ममता दीदी पर कोई ममता दिखाने के मूड में नहीं BJP, शाह-मोदी के दौरे से पहले TMC में मची भगदड़

मंत्री राजीब बनर्जी सहित कई विधायक हो सकते हैं भाजपा में शामिल!

ममता

तृणमूल कांग्रेस को हाल ही में एक और करारा झटका लगा, जब उनके वन मंत्री राजीब बनर्जी ने हाल ही में अपना त्यागपत्र सौंप दिया। ममता बनर्जी की सरकार में वन मंत्री राजीब बनर्जी ने अभी हाल ही में तृणमूल सरकार को अपना त्यागपत्र सौंपा है।

त्यागपत्र के अनुसार राजीब बनर्जी लिखते हैं, “पश्चिम बंगाल के लोगों की सेवा करना बहुत सम्मान और सौभाग्य की बात है। मैं इस अवसर को पाने के लिए दिल से आभार व्यक्त करता हूं” –

राजीब बनर्जी ममता सरकार के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक माने जाते हैं। ऐसे में अब उनके इस्तीफे के बाद कयासों का बाजार गर्म हो गया है, कि कहीं वे भी शुभेंदु अधिकारी की तरह भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन तो नहीं थामेंगे। बता दें कि शुभेन्दु अधिकारी तृणमूल कांग्रेस के बेहद वरिष्ठ और प्रभावशाली नेता थे, जिन्हे ममता बनर्जी की पार्टी द्वारा निरंतर अनदेखी किये जाने के पश्चात पार्टी छोड़ने पर विवश होना पड़ा था।

राजीब बनर्जी इस्तीफा देते समय काफी भावुक हुए थे। उन्होंने कुछ ही दिन पहले आरोप लगाया था कि तृणमूल के कुछ नेता उनके विरुद्ध झूठी अफवाहें फैला रहे थे। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि जब उन्हे बिना किसी जानकारी से वन मंत्रालय में स्थानांतरित किया गया, तो वह पार्टी हाइकमान की बेरुखी से काफी रुष्ट हुए थे। 

तो फिर राजीब बनर्जी के इस्तीफा देने से ममता दीदी को क्या नुकसान होगा, और भाजपा को क्या फायदा होगा? सूत्रों की माने तो भाजपा तृणमूल कांग्रेस में धीरे-धीरे सेंध लगाकर आगे बढ़ेगी। पार्टी का दावा है कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कई विधायक उसके संपर्क में है, लेकिन वह किसी जल्दबाजी में नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 23 जनवरी व गृह मंत्री अमित शाह के 30 जनवरी के दौरों के से भाजपा के मिशन को और मजबूती मिलने की उम्मीद है।

भाजपा महासचिव व राज्य के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय चालीस से ज्यादा ममता दीदी के विधायकों के संपर्क में होने का दावा कर चुके हैं। हालांकि उन्होंने नामों का खुलासा नहीं किया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, वह इस मामले में कोई जल्दबाजी नहीं करेगी, बल्कि धीरे-धीरे तृणमूल को झटका देगी। पार्टी में लगभग एक दर्जन नेता शामिल हो सकते हैं, लेकिन उनको एक-दो कर लिया जाएगा। इसके पीछे मकसद चुनाव तक विरोधी खेमे में भगदड़ की स्थिति बनाए रखना है।

जिन नीतियों के लिए कभी उत्तर प्रदेश और बिहार की पार्टियों की तारीफ करते हुए राजनीतिक विश्लेषक ‘सोशल इंजीनियरिंग’ का नाम देते थे, उसी ‘सोशल इंजीनियरिंग’ को अपने शैली में इस्तेमाल करते हुए भाजपा तृणमूल कांग्रेस का तेल निकाल रही है। राजीब बनर्जी के त्यागपत्र सौंपने से अब तृणमूल कांग्रेस के नेताओं की निकासी का दूसरा चरण प्रारंभ हो चुका है, जिसे अब ममता चाहकर भी रोक नहीं पायेंगी।

 

 

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