अपने पैर पर कुल्हाड़ी कैसे मारी जाती है ये कोई पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के नेताओं से सीखे, जिन्हें बैठे-बिठाएं अपनी और पार्टी की फजीहत कराने का शौक है। ऐसा ही एक नाम लोकसभा सांसद कल्याण बनर्जी का है जिन्होंने अपनी एक जनसभा के दौरान भगवान श्रीराम की पत्नी और देवी सीता पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए बीजेपी शासित राज्य की कानून व्यवस्था की आलोचना की है, लेकिन उन्होंने जो बयान दिया है वो बेहूदा है।
राजनीतिक कहासुनी एक तरफ लेकिन जिस तरह से कल्याण बनर्जी ने ये आपत्तिजनक बयान दिया है उससे हिंदुओं की तरफ नरम दिखने की कोशिश कर रही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को विधानसभा चुनाव में झटका लग सकता है, क्योंकि कल्याण बनर्जी का ये बयान सेल्फ गोल की तरह ही है। ममता दीदी के सॉफ्ट हिंदुत्व के एजेंडे के दौर में उनके सांसद का ये नया बयान उनके लिए मुसीबत खड़ी करने वाला है।
विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक बयानबाजी पश्चिम बंगाल में खूब ज्यादा हो गई है। ऐसे में बीजेपी शासित राज्यों की तुलना बंगाल से करके टीएमसी नेता खुद के प्रशासन को बेहतर बताने में लगे हैं, लेकिन टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी ने तो मर्यादाएं ही तार-तार कर दीं हैं। उन्होंने माता सीता को लेकर अभद्र टिप्पणी करते हुए उनके अपहरण की घटना को हाथरस के रेप कांड की घटना से जोड़ डाला है। उन्होंने कहा, “एक बार ‘सीता ने भगवान राम से कहा था कि अच्छा हुआ मेरा हरण रावण ने किया था न कि उनके (राम के) चेलों द्वारा, यदि वह मेरा अपहरण करते तो मेरा हश्र भी हाथरस जैसा होता।”
कल्याण बनर्जी ने ये बयान एक जनसभा में दिया है, जिसका वीडियो अब सोशल मीडिया में जंगल की आग की तरह फैल गया है। इस मुद्दे पर बीजेपी भी भड़क गई है। उसका ये व्यवहार लाज़मी भी है क्योंकि हिंदुत्व उसका प्रमुख एजेंडा है और इसके अलावा कल्याण बनर्जी ने इस बयान को योगी आदित्यनाथ शासित उत्तर प्रदेश के हाथरस से जोड़ा है, और योगी आदित्यनाथ को बीजेपी का सबसे फायरब्रांड और स्टार प्रचारक माना जाता है।
पश्चिम बंगाल बीजेपी के वरिष्ठ नेता लॉकेट चटर्जी ने कहा, “कल्याण बनर्जी ने हमारी भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। वो हमारी परंपरा, रामायण और महाभारत का तिरस्कार कर रहे हैं। ममता बनर्जी और उनके सांसद को इसके लिए मांफी मांगनी चाहिए। अगर वो मांफी नहीं मांगते हैं तो इसका जवाब उन्हें इस साल विधानसभा के चुनाव में मिल जाएगा।”
ये बेहद ही अजीब बात है जब ममता दीदी बंगाल में मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोपों से बचने और अपनी छवि को बदलने के लिए लगातार बहुसंख्यक समाज के कार्यक्रमों में सरकारी अनुदान समेत सॉफ्ट हिंदुत्व की नौटंकियां कर रही हैं तब उनके ही नेता लगातार हिन्दुओं के देवी-देवताओं का अपमान कर रहे हैं। किसी और को कुछ क्या ही बोला जा सकता है जब राज्य की मुख्यमंत्री को ही बहुसंख्यक समाज के ईष्ट देव भगवान श्रीराम के “जय श्रीराम” वाले नारे से आपत्ति हो। ममता दीदी भी हिंदू समुदाय को लेकर हमेश ही नफरती रुख अपनाती रही हैं, लेकिन अब राजनीतिक समीकरणों ने काफी कुछ बदलाव ला दिया है। ममता दीदी लगातार सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड खेल रही हैं, और उनके नेता फिर भी हिंदू देवी-देवताओं का अपमान कर रहे हैं और ये ममता दीदी को विधानसभा चुनाव में बहुत भारी पड़ने वाला है।