लुधियाना से कांग्रेस सांसद और राहुल गांधी के करीबी रवनीत सिंह बिट्टू पर हमला किया गया है और उनकी पगड़ी को भीड़ द्वारा उछाला गया क्योंकि वे किसान आंदोलन के समर्थन में गुरु तेग बहादुर स्मारक में विभिन्न संगठनों द्वारा आयोजित जन संसद में भाग लेने गए थे। उनकी पंगड़ी के हुई घटना के साथ ही कांग्रेस के विधायक कुलबीर सिंह ज़ीरा पर भी अराजकतावादी किसानों ने हमला किया है।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमृतसर के कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह औजला प्रदर्शनकारियों के एक समूह से भिड़ गए थे। दिलचस्प बात यह है कि हाथापाई होने के बाद अब कांग्रेसी नेता दावा कर रहे हैं कि आंदोलन खालिस्तानी तत्वों द्वारा अपहरण कर लिया गया है, जबकि यही बात जब अन्य लोग कह रहे थे तो ये कांग्रेस नेता उस बात को मानने को तैयार नहीं थे।
अपने ऊपर हुए इस हमले को बिट्टू ने गुंडों की कारस्तानी माना हैं। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि किसानों का ये आंदोलन हाइजैक हो चुका है। उन्होंने कहा, “हम खालिस्तानी झंडे और नारे लगाने वालों से भयभीत नहीं होंगे। उपद्रवी लोगों को किसान आंदोलन स्थल पर खालिस्तानी झंडा लहराने और फहराने के लिए 1 करोड़ 80 लाख रुपए ऑफर किए जा रहे हैं।”
उन्होंने हमलावर लोगों के विषय में बताया, “वहां चार व्यक्ति थे जो हथियार लेकर जा रहे थे। जींस और लाल कमीज पहने एक शख्स हथियार निकाल कर ले जा रहा था जब मैंने उसे रोका तो वो चिल्लाने लगा ये सभी रेफरेंडम 2020 का समर्थन करने वाले थे” दिलचस्प बात ये है कि यही रनवीर सिंह बिट्टू कुछ दिन पहले किसानों को खालिस्तानी बोलने वालों पर भड़क रहे थे।
इसी कांग्रेस सांसद बिट्टू ने कुछ दिन पहले एक बयान में किसानों का समर्थन करते हुए कहा था कि वो किसानों के लिए लाशों का ढेर लगा देंगे, और खून की नदियां बहा देंगे। उन्होंने उस दौरान धमकी के अंदाज में ये तक कहा था कि वो इस मामले में अब पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा था कि यदि मोदी सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी तो वो सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में किसी भी हद तक जा सकते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि बिट्टू, जिसके साथ अब ‘किसानों’ ने मारपीट कर ली है और वो हाल ही में शवों को ढेर करने और हिंसा भड़काने वाले उग्र बयान देने की बात कर रहा था और वही बिट्टू अब वास्तव में अपने दादा बेअंत सिंह के रास्ते पर चल पड़ा है, जिन्होंने बब्बर खालसा जैसे आतंकी और उसके संगठन का नामो-निशान मिटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
किसानों के विरोध प्रदर्शन की वास्तविकता देखने के बाद अब रनवीर सिंह बिट्टू का जोश ठंडा पड़ गया है, और उन्हें भी अब समझ आ गया है कि देश में खालिस्तानी समर्थको ही इस तरह की अराजकतावादी हरकतों के पीछे मास्टरमाइंड बनकर बैठें हैं।