आंदोलनकारी किसानों के खिलाफ़ साजिश या वो खुद कर रहे साजिश? किसान नेताओं ने जिस नकाबपोश को पेश किया, उसे उन्होनें ही तैयार किया था

किसान आंदोलन के नाम पर 'ये सब मिलकर हमको पागल बना रहे है!'

किसान आंदोलन

किसी दोयम दर्जे के बॉलीवुड फिल्म प्लॉट की भांति अब ‘किसान आंदोलन’ के नाम पर दिल्ली की सीमाओं पे डेरा जमाए बैठे अराजकतावादी अब गीदड़ भभकियां देने में जुट गए हैं। स्थिति यह हो गई है कि अब वे आरोप लगा रहे हैं कि सरकार उनकी हत्या करने के लिए प्रशिक्षित गुंडों को भेज रही है, लेकिन कुछ ही घंटों में उनकी पोल ऐसी खुली कि अब वे खुद ही सोशल मीडिया पर हंसी का पात्र बन रहे हैं।

हाल ही में सरकार द्वारा कृषि कानून को डेढ़ वर्ष के लिए स्थगित करने की पेशकश के बाद ‘किसान नेताओं’ ने आरोप लगाया कि गणतंत्र दिवस पर उनके विरोध प्रदर्शन को तोड़ने के लिए सरकार एक गहरी साजिश रच रही है। कुछ ‘किसान नेताओं’ ने एक ‘नकाबपोश युवक’ को सामने लाकर कहा कि उसे हरियाणा पुलिस ने प्रशिक्षित कर किसान नेताओं की हत्या करने के लिए भेजा गया है, ताकि गणतंत्र दिवस पर प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली रद्द हो जाए।

लेकिन जिस व्यक्ति को यह सरकार के दमनचक्र का हिस्सा बताने से नहीं चूक रहे थे, उसने उलटे इन अराजकतावादियों की ही पोल खोल दी। योगेश नामक इस युवक ने पुलिस की कस्टडी में बताया कि उसने ऐसी बात इसलिए कही ताकि वह अराजकतावादियों से अपनी जान बचा सके। उसके अनुसार उसे और उत्तर प्रदेश के एक लड़के को अगवा किया गया, और उसे मार पीटकर जबरदस्ती यह बयान दिलवाया गया।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, योगेश ने दावा किया कि उसे अराजकतावादियों द्वारा बुरी तरह मारा गया और उसे जान से मारने की धमकी दी गई। जब तक उसने मीडिया के सामने आकर अराजकतावादियों के कहे अनुसार बयान नहीं दिया, तब तक उसे नहीं छोड़ा गया। आधी पोल तो तभी खुल गई थी जब ‘नकाबपोश’ योगेश को एक ‘किसान नेता’ उसकी स्वीकारोक्ति याद दिला रहा था। यह सरासर गुंडागर्दी नहीं तो और क्या है?

इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि ये अराजकतावादी शाहीन बाग मॉडेल को ही दोहरा रहे हैं। उदाहरण के लिए पिछले ही वर्ष जब शाहीन बाग में CAA के विरोध के नाम पर प्रदर्शन अपने चरम पर था, तो गोपाल शर्मा नामक एक सिरफिरे किशोर ने जामिया परिसर के आसपास कट्टा लहराया था, और इस सिरफिरे किशोर ने कहा था, ‘ये लो आज़ादी!’। बस, इस बात के मीडिया में खबर में आते ही क्या मीडिया क्या बुद्धिजीवी, सभी ने गोपाल के फेसबुक अकाउंट के आधार पर हिन्दू आतंकवाद चिल्लाना शुरू कर दिया।

परंतु जैसे ही घटना की तस्वीरें सामने आई, मीडिया के सारे किए कराये पर पानी फिर गया। एक तो राम गोपाल कोई पिस्तौल नहीं, बल्कि एक कट्टा चला रहे था, और एक वीडियो में तो यह भी सामने आया कि जैसे जैसे वो सिरफिरा किशोर आगे बढ़ रहा था, मीडिया भी उसी की दिशा में बढ़ रहा था, मानो वो लड़का फोटो शूट के लिए आया हो।

इसके अलावा सोशल मीडिया अकाउंट से यह भी पता चल गया कि गोपाल शर्मा ने सिरफिरे एक्टर एजाज खान और भीम आर्मी के सरगना चन्द्रसेखर रावण के फेसबुक पेज और अकाउंट भी लाइक किए थे, और कुछ ही देर बाद बड़ी ही संदिग्ध परिस्थितियों में उसका अकाउंट डिसएबल हो गया

इससे स्पष्ट पता चलता है कि किसान आंदोलन के नाम पर अराजकता फैला रहे ये असामाजिक तत्व अपनी अतार्किक मांगों को मनवाने के लिए किस हद तक जा सकते हैं। यदि इन अराजकतावादियों के साथ सख्ती से नहीं निपटा गया, तो यह प्रकरण स्पष्ट संकेत देता है कि 26 जनवरी को यह असामाजिक तत्व क्या कर सकते हैं।

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