2024 के चुनावों में अभी से कांग्रेस को रायबरेली में पछाड़ने के लिए तैयार है बीजेपी

स्मृति ईरानी है तैयार, 2024 के चुनाव की अभी से शुरू की तैयारी

2024 लोकसभा चुनाव की राह अभी तीन साल दूर है; लेकिन बीजेपी ने उन चुनावों में कांग्रेस को उत्तर प्रदेश से पूरी तरह शून्य कर देने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। बीजेपी ने इसके पीछे अंदरखाने ही सही लेकिन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को जिम्मेदारी दे दी है। जिसका असर उनके अमेठी के दौरों पर भी दिखता है। रायबरेली के कांग्रेस विधायक तक बीजेपी की बोली बोलते दिखाई दे रहे हैं।

बीजेपी वहां लोगो की मुश्किलों का निस्तारण कर अपने लिए माहौल बना रही है, जिससे अगले लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी को या यहां से खड़े होने वाले उनके परिवार के अन्य किसी सदस्य को हराकर कांग्रेस का यूपी से सूपड़ा साफ किया जा सके।
खबरों के मुताबिक केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी 25 दिसंबर को अमेठी पहुंची थीं। इस दौरान उन्होंने सलोन विधानसभा के एक गांव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया। खास बात ये रही कि स्मृति इस दौरान अपने लिए लगाए गए सोफे पर नहीं बल्कि सामने बैठी महिलाओं के बीच जाना उचित समझा।

उनकी समस्याओं को सुन अधिकारियों से उन्हें हल करने का आदेश भी दिया। स्मृति ईरानी लंबे वक्त से इसी तरह अमेठी में राजनीतिक रूप से काम करती रही है । इसी का उन्हें 2019 में लाभ भी मिला। सलोन एक ऐसी विधानसभा सीट है जिसका कुछ हिस्सा अमेठी से जुड़ा है। ऐसे में स्मृति लगातार रायबरेली के इन इलाकों का दौरा कर रही हैं वहां के लोगों से मिल रही हैं, जो कि उनकी भविष्य की तैयारियों को सुनिश्चित कर रहा है।

ऐसा नहीं है कि सबकुछ अंदरखाने ही है। भाजपा ने 2024 के लिए रायबरेली का प्लान तैयार रखा है। पार्टी ने उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को रायबरेली का प्रभार दे रखा है। हाल ही में इस लोकसभा के सपा विधायक ने जब भाजपा का दामन थामा तो उन्हें भी रायबरेली का ही प्रभार दिया गया।

जो दिखाता है कि पार्टी इस मुद्दे पर कितनी ज्यादा गंभीर है। यहां कांग्रेसी विधायक अदिती सिंह से लेकर राकेश सिंह सभी बीजेपी के पक्ष में ही बयान बाजी करते रहते हैं जिसके चलते कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ रही हैं, क्योंकि वहां अब कांग्रेस का झंडा उठाने वाला कोई बड़ा नेता नहीं है जिसकी अपनी एक विश्वसनीयता हो।

सोनिया गांधी की तबियत खराब रहती है। ऐसा माना जा रहा है कि वो इस बार चुनाव नहीं लड़ेगी लेकिन इससे इस सीट की प्रतिष्ठा कम नहीं होगी, क्योंकि संभावनाएं हैं कि पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश का पदभार संभाल रहीं सोनिया की शहजादी प्रियंका गांधी वाड्रा मम्मी की सीट ले सकती हैं, लेकिन हकीकत वही… कि यहां कांग्रेस का कोई नाम लेने वाला तक नहीं है। सोनिया की गैरमौजूदगी में उनके लिए सारा काम करने वाले केएल शर्मा भी निष्क्रिय हैं।

ऐसे में स्मृति के नेतृत्व में बीजेपी ने खाली जमीन देखकर दांव चलना शुरू कर दिया है। बीजेपी ने स्मृति को उसी तरह स्वतंत्र रखा है जैसे अमेठी के चुनाव के लिए रखा था।यही वजह है कि स्मृति लाइमलाइट में ज्यादा नहीं हैं क्योंकि वो परदे के पीछे पार्टी द्वारा दिए गए सबसे कठिन टास्क को अंजाम दे रही हैं।

स्मृति ईरानी ने 2014 में लोकसभा चुनाव में अमेठी की हार के बावजूद वहां सक्रियता रखी। उनको लेकर दिल्ली में तरह-तरह की बयानबाजी हुई लेकिन केंद्रीय मंत्री का तमगा लेकर अमेठी जाने वाली स्मृति ने वहां लोगों की समस्याओं को सुना। 2017 में यूपी सरकार बदलने के बाद योगी सरकार आई तो बहार ही आ गई क्योंकि जनता के काम फटाफट होने लगे और उसका सारा परिणाम 2019 में आया जहां राहुल गांधी रणछोड़ साबित हुए।

भले ही पार्टी ने रायबरेली के लिए कोई विशेष नेता नियुक्त न किया हो लेकिन अपने उसी चित-परिचित भावनात्मक अंदाज से स्मृति ईरानी अब रायबरेली में भी बीजेपी के लिए राजनीतिक जमीन तैयार कर रही हैं जिससे 2024 में पूरी तरह कांग्रेस को उत्तर प्रदेश से उखाड़ फेंका जाए।

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