तृणमूल कांग्रेस के MLA, स्वास्थ्यकर्मियों को नहीं, खुद को लगवा रहे हैं Vaccine!

तृणमूल काँग्रेस ने उड़ाई नियमों की धज्जियां 

घोर कलियुग कैसा होता है, इसके दर्शन आपको बंगाल में अवश्य हो सकते हैं। पिछले कई महीनों से बंगाल में हर प्रकार का अन्याय देखने को मिला है। चाहे एक धर्म से घृणा में कई लोगों को बिजली से वंचित करना हो, या फिर अपने विचार से समान विचार न मिलने वाले लोगों की हत्या करनी हो, बंगाल में सब कुछ देखने को मिला है। अब स्थिति यह हो चुकी है कि स्वास्थ्य कर्मचारियों को लगने वाला वुहान वायरस प्रतिरोधक टीका सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के विधायक ही हथिया रहे हैं।

16 जनवरी से देश भर में वुहान वायरस से लड़ने हेतु टीकाकरण अभियान शुरू हुआ है। इसके अंतर्गत देश में दो वैक्सीन – COVISHIELD और COVAXIN दिए जाएंगे। प्राथमिकता की सूची के अनुसार इस टीकाकरण के सबसे पहले लाभार्थी स्वास्थ्य कर्मी होंगे, जिसके लिय अभियान भी शुरू हो चुका है। केवल 16 को ही डेढ़ लाख से अधिक भारतीय स्वास्थ्य कर्मचारियों का टीकाकरण हुआ है, और फिलहाल के लिए कोई साइड इफेक्ट भी नहीं बताए जा रहे हैं।

लेकिन कुछ लोगों को यहाँ भी अपनी हेकड़ी दिखाने से बाज नहीं आना है। तृणमूल काँग्रेस के विधायकों ने नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए न केवल टीकाकरण में शामिल हुए, बल्कि स्वास्थ्य कर्मचारियों को लगने वाला टीका अपने ऊपर लगवाया।

आज तक की रिपोर्ट के अनुसार, “पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्धमान जिले में तृणमूल कांग्रेस के विधायक नियमों को तोड़ते दिखे। भाटार विधानसभा सीट से टीएमसी विधायक ने शनिवार को जिला अस्पताल में कोरोना का टीका लगवाया। यही नहीं टीएमसी के एक और विधायक ने नियमों को तोड़ा। कटवा विधानसभा सीट से रबी चटर्जी ने भी कोरोना की वैक्सीन लगवाई। बता दें, टीकाकरण के पहले दिन तीन लाख से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मियों को कोविड-19 के टीके की खुराक दी जानी थी” 

यहाँ तो चित भी मेरी और पट भी मेरी। यह वही तृणमूल काँग्रेस है, जिसके कुछ नेता किसान आंदोलन के नाम पर सड़क जाम किये हुए थे, जिसके कारण वुहान वायरस के लिए वैक्सीन लेकर आ रहे एक ट्रक को भी अपना रास्ता बदलना पड़ा। अब यही तृणमूल काँग्रेस भाजपा पर कम वैक्सीन भेजने का आरोप लगा रही है। इसी को कहते हैं, ‘उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे’

वुहान वायरस की वैक्सीन लेकर आने वालों का कुछ राज्यों में देवताओं की भांति स्वागत हुआ, आरती तक उतारी गई। लेकिन बंगाल की सत्ताधारी पार्टी ने एक बार फिर दिखा दिया कि आखिर उसके नाम से ही लोगों के चेहरे उतर जाते हैं, और बंगाल देशभर में हंसी का पात्र बन जाते हैं।

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