‘ट्रांसलेटर का हुआ बुरा हाल’, राहुल गांधी के तर्कों ने ट्रांसलेटर के दिमाग के तार हिला दिए

कांग्रेसी युवराज की मज़बूरी और दशा को पूरा देश समझ सकता है, बस सोनिया गांधी ही नहीं समझ पा रही हैं

राहुल

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की तैयारी कर रहे वायनाड से सांसद राहुल गांधी एक बार फिर अपने पुराने रंग में नजर आने लगे हैं। राहुल दक्षिण भारत के राज्यों में चुनाव प्रचार के लिए जब-जब बोलने गए हैं, तब-तब उनकी भाषण कला और बुद्धि का एक नया ही अंदाज जनता के सामने आया है। इसका उदाहरण हाल ही में तमिलनाडु में दिया गया उनका भाषण है, लेकिन उस हास्यास्पद भाषण की अपार सफलता के बाद राहुल केरल में अपने ही पुराने रिकॉर्ड तोड़कर चार कदम और आगे निकल गए हैं, जिसमें उन्होंने सेना के अपमान के साथ ही चीन से लड़ने का एक बेहद अजीब रोडमैप दिया है।

राहुल गांधी दक्षिण भारत में चुनाव प्रचार के दौरान अपने साथ एक अनुवादक रखते हैं, जो उनके द्वारा अंग्रेजी भाषा के वक्तव्यों को स्थानीय भाषा में अनुवाद कर जनता को संबोधित करता है, और सारा झोल यहीं से शुरु हो जाता है। केरल की एक रैली के दौरान राहुल ने जनता के बीच कहा, “देश को आर्मी की कोई जरूरत ही नहीं हैं, क्योंकि देश के किसानों और गरीबों के जरिए ही चीन को सीमा पर मात दी जा सकती है, इसलिए हमें इन्हें मजूबत करना चाहिए।” राहुल का ये बयान इतना अजीबोगरीब था कि उनका अनुवादक भी इस बात को सुनकर हतप्रभ रह गया। इसके बाद उसने बड़ी ही मुश्किल से इस वाक्य को पूरा किया।

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राहुल ने अपने इस भाषण के जरिए एक बार फिर अपनी राजनीतिक अपरिपक्वता जाहिर कर दी है, जो कि बीजेपी के लिए एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है, लेकिन अगर चुनावी राजनीति से इतर भी देखें तो राहुल का ये बयान देश के लिए के एक उथल-पुथल की स्थिति वाला हो सकता है। कांग्रेस कैसे एक ऐसे व्यक्ति को देश के पीएम पद पर पहुंचाने का सपना देख रही हैं जिसे लोगों के कार्यों के बंटे होने तक के बारे में सामान्य जानकारी नहीं है और ये शख्स बिना कुछ सोचे समझे हजारों लोगों की भीड़ में ऊल-जलूल बयान बाजी करता रहता है।

इस देश का किसान अनाज उगाकर प्रत्येक नागिरक को पोषण प्रदान करता हैं, वो अपनी पूरी जिंदगी इस काम में खपा कर दूसरों के लिए जी-जान लगाता है। इसी तरह देश के गरीब और सामान्य नागरिक खुद को बेहतर जीवन प्रदान करने के लिए मेहनत करता है, और इसके जरिए वो देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी बनता है। वहीं सेना यानी सीमा पर खड़ा जवान देश के बाहरी दुश्मनों से लोहा लेता है। वो -30 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर भी सीमा पर इसलिए डटा रहता है, क्योंकि उसकी इस कर्तव्य परायणता के कारण ही देश का किसानों बिना डरे अनाज उगाता है और सामान्य नागरिक अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है, लेकिन राहुल गांधी समाज का ये पूरा कार्यचक्र बदलने पर उतारू हैं।

राहुल लगातार अपने भाषणों के जरिए अपनी राजनीतिक अपरिपक्वता जाहिर करते हैं, कुछ ऐसा ही उन्होंने अपने तमिलनाडु के भाषण  में किया था, जो एक तरह से देश की संप्रभुता को चोट पहुंचाने वाला था। इसके बावजूद राहुल की पार्टी के लोग ही उन्हें ज्यादा सीरियस नहीं लेते हैं और बीजेपी समेत कांग्रेस विरोधी दल इसे एक स्टैंड-अप कॉमेडी समझकर हंसते हुए कांग्रेस की दयनीय स्थिति के मजे लेने लगते हैं।

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