ट्रंप चीनी युवाओं के लिए एक उम्मीद बन गये हैं, वो युवा जो CCP को चीन से बेदखल करना चाहते हैं

CCP के खिलाफ युद्ध छिड़ चुका है!

अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अब चुनाव हार चुके हैं और अब उनपर सोशल मीडिया क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों ने भी एकतरफ़ा प्रतिबंध लगा दिया है। 20 जनवरी के बाद अमेरिका को एक नया राष्ट्रपति मिलना तय है, और वो होंगे Joe Biden! बेशक इस खबर से अमेरिकी Democrats बेहद खुश होंगे। हालांकि, इस खबर से सबसे ज़्यादा झटका किसी को लगेगा तो वह हैं चीनी नागरिक! शायद यही कारण है कि अब Big Tech के खिलाफ लड़ाई में भी चीनी नागरिक खुलकर ट्रम्प के समर्थन में आ गए हैं। इसके अलावा ट्रम्प के चुनाव प्रचार के दौरान भी अमेरिका में चीनी मूल के नागरिकों ने ट्रम्प का ही भरपूर समर्थन किया था। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर ट्रम्प के चीन-विरोधी रुख के बावजूद चीनी लोग ट्रम्प से इतना क्यों लगाव रखते हैं?

दरअसल, ट्रम्प ने पिछले चार सालों के दौरान जिस प्रकार चीन के खिलाफ एक आर्थिक और रणनीतिक युद्ध छेड़ दिया था, उसके बाद CCP के हाथों प्रताड़ित होते चीनी नागरिकों को CCP से आज़ादी की उम्मीद बंध गयी थी। अब जिस प्रकार अब ट्रम्प को चुनावों में हार मिलने के बाद उनके साथ अमेरिका में सलूक किया जा रहा है, और जिस प्रकार उनकी अभिव्यक्ति की आज़ादी छीनी जा रही है, उसके बाद चीनी नागरिकों में उनके प्रति संवेदनशीलता बढ़ गयी है। चीन के लोग अब सोशल मीडिया Weibo पर ट्रम्प पर लगे Big Tech के प्रतिबंध के खिलाफ अभियान छेड़ रहे हैं।

उदाहरण के लिए एक Weibo उपयोगकर्ता ने लिखा, “कानूनी तौर पर वह अभी भी राष्ट्रपति हैं। यह एक तख्तापलट है।” इसके साथ ही Weibo पर चीनी नागरिक अब ट्विटर और Weibo की सेंसर-पॉलिसी की भी तुलना कर रहे हैं। वर्ष 2016 के चुनावों में अधिकतर चीनी नागरिकों और अमेरिका में रह रहे चीनी मूल के लोगों ने Democrats का ही समर्थन किया था। हालांकि, वर्ष 2020 के चुनावों से पहले NBC के एक सर्वे में यह बात सामने आई थी कि करीब 40 प्रतिशत चीनी मूल के अमेरिकी नागरिक अब ट्रम्प का समर्थन कर रहे हैं। यहाँ तक कि Hong Kong से जुड़े लोगों में भी वे बेहद लोकप्रिय थे, क्योंकि ट्रम्प प्रशासन लगातार Hong-Kong सरकार की लोकतन्त्र गतिविधियों के कारण वहाँ के अधिकारियों पर प्रतिबंध लगा रहा था।

चीनी लोगों द्वारा ट्रम्प का समर्थन करने के पीछे एक ही मुख्य कारण था। ट्रम्प का चीन विरोधी रुख चीन के नागरिकों को पसंद आ रहा था। चीनी नागरिकों को यह उम्मीद मिली थी कि “अभेद्य” CCP को भेदने वाला अब एक शख्स मैदान में उतर चुका है, जिसका नाम है डोनाल्ड ट्रम्प! जो रणनीतिक मोर्चे पर Quad के निर्माण के साथ भारत जैसे देश को साथ लेकर CCP के बढ़ते प्रभुत्व को रोकने उसके खिलाफ आर्थिक युद्ध भी छेड़ चुका है। ऐसे में चीनी नागरिकों को ट्रम्प की शक्ल में एक ऐसा साथी मिल चुका था जो CCP के खिलाफ चीनी लोगों की लड़ाई में उनका साथ दे रहा था। हालांकि, अब चुनावों में ट्रम्प की हार के साथ ही चीनी लोगों की यह उम्मीद भी टूट चुकी है।

चीनी लोगों पर CCP की प्रताड़ना किसी से छुपी नहीं है। आज CCP ने चीन को एक सर्विलांस स्टेट में तब्दील कर दिया है। चीन के बढ़ते आर्थिक प्रभाव के साथ ही अब चीन की दमनकारी घरेलू नीतियों के खिलाफ बोलने वाली आवाज़ें गायब होती जा रही हैं। ऐसे में ट्रम्प चीनी नागरिकों के लिए किसी वरदान से कम नहीं थे। उनका ऑफिस से बाहर जाना चीनी नागरिकों के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है।

 

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