कहते हैं, दूसरों को सताने का मतलब तभी समझ में आता है, जब अपने ऊपर बीतती हो। कुछ ऐसा ही अब ट्विटर और फ़ेसबुक जैसी कंपनियों के विरुद्ध भी किया जा रहा है। दशकों से अपने तानाशाही शासन के लिए विवादों में रहने वाले Uganda ने जब फ़ेसबुक और ट्विटर के विरुद्ध चुनाव में दखल डालने के लिए कार्रवाई करने का निर्णय लिया, तो इन दोनों कंपनियों के छाती पर सांप लोटने लगे।
हाल ही में Uganda सरकार राष्ट्रपति के चुनाव करवाने जा रही है, इससे पहले उन्होंने अपने इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को फ़ेसबुक और ट्विटर पर प्रतिबंध लगाने को कहा है। अपने ट्वीट में Uganda सरकार ने स्पष्ट किया है, “राष्ट्रपति की चेतावनी है कि यदि ट्विटर और फ़ेसबुक Uganda वासी के प्रति नरमी नहीं बरतेंगे, तो हम भी उनकी सेवाएं लेने के लिए बाध्य नहीं है”।
The President warns that if the social media channels like @Facebook and @Twitter are not being friendly and equitable to some of the Ugandans, then there is no reason as to why we should have them operate here. @OfwonoOpondo #M7Address pic.twitter.com/OOBioV3nGe
— Government of Uganda (@GovUganda) January 12, 2021
कहा जा रहा है कि Uganda सरकार का समर्थन करने वाले कुछ लोगों के विरुद्ध फ़ेसबुक और ट्विटर ने कार्रवाई करने का प्रयास किया, जिसके चलते Uganda सरकार ने यह निर्णय लिया है। इसके अलावा फ़ेसबुक और ट्विटर पर Uganda के चुनावों में हस्तक्षेप करने का आरोप भी लगा है। Uganda के राष्ट्रपति Yoweri Museveni के अनुसार, “ये दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय था, परंतु ये आवश्यक भी था। मैं क्षमा चाहता हूँ, परंतु यह Uganda है, यहां पर कोई विदेशी नहीं तय कर सकता कि क्या अच्छा है और क्या बुरा है”।
@KagutaMuseveni: ‘About the social platforms that blocked @NRMOnline users; these platforms should be used equitably, if you want to take any parts, then you can't operate in Uganda, because Uganda is our country, we can't accept them to decide who is good and who is bad.
— Government of Uganda (@GovUganda) January 12, 2021
अब इसी बात पर ट्विटर के छाती पर मानो सांप लोटने लगे। इस प्रतिबंध से बौखलाते हुए ट्विटर के आधिकारिक पेज ने ट्वीट किया, “हम इंटरनेट शटडाउन की निन्दा करते हैं। ये बहुत ही घातक हैं, और मानवाधिकार का उल्लंघन करते हैं। हर व्यक्ति का मूल अधिकार है मुक्त इंटरनेट”।
Ahead of the Ugandan election, we're hearing reports that Internet service providers are being ordered to block social media and messaging apps.
We strongly condemn internet shutdowns – they are hugely harmful, violate basic human rights and the principles of the #OpenInternet.
— Global Government Affairs (@GlobalAffairs) January 12, 2021
कमाल है ट्विटर, तुम्हारी फ़्रीडम फ़्रीडम, और ट्रम्प की फ़्रीडम तानाशाही? यही वो ट्विटर है जिसने डोनाल्ड ट्रम्प के शांतिपूर्ण ट्वीट्स को भी हिंसा को भड़काने वाला बताकर उनका अकाउंट ही सस्पेंड कर दिया, और अब Uganda द्वारा कार्रवाई पर विधवा विलाप कर रहा है। शायद इसलिए तुर्की के एंटी ट्रस्ट बोर्ड ने फ़ेसबुक और वॉट्सएप जैसी कंपनियों के विरुद्ध निजता के हनन को लेकर कार्रवाई करनी शुरू कर दी है।
ट्विटर की गुंडागर्दी कई देशों ने समर्थन नहीं किया और आपत्ती जताई। भारत पहले से ही लेह लद्दाख को चीन का हिस्सा बताए जाने और ट्विटर द्वारा कई विषयो पर भारत की संप्रभुता का उल्लंघन करने से क्रोधित है, और भारतीय सांसदों ने चेतावनी भी दी है कि अपनी हरकतों से बाज ना आने पर ट्विटर को इसके दुष्परिणाम भी भुगतने पड़ेंगे। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल के प्रवक्ता ने भी कहा, जर्मनी की और से बयान आया, “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सर्वोपरि होनी चाहिए। ऐसे में जिस प्रकार से राष्ट्रपति ट्रंप के अकाउंट सस्पेंड किए गए हैं, उससे हमारे चांसलर काफी चिंतित है”।
इसके अलावा फ्रांस भी ट्रम्प पर लगे प्रतिबंध को लेकर काफी नाराज है। फ्रेंच वित्त मंत्री Bruno Le Maire ने कहा, “जो बात मुझे हैरान करती है वह यह है कि किस प्रकार से ट्विटर ने ट्रंप का अकाउंट बंद किया है। इस तरह से डिजिटल जगत काम नहीं कर सकता। यह काम सरकार और न्यायपालिका का है”।
जर्मनी, भारत Uganda जैसे देशों की प्रतिक्रियाओं से पता चलता है कि ट्रंप पर अनावश्यक प्रतिबंध किस प्रकार से बाकी देशों के लिए भी बड़ा झटका है। यदि ये ट्रंप के साथ हो सकता है तो किसी भी बड़े नेता के साथ हो सकता है। इसलिए अब बिग टेक कंपनियों के विरुद्ध कई देशों ने मोर्चा संभाल लिया है, और जिस प्रकार से Uganda ने ट्विटर को उसी की भाषा में जवाब दिया है, वो काफी सराहनीय भी है।