“हम निष्पक्ष नहीं हैं”, इंस्टाग्राम के CEO ने आखिरकार अपना असली रंग दिखा ही दिया

इंस्टाग्राम

PC: Brands Magazine

युद्ध रणनीतिक हो या वैचारिक, उसका एक स्पष्ट उसूल है – कभी भी अपने इरादे जगजाहिर न करे। परंतु कुछ लोगों के अंध विरोध में बड़े बड़े सोशल मीडिया कंपनियों के सीईओ ने अपने इरादे ऐसे स्पष्ट किये हैं कि अब उनकी नीयत पर एक गंभीर प्रश्न चिन्ह लग चुका है, जिसे अपने वर्तमान बयान से इंस्टाग्राम के सीईओ Adam Mosseri ने सिद्ध भी किया है।

ट्विटर से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को प्रतिबंधित करने के बाद जिस तरह से ट्रम्प और उनका समर्थन करने वाले हर व्यक्ति या इकाई के पीछे सोशल मीडिया के बड़े टेक कंपनी हाथ धोके पीछे पड़ चुकी है। उदाहरण के लिए पार्लर नामक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए गूगल, एप्पल और एमेजॉन ने अपने अपने सर्वर से उसे हटा दिया है, क्योंकि वह ट्रम्प समर्थकों के लिए एक बहुत लोकप्रिय विकल्प बन रहा था।

इसी बीच एक फ़ेसबुक के उपाध्यक्ष विल ओरेमस ने एक सिविल राइट्स अधिवक्ता को फेसबुक में शामिल किये जाने पर ट्वीट किया,

“ये काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था, अगर हम लोग 5 साल से ज्यादा समय तक एक निष्पक्ष प्लेटफॉर्म होने का स्वांग न रच रहे होते”

इसी के जवाब में इंस्टाग्राम के सीईओ Adam Mosseri ने ट्वीट किया, “हम निष्पक्ष नहीं है। कोई भी प्लेटफॉर्म निष्पक्ष नहीं हो सकता, हमारे अपने आदर्श हैं, जिनके बल पे हम निर्णय लेते हैं। हम गैर राजनीतिक होने का प्रयास करते हैं, पर ये लगभग असंभव है, विशेषकर ऐसे वक्त में, जब अधिक से अधिक लोग अमेरिका में ध्रुवीकरण की ओर बढ़ रहे हैं”।

ऐसे में ये कहना गलत नहीं होता कि अप्रत्यक्ष रूप में इंस्टाग्राम के सीईओ ने संदेश दिया है – हाँ, हम पक्षपाती हैं। इसके संकेत तो बहुत पहले इंस्टाग्राम के स्वामी फ़ेसबुक के सीईओ मार्क ज़ुकरबर्ग ने दे दिए थे, जब सीनेट के समक्ष उन्होंने फ़ेसबुक को एक निष्पक्ष सार्वजनिक फोरम मानने से मना किया था। इसके पश्चात जिस प्रकार से अभी 2021 के प्रारंभ में ट्विटर से लेके फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम तक ने डोनाल्ड ट्रम्प ने कार्रवाई की, उससे निष्पक्षता का चोगा तो कब का उतर चुका था।

ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि इंस्टाग्राम ने अब ये स्पष्ट कर दिया है कि बड़ी टेक कंपनियों से निष्पक्षता की कोई उम्मीद न रखी जाए, और ऐसे में अब ये और अभी आवश्यक है कि इनकी हेकड़ी को जल्द ही नियंत्रण में लाया जाए, क्योंकि ऐसा न करने पर ये टेक कंपनियां कब अमेरिका वाली नीति भारत में दोहराने लगे, किसी को नहीं आभास होगा।

Exit mobile version