‘हमें तुर्की-पाकिस्तान गठबंधन का मुकाबला करना चाहिए’, ग्रीस ने सैन्य सहयोग के लिए भारत से किया आग्रह

तुर्की-पाकिस्तान के विरुद्ध भारत और ग्रीस

सही कहा है किसी ने, दोस्त वही जो संकट के समय काम आए। ग्रीस ने तुर्की के विरुद्ध पूर्वी भूमध्य सागर में घुसपैठ की, जिसमें अप्रत्यक्ष रूप से भारत ने ग्रीस का साथ दिया था। अब ग्रीस चाहता है कि तुर्की के विरुद्ध भारत उसका खुलेआम समर्थन करे, और बदले में वह आतंक के विरुद्ध भारत के अभियान में शामिल होगा, जिसका प्रमुख निशान तुर्की और पाकिस्तान का नापाक गठजोड़ है।

ईकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार एक webinar में ग्रीक राजनीतिज्ञों ने भारत के साथ मजबूत रक्षा संबंधों की ओर अपने कदम बढ़ाने की आशा जताई। रिपोर्ट के अंश अनुसार, “ग्रीक न्यूज पोर्टल Pentaspostagma के प्रमुख संपादक Andreas Mountzoroulias ने कहा कि ग्रीस और भारत के अपने कूटनीतिक संबंधों को और सशक्त बनाने का यह सही समय है। दोनों ही देशों के बगल में आतंक के समर्थक स्थित है – ग्रीस के बगल में तुर्की, और भारत के बगल में पाकिस्तान। ऐसे में इन दोनों के गठजोड़ का मुकाबला करने हेतु ग्रीस और भारत का एक होना अवश्यंभावी है

ऐतिहासिक तौर पर ग्रीस और भारत के बीच में काफी गहरे संबंध रहे हैं, लेकिन स्वतंत्र भारत ग्रीस से उतना निकट नहीं हो पाया है। लेकिन अब समय की मांग है कि दोनों देश अपने कूटनीतिक और सैन्य संबंधों में अधिक निकटता लाए। जैसा कि ग्रीक संपादक ने कहा, ग्रीस तुर्की की हेकड़ी से उतना ही त्रस्त है, जितना कि भारत पाकिस्तान की हेकड़ी से।

जहां ग्रीस तुर्की के भूमध्य सागर में घुसपैठ और कुछ हद तक हागिया सोफिया परिसर को पुनः मस्जिद में परिवर्तित करने से क्रुद्ध है, तो वहीं भारत आए दिन LOC पर घुसपैठ, आतंकवाद और पाकिस्तान में गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचारों से क्रोधित है। ग्रीक सांसद Emmanouil Fragkos ने स्वयं बताया कि भारत और ग्रीस ऐसे देश हैं, जो तुर्की और पाकिस्तान से सदियों पहले से अस्तित्व में रहे हैं। जहां पाकिस्तान में हिन्दू और ईसाई नागरिकों के साथ अत्याचार होता है, तो वहीं तुर्की में ईसाई और यहूदी नागरिकों को प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है

यही नहीं, एथेंस में स्थित Research Institute for European and American Studies के सीईओ जॉन एम नॉमिकोस का मानना है कि ग्रीस और भारत के बीच सैन्य संबंध स्थापित होने से दोनों देशों को समान रूप से लाभ होगा। उनका मानना है कि ऐसा होने से जहां भारत की सुरक्षा प्रणाली को दुरुस्त करने में ग्रीस का भी सहयोग होगा, तो वहीं पूर्व भूमध्य सागर में तुर्की की हेकड़ी को रोकने में भारत की सक्रियता बहुत काम आएगी।

नॉमिकोस को आशा है कि पीएम नरेंद्र मोदी इसी वर्ष ग्रीस का दौरा भी करेंगे। ऐसे में भारत के लिए ये किसी सुनहरे अवसर से कम नहीं होगा, जहां वे एक तीर से दो शिकार कर सकता है। ग्रीस के साथ सैन्य संबंध स्थापित होने पर वह तुर्की और पाकिस्तान के आतंकी गठजोड़ का समूल नाश कर सकता है, तो वहीं खनिज पदार्थों से परिपूर्ण होने के व भूमध्य सागर के निकट होने के कारण ग्रीस के साथ भारत के आर्थिक रिश्ते भी स्थापित हो सकते हैं।ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि यदि ग्रीस और भारत एक हो गए, तो तुर्की और पाकिस्तान के नापाक गठजोड़ को धूल चटाने में किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होगी।

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