आज पूरी दुनिया देख रही है कि अमेरिका में कैसी उथल पुथल मची हुई है। बाइडन के सत्ता संभालने में कुछ ही दिन शेष हैं, परंतु सत्ता का हस्तांतरण शांतिपूर्ण तो बिल्कुल नहीं हुआ है। हाल ही में अमेरिका के वाशिंगटन में प्रदर्शनकारी इतने उग्र हुए कि उन्होंने अमेरिका के Capitol बिल्डिंग [जहां अमेरिका का शीर्ष प्रशासन कार्य करता है] पर धावा बोल दिया। लेकिन जो कुछ भी अमेरिका में हुआ है, वह बस न्यूटन के तीसरे सिद्धांत का जीत जागता स्वरूप है।
अब Capitol बिल्डिंग पर हमले को किसी भी स्थिति में उचित नहीं ठहराया जा सकता। एक महिला समेत 4 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। लेकिन ऐसा भी क्या ट्रम्प के समर्थकों को Capitol बिल्डिंग पर धावा बोलने की आवश्यकता पड़ी, और कुछ समय के लिए उन्होंने सदन अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी के दफ्तर समेत सीनेट हॉल पर भी कब्जा जमाया?
ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि अबकी बार अमेरिका का चुनाव काफी विवादों के घेर में रहा है। सर्वप्रथम तो ट्रम्प के समर्थकों को लगता है कि डोनाल्ड ट्रम्प ने चुनाव में विजय प्राप्त की है। एक व्यक्ति ने तो सीनेट हॉल में ये भी घोषणा की, “ट्रम्प चुनाव का विजेता है।” पूरे देश में ट्रम्प के समर्थन में नारे लगाए जा रहे हैं और कई राजकीय भवनों पर ट्रम्प समर्थकों ने धावा बोल दिया है, चाहे वो जॉर्जिया हो, न्यू मेक्सिको हो, एरिजोना हो फिर ओकलाहोमा ही क्यों न हो। हर जगह नारे लग रहे हैं कि ‘चोरी रोकी जाए’ एवं ‘चार साल और’ इत्यादि।
दरअसल वे इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि उन्हे लगता है कि ट्रम्प के हाथ से चुनावी विजय छीनी गई है। उन्होंने जब विरोध स्वरूप अपनी याचिकाएँ कोर्ट में दायर की, तो उनकी बातें सुनने के बजाए उन्हे बाहर खदेड़ दिया गया। रही सही कसर तो वामपंथी मीडिया ने उनके दलीलों का उपहास उड़ा के पूरी कर दी।
लेकिन प्रश्न अब भी वही है – आखिर ट्रम्प समर्थकों को राजधानी में धावा बोलने की जरूरत क्यों पड़ी? उन्हें ऐसा लगने लगा है कि अब उनकी कोई नहीं सुन रहा है, और उन्होंने डेमोक्रेट द्वारा समर्थित अराजकतावादियों के नक्शेकदम पर चलते हुए वाशिंगटन डीसी पर धावा बोल दिया।
आज जो डेमोक्रेट कानून के राज का रोना रो रहे हैं, वही लोग पिछले वर्ष BLM प्रदर्शन के नाम पर हो रहे दंगों और दंगाइयों द्वारा मचाए गए उत्पात को समर्थन दे रहे थे। यही लोग किसी भी तरह डोनाल्ड ट्रम्प को सत्ता से हटाने के लिए आतुर थे, चाहे पूरे अमेरिका को आग में क्यों न झोंकने पड़े। ऐसे में डेमोक्रेट्स के घड़ियाली आँसू का किसी पे कोई असर नहीं पड़ रहा है, क्योंकि जो आज वाशिंगटन में हो रहा है, वो उन्ही के द्वारा फैलाए गए विद्वेष की प्रतिक्रिया है, और संभवत इस अराजकता के प्रति क्रोध अब अमेरिकी राजधानी में स्पष्ट दिखाई दे रहा है।