कोरोना के बाद किसी ने सबसे अधिक नुकसान झेला है तो वो है चीन की टेक कंपनियाँ, जिसमें हुवावे का नाम सबसे ऊपर है। अब इसी क्रम में ट्रम्प प्रशासन ने अगले बड़े चीनी स्मार्टफोन निर्माता, Xiaomi पर अपनी नज़रें गड़ा दी हैं। गुरुवार को, अमेरिकी प्रशासन ने चीनी सेना से संबंध रखने वाली 9 कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया जिसमें दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी Xiaomi भी शामिल है।
दरअसल, कोरोना काल में कई चीनी राज खुलने के बाद दुनिया भर में चीनी टेक कंपनियों का बहिष्कार होना शुरू हुआ। हुवावे, टेंसेंट सहित कई कंपनियों को भयंकर नुकसान झेलना पड़ा। अमेरिका सहित दुनिया के कई देश सुरक्षा कारणों से हुवावे को बैन कर चुके हैं जिसके कारण आज यह कंपनी अपने न्यूनतम स्तर पर है। ऐसे में Xiaomi धीरे-धीरे सबसे बड़ी चीनी टेक कंपनी बनने की राह पर थी। परंतु अब अमेरिका ने इसे भी ब्लैकलिस्ट कर चीन को एक जोरदार झटका दिया है। इस कदम के बाद, अमेरिकी निवेशक अब इस विशेष ब्लैकलिस्ट में जोड़ी गई कंपनियों में निवेश नहीं कर सकते हैं। वे Xiaomi जैसी कंपनियों के शेयरों और होल्डिंग्स को नहीं खरीद सकते हैं और अगर उनके पास पहले से शेयर हैं तो 11 नवंबर, 2021 तक उसे बेचना होगा। यानि Xiaomi का मार्केट खराब कर देने की पूरी व्यवस्था कर दी गयी है। उदाहरण के लिए Qualcomm Ventures ने सार्वजनिक रूप से Xiaomi में निवेश किया है, इसलिए 12 नवंबर तक, Qualcomm को अपनी होल्डिंग्स बेचनी होगी। यह Xiaomi के शेयर की कीमत को प्रभावित करेगा। रिपोर्ट के अनुसार बैन लगने के बाद कंपनी के शेयर में 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी थी।
इस कदम से पहले, ट्रम्प प्रशासन का ध्यान टेलीकॉम और सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी जैसे महत्वपूर्ण उद्योगों से चीनी कंपनियों को ब्लैकलिस्ट करने पर केंद्रित था। वर्तमान में, अमेरिका ने 60 से अधिक चीनी कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है, जिसमें दुनिया की सबसे बड़ी ड्रोन निर्माता DJI और चीन की शीर्ष सेमीकंडक्टर फर्म SMIC शामिल हैं।
अमेरिकी बैन की देखा-देखी कई देशों ने हुवावे पर जांच शुरू कर दी और कई देशों ने तो बैन भी लगा दिया था। अब जिस तरह से Xiaomi को अमेरिका ने बैन किया है इसका असर दुनिया कई देशों में भी देखने को मिल सकता है। भारत ने पहले ही कई चीनी कंपनियों और ऐप्प के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। जब भारत सरकार ने कई चीनी ऐप्प बैन किए थे तब Xiaomi का ब्राउज़र भी बैन किया गया था। अब भारत सरकार भी Xiaomi पर अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों पर अवश्य ही नजर बनाए हुए होगी।
कुछ दिनों पहले ही फिलिप्स ने Xiaomi India के खिलाफ मामला दर्ज कराते हुए, दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा था कि उसके कंपनी के पेटेंट का उल्लंघन करने वाले Xiaomi फोन की बिक्री पर प्रतिबंध लगाए। इस तरह के आरोप Xiaomi पर कई बार लग चुके हैं। यही नहीं, इस कंपनी पर डेटा चोरी कर चीन के लिए जासूसी करने का भी आरोप लग चुका है।
Forbes में छपी हाल ही की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह दावा किया है कि Xiaomi ना सिर्फ मोबाइल में इन्स्टाल हुई कुछ एप्स का डाटा चीन के किसी सर्वर में भेजता है, बल्कि वेब browser में browse किए जाने वाले URLs से जुड़ी जानकारी को भी कहीं फोन से बाहर भेजा जाता है, फिर चाहे यूजर किसी भी मोड में browser को इस्तेमाल कर रहा हो। ऐसे में इस कंपनी पर अब बैन लगाया जाना आवश्यक नजर आता है। चीन की Xiaomi कंपनी आज भारत में घर-घर तक अपनी पहुंच बना चुकी है। भारत में यह कंपनी मोबाइल फोन बाज़ार के लगभग 30 प्रतिशत हिस्से पर अपना कब्जा जमा चुकी है। ऐसे में भारत सरकार को भी जल्द ही अमेरिका की तरह ही कोई ठोस कदम उठाना चाहिए।