योगी ने अखिलेश के Career को 2017 में ही खत्म कर दिया था, अब ओवैसी बचा-कुचा Career भी खत्म करने की कगार पर है!

ओवैसी ने खुद को बताया 'लैला' कहा 'मेरे कई मजनू हैं'

AIMIM नेता असद्दुदीन ओवैसी ने अब उत्तर प्रदेश आओ लेकर एक नया गेम प्लान तैयार किया है, जिसकी पहली गूंज समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की लोकसभा सीट आजमगढ़ से सुनाई दी है। ओवैसी ने सपा और अखिलेश को उनके गढ़ में खूब लताड़ा है, और बताया है कि उनकी सरकार में ओवैसी को उत्तर प्रदेश में आने ही नहीं दिया जाता था, लेकिन अब उत्तर प्रदेश में सरकार बदल चुकी है।

बीजेपी ने 2017 विधानसभा चुनाव में अखिलेश को आसमान से जमीन पर पटक दिया था, ठीक उसी तर्ज पर अखिलेश यादव से बदला लेने की नीति अपनाते हुए ओवैसी अब अखिलेश की पार्टी को 2022 में नेस्तनाबूद करने की तैयार हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पार्टी का विस्तार करने की कोशिश में जुटे AIMIM चीफ और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी पश्चिम बंगाल के अलावा उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने की रणनीति बना चुके हैं। इसके लिए उन्होंने यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर की पार्ट से गठबंधन भी कर लिया है।

उन्होंने सपा के गढ़ आजमगढ़ में एक जनसभा की और कहा, “उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार थी तो उन्होंने 12 बार मुझे यूपी आने से रोका। 28 बार उन्होंने प्रदेश में हमारे कार्यक्रम को इजाजत नहीं दी।” उन्होंने कहा, “अब हम न तो ताली बजाएंगे और ना ही सिर्फ वोट करेंगे बल्कि अपने हक के लिए लड़ेंगे।” ओवैसी पर हमेशा ही बीजेपी की ‘बी’ टीम होने के आरोप लगते हैं।

इसको लेकर उन्होंने कहा, “भारत की राजनीति में कोई लैला है तो मैं हूं, मेरे कई मजनू हैं। बिहार में भी हमारी पार्टी सेक्युलर मोर्चे के साथ थी, जिसकी अगुवाई कुशवाहा कर रहे थे। मेरा मकसद होता है मेरे मोर्चे के लोग जीतें। मैं यह क्यों देखूंगा कि कौन जीतेगा कौन हारेगा।” इसके साथ ही असद्दुदीन ओवैसी ने समाजवादी पार्टी को सोशल मीडिया की पार्टी बताया है।

अखिलेश यादव की राजनीति को कभी असद्दुदीन ओवैसी सूट नहीं करते थे, यही कारण है कि वो उन्हें हमेशा उत्तर प्रदेश में आने से रोकते रहे। हालांकि सरकार बदलने के बाद से अब उनका UP सहज  हो गया है। अखिलेश की पार्टी सपा ज्यादातर मुस्लिम यादव के समीकरण पर ही चुनाव लड़ती रही है और जब जब ये समीकरण बिगड़ा है तो सपा को नुक्सान झेलना पड़ा है, 2017 में ऐसे ही स्थितियां बदल गई थीं।
बीजेपी के चाणक्य अमित शाह के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के सारे जातीय और धार्मिक समीकरण और तिलिस्म टूट गए थे और अब योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद यहां की आबादी में उत्साह की स्थिति है। उनकी लोकप्रियता लोगों के सिर चढ़कर बोल रही है। समाजवादी पार्टी समेत सभी पार्टियों की सांप्रदायिक और जातिवादी राजनीति खत्म हो गई है लेकिन कुछ कसर अभी भी बची है जिसके चलते ये लोग फड़फड़ाते रहते हैं।

अखिलेश समेत कांग्रेस और बसपा की फड़फड़ाहट ओवैसी को रास आ रही है जिसके चलते ओवैसी ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है, जिससे अल्पसंख्यक समुदाय को एक नया विकल्प मिलेगा, वोट बंटने की स्थिति में बीजेपी को तो फायदा होगा ही। वहीं ओवैसी ने विधानसभा चुनाव 2022 में उत्तर प्रदेश की सभी पार्टियों को किनारे लगाने के साथ ही अखिलेश यादव की राजनीति को इतिहास बनाने की तैयारी कर ली है।

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