‘धार्मिक भावनाएँ आहत कर आप यूँ ही नहीं निकल सकते’, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई तांडव बनाने वालों को लताड़

'तांडव' निर्माताओं की याचिका SC ने की निरस्त

तांडव के क्रू को हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से करारा झटका लगा। यूपी पुलिस की कार्रवाई से घबराकर तांडव के निर्माताओं, अभिनेता मोहम्मद जीशान अयूब सहित कई हस्तियों ने गिरफ़्तारी पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली। सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ इस याचिका को निरस्त किया, बल्कि इन लोगों को धार्मिक भावनाएँ आहत करने के लिए जमकर लताड़ लगाई।

दरअसल तांडव वेब सीरीज में कई ऐसे दृश्य थे, जो न सिर्फ हिन्दू विरोधी, बल्कि भारत विरोधी भी थे। इसी के चलते उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और यहाँ तक कि महाराष्ट्र में भी कई FIR दर्ज की गई, जिसके बाद अभिनेता मोहम्मद जीशान अयूब, निर्देशक अली अब्बास ज़फ़र एवं एमेजॉन प्राइम इंडिया की क्रिएटिव हेड अपर्णा पुरोहित ने इन मुकदमों के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की।

इस मुकदमे को सुनने के लिए जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एम आर शाह की न्यायिक पीठ गठित हुई थी। सुनवाई के दौरान याचिककर्ताओं की दलील थी कि अलग अलग राज्यों के मुकदमों का भार वे क्यों ले, जब उन्होंने आपत्तिजनक सीन डिलीट कर दिए हैं।जीशान अयूब का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल ने दलील दी, “जो बयान अभिनेता के किरदार ने दिए, वो अभिनेता के साथ नहीं जोड़े जा सकते।”

दूसरी ओर एमेजॉन का प्रतिनिधित्व कर रहे सिद्धार्थ लूथरा ने दलील दी, “तांडव में कोई भी आपत्तिजनक कॉन्टेन्ट नहीं था, फिर भी निर्माताओं ने कुछ सीन डिलीट किये। एमेजॉन प्राइम और अन्य OTT प्लेटफ़ॉर्म दूरदर्शन की तरह काम नहीं कर सकते। ये वैकल्पिक है, जब आप देखते हैं, तो आप इसकी सेवाओं को स्वीकारते हैं।”

अब बता दें कि तांडव के विरुद्ध भड़काऊ कंटेन्ट दिखाने और हिन्दू देवी देवताओं, विशेषकर भगवान शिव और प्रभु श्रीराम को निशाना बनाने के आरोप है। उत्तर प्रदेश पुलिस तो बाकायदा सर्च वॉरन्ट लेकर मुंबई आ पहुंची, ताकि वेब सीरीज के रचयिताओं से पूछताछ की जा सके। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के सामने तांडव के मेकर्ज की एक न चली। सुप्रीम कोर्ट ने केवल इनकी याचिका को निरस्त नहीं किया, बल्कि तांडव के रचयिताओं को स्पष्ट बताया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अनंत नहीं है, और उन्हें कुछ सीमाओं के अंतर्गत काम करना पड़ेगा।

उन्होंने तांडव के रचयिताओं को बॉम्बे हाई कोर्ट में अपनी याचिका पेश करने को कहा। सिद्धार्थ अग्रवाल ने जब मोहम्मद जीशान अयूब का बचाव करने के लिए ऊटपटाँग दलीलें दी, तो जस्टिस एम आर शाह भड़क गए और उन्होंने खूब खरी खोटी सुनाते हुए कहा, “जब आपने कान्ट्रैक्ट स्वीकारा था, तो आपने स्क्रिप्ट भी पढ़ी होगी, फिर आप ऐसा काम क्यों करते हो, जिससे लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचे?”

ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि तांडव के रचयिताओं द्वारा गिरफ़्तारी पर रोक लगाने की याचिका को ठुकराकर सुप्रीम कोर्ट को ने स्पष्ट कर दिया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का बेजा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने तांडव के रचयिताओं की दलील ठुकराकर उन्हे आईना दिखाने का काम किया है।

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