लोगों की राय लेकर बने घोषणापत्र के कारण BJP पूर्व में बड़ा हाथ मार चुकी है, अब तमिलनाडु और बंगाल में फिर वही होगा

जनता के चुनाव, जनता के मुद्दे और जनता का घोषणापत्र

जल जीवन मिशन का उद्घाटन करते मोदी जी

देश की सत्ता धारी और दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी की खासियत रही है कि वो चुनाव में घोषणापत्र को लेकर जो भी वादा करती है, उसे पूरा करने के लिए तत्पर रहती है। ऐसे में खास बात ये भी है कि वो घोषणापत्र किसी बंद कमरे में नहीं बनाती, बल्कि जनता के लिए बनने वाला घोषणापत्र भी जनता से बात करके ही बनता है।

अपनी इसी नीति पर चलते हुए BJP पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के लिए भी जनता से ही घोषणापत्र के लिए सुझाव मांगेगी, जो कि एक बार फिर बीजेपी के लिए गेमचेंजर साबित होने वाला है क्योंकि बीजेपी की इस स्कीम का इतिहास काफी सकारात्मक रहा है।

बीजेपी ने एक नई नीति शुरु की थी जिसके तहत वो अपनी चुनावी वादों के लिए जनता के बीच कुछ लेकर नहीं जाती थी, बल्कि वो जनता से ही मुद्दों पर सुझाव मांगती है। बीजेपी का ये तरीका लोगों को खूब पसंद आया है। इस तरह से लोगों के बीच का सुझाव, सवाल और परेशानियां पार्टी की नजर में आती हैं और सुझावों के जरिए उसे ये भी पता चलता है कि पार्टी का कितना बड़ा जनाधार है।

ऐसे में इसके परिणाम सभी को सामने देखने को भी मिले हैं कि किस तरह से देश में राज्यों के चुनावों में और खासकर लोकसभा 2019 के चुनावों में भी बीजेपी को जीत मिली थी।
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ऐसे में बीजेपी अब अपनी इसी नीति को अधिक विस्तार देने की तैयारी कर चुकी है, जिसके चलते पार्टी अध्यश्र जगत प्रकाश नड्डा के नेतृत्व में बीजेपी पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के चुनावों में अपने घोषणापत्र के लिए जनता से सुझाव मांगने की तैयारी कर रही है। इस संबंध में पश्चिम बंगाल के बीजेपी सह-प्रभारी अमित मालवीय ने कहा, “पार्टी प्रमुख जे पी नड्डा गुरुवार को कोलकाता में पार्टी की प्रदेश इकाई मुख्यालय से ‘लोक्खो सोनार बांग्ला’ घोषणापत्र भीड़ अभियान की शुरूआत करेंगे। इस अभियान के माध्यम से बीजेपी सीधे तौर पर राज्य के नागरिकों से जुडे़गी और उनसे सुझाव मांगेगी, ताकि अगले पांच वर्षों के लिए राज्य के लिए एक दृष्टिपत्र तैयार किया जा सके।”

उन्होंने इस संबंध में बताया कि करीब दो करोड़ लोगों से सलाह ली जाएगी, और उसी सलाह के आधार पर पार्टी अपना घोषणापत्र तैयार करेगी। ये प्रावधान केवल बंगाल ही नहीं बल्कि तमिलनाडु के चुनावों पर भी लागू होता है। उन्होंने कहा, “पूरे राज्य की यात्रा करने वाले 294 एलईडी रथों के माध्यम से सुझाव एकत्र किए जाएंगे और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए मोबाइल या टैबलेट के साथ सुझाव पत्र भी दिए जाएंगे। राज्यों के हर कोने में नागरिकों तक पहुंचने के लिए राज्य भर में लगभग 30,000 सुझाव बॉक्स (प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में 100) लगाए जाएंगे।”

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बीजेपी की ये वो स्कीम है जो कि 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनाई गई थी और इसके फायदे देश ने देखे भी थे, क्योंकिन बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अपना अभूतपूर्व प्रदर्शन किया था। ऐसे में बीजेपी के लिए पश्चिम बंगाल तमिलनाडु विधानसभा चुनाव को लेकर इस स्कीम को फिर से लागू करना बीजेपी के लिए गेमचेंजर बन सकता है। इसके तहत पार्टी डिजिटल माध्यमों से जनता से सुझाव मांगेगी, जो सबसे सहज है, और बंगाल की कानून व्यवस्था को देखते हुए काफी सकारात्मक भी।

ऐसे में बीजेपी के घोषणापत्र का जनता के सुझावों से बनना उसके ट्रैक रिकॉर्ड के मुताबिक सकारात्मक रहा है और बीजेपी के बढ़ते जनाधार के बीच बंगाल में इस स्कीम का लागू होना बीजेपी के लिए एक फायदा बनने वाला है, क्योंकिन इससे जनता का सीधा पार्टी से जुड़ाव बढ़ता है।

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