बाइडन को राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण किए मात्र एक महीना ही हुआ है लेकिन उन्होंने आते ही सीरिया में बॉम्बिंग का आदेश दिया है। बाइडन का यह फैसला चौकाने वाला तो था ही, उनकी विदेश नीति में विरोधाभास को भी दिखाता है। सर्वविदित है कि डेमोक्रेटिक पार्टी युद्धों के लिए जानी जाती है, सबसे विभीषिक युद्धों का श्रेय डेमोक्रेटिक राष्ट्रपतियों को ही जाता है।
अमेरिका ने कहा है कि यह हमला ईरान समर्थित आतंकियों की ओर से इराक़ में मौजूद अमेरिकी गठबंधन सेना पर हुए हमले के जवाब में किया गया है। बॉम्बिंग उन इलाकों में हुई है जिनमें ईरान समर्थित आतंकी प्रभावी हैं। पेंटागन के प्रेस सेक्रेटरी जॉन किर्बी ने कहा “यह स्ट्राइक अमेरिका और गठबंधन सेना के लोगों पर हुए हालिया हमले और भावी खतरों को देखते हुए, इसके जवाब में की गई थी।”
गौरतलब है कि यह हमला कितना सफल हुआ और वास्तव में कितने आतंकी मारे गए यह अभी साफ नहीं हुआ है। ईरान और सीरिया ने भी इसपर कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं दी है केवल इतना कहा है कि अमेरिका को अंतरराष्ट्रीय कानूनों और सीरिया की सम्प्रभुता का सम्मान करना चाहिए।
सीरिया ने कहा है “यह अमेरिका की कायराना हरकत है” और “यह नए अमेरिकी प्रशासन, जिसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करना चाहिए, उसकी नीतियों के संदर्भ में एक खराब संकेत है”। ईरान ने कहा है कि यह गैरकानूनी है और अंतरराष्ट्रीय कानूनों और मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
ईरान की प्रतिक्रिया सामान्य ही मानी जानी चाहिए क्योंकि इसके पूर्व जब ट्रम्प प्रशासन के दौरान सुलेमानी को मार गिराया गया था तो ईरान ने जैसी प्रतिक्रिया दी थी, उसके बाद यह लगने लगा था कि दोनों देश युद्ध के कगार पर पहुंच गए थे।
वास्तव में यह स्ट्राइक रणनीतिक कम और राजनीतिक अधिक थी। बाइडन जब से सत्ता में आये हैं, ईरान के साथ न्यूक्लियर डील के लिए काफी उत्साहित हैं। इतने उत्साहित की उन्होंने मध्य पूर्व की अमेरिकी नीति में काफी परिवर्तन कर दिये, जिससे ईरान को खुश किया जा सके।
वे यमन गृहयुद्ध से अलग हो गए, उन्होंने सऊदी अरब के सहयोगी देशों को सैन्य सामान की आपूर्ति पर रोक लगा दी। इसके बाद इजरायल के प्रति नीति में भी बदलाव किया। इन सबसे उन्हें लाभ नहीं हुआ, बल्कि ईरान का रवैये और दृढ़ होता गया। वह यूरेनियम संवर्धन करने लगा और उसने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक उसपर लगे प्रतिबंध नहीं हटाए जाते वह बातचीत के लिए नहीं तैयार होगा।
ईरान के प्रति कमजोर नीति अपनाने के कारण बाइडन अमेरिका में घिरने लगे थे। साथ ही जैसी राजनीतिक गतिविधियां अमेरिका में हो रही हैं, उससे यह संकेत भी मिल रहा है कि ट्रम्प 2024 के चुनावों में वापसी कर सकते हैं। ऐसे में बाइडन नहीं चाहते कि उन्हें एक कमजोर राष्ट्रपति के रूप में देखा जाए। इस स्ट्राइक ने उन्हें अपनी छवि सुधारने का मौका दिया है। एयर स्ट्राइक के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने सार्वजनिक रूप से यह भी कहा है कि अमेरिकी स्ट्राइक ईरान को संदेश है। स्ट्राइक से बाइडन की राजनीतिक जरूरत भले पूरी हो जाए, लेकिन इससे ईरान के रवैये पर कोई प्रभाव पड़ेगा, इसकी उम्मीद कम है।