असली नेता वही जो जनता की लहर को पहचान ले। किसान आन्दोलन के विरोध में जनता के बीच बढ़ती भावना को देखते हुए अब कैप्टन अमरिंदर के बाद हरियाणा के कद्दावर नेता भूपेन्द्र सिंह हुड्डा भी किनारा करने का फैसला लिया है। पंजाब में अमरिंदर सिंह ने किसान आंदोलन को अब महत्व देना कम कर दिया है, ठीक उसी तरह अब हुड्डा भी नहीं चाहते कि आंदोलन में कांग्रेस शामिल हो। उन्हें ऐसा लगता है कि इससे बीजेपी को फायदा होगा।
दरअसल, किसान आन्दोलन में खालिस्तानियों की भूमिका और देश विरोधी घटनाओं के सामने आने से जनता के बीच इस आन्दोलन को लेकर नकारात्मक भावनाएं अब चरम पर है। इस आन्दोलन से जुड़े रहना या समर्थन देना जनता से दूरी बनाने जैसा हो चुका है क्योंकि अब अधिकतर लोग इस आन्दोलन के वास्तविक मकसद को समझ चुके है। शायद यही कारण है अब भूपेन्द्र सिंह हुड्डा तथा हरियाणा के अन्य कांग्रेसी नेता भी पार्टी को किसान आन्दोलन से दूर रहने की सलाह दे रहे हैं।
कांग्रेस चाहती है कि अब पार्टी को खुलकर किसान आंदोलन में कूद जाना चाहिए। कांग्रेस इस रणनीति से मोदी सरकार को गांव-गांव तक घेरने की योजना बना रही। यही नहीं इससे राहुल गांधी की ‘री-लॉन्चिंग’ भी हो सकती है लेकिन, हरियाणा कांग्रेस के ज्यादातर बड़े नेता पार्टी के प्रस्ताव से सहमत नहीं नजर आ रहे हैं।
OneIndia की रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस के फैसले पर असहमति जताने वालों में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी शामिल हैं। पिछले शुक्रवार को दिल्ली में इसको लेकर पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने एक बैठक बुलाई थी, जिसमें पार्टी के प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल भी मौजूद थे। भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने अपनी बैठक में स्पष्ट तौर पर कहा कि ‘किसानों को ही आंदोलन की अगुवाई करने दीजिए।’ रिपोर्ट के अनुसार इस बैठक में उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस तो ‘पहले से इसका समर्थन’ कर ही रही है। वह सैद्धांतिक तौर पर पार्टी के प्रस्ताव के समर्थन में हैं, लेकिन उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि बीजेपी इसे राजनीतिक रंग दे सकती है। कांग्रेस को इस प्रस्ताव के खिलाफ आगाह करने वालों में कई और वरिष्ठ नेताओं का नाम भी सामने आ रहा है। इनमें रघुवीर सिंह कादियान और जय प्रकाश भी शामिल हैं। यानि स्पष्ट तौर पर वे कांग्रेस को किसान आन्दोलन से दूर रहने की सलाह डे रहे हैं।
इससे पहले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी इस आन्दोलन से दूरी बना चुके हैं। एक तरफ जहां राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लाल किले पर हुई घटना का ठीकरा पुलिस वालों और केंद्र सरकार पर फोड़ने का प्रयास किया, तो वहीं, अमरिंदर सिंह ने उन्हीं के दावों की धज्जियां उड़ाते हुए पाकिस्तानी तत्वों को इस हिंसक घटना के लिए दोषी बताया था। अमरिंदर सिंह के अनुसार, “मुझे नहीं लगता कि किसान हिंसा में शामिल थे। मैंने कई बार चेतावनी दी कि पाकिस्तान घुसपैठ की कोशिश कर रहा है। इसे लेकर मैं काफी समय से चेतावनी दे रहा हूं, क्योंकि एक परेशान पंजाब पाकिस्तान की नीतियों को सूट करता है।” कैप्टन साहब किसान आंदोलन को लेकर गृहमंत्री अमित शाह से मिल चुके हैं और उन्होंने इसे देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताया है।
ये वही कैप्टन हैं जो केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोलकर बैठे थे और कह रहे थे कि किसान को खालिस्तानी कहना गलत है। पूरे देश में कांग्रेस की एक मात्र मजबूत सरकार पंजाब में है, इसलिए कैप्टन अमरिंदर सिंह किसानों को भड़काकर पार्टी के लिए राष्ट्रीय माहौल बनाने की कोशिश कर रहे थे। अब उन्हें अपनी ही बात को नजरंदाज करना पड़ रहा है अब उनकी ही राह पर हरियाणा के दिग्गज नेता भूपेन्द्र सिंह हुड्डा भी आ चुके हैं। ऐसे में अब यह देखना है कि राहुल गांधी क्या निर्णय लेते हैं।