राजदीप के बाद The Wire के सिद्धार्थ वरदराजन पर Fake News फैलाने के आरोप में हो सकती है कार्रवाई

सिद्धार्थ वरदराजन पर UP में दर्ज हुआ केस, देश तोड़ने वालों को अब उत्तर देगा उत्तर प्रदेश!

सिद्धार्थ

जिन्हें भी लग रहा था कि लाल किला पर हमला करने वाले, देश को फेक न्यूज़ के माध्यम से भ्रमित करने वाले और उनके राजनीतिक या बौद्धिक आका हर बार की तरह बच के निकल जाएंगे, उन्हें यूपी पुलिस यथार्थ की घुट्टी पिलाने के लिए पूरी तरह तैयार है। राजदीप सरदेसाई पर हुई कार्रवाई के बाद अब यूपी पुलिस ने जानबूझकर फेक न्यूज फैलाने के लिए द वायर के संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन के विरुद्ध केस दर्ज किया है।

दरअसल, सिद्धार्थ वरदराजन ने द वायर के माध्यम से ये खबर फैलाने का प्रयास किया था कि एक किसान को वास्तव में गोली से मारा गया है, और सरकार इस बात को जानबूझकर छुपा रही है। इसी को लेकर यूपी पुलिस ने रामपुर में सिद्धार्थ वरदराजन के विरुद्ध FIR दर्ज की है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, “संजु तुरहिया द्वारा दायर FIR के अनुसार, सिद्धार्थ वरदराजन ने जानबूझकर लोगों को भड़काने के लिए भ्रामक खबरें फैलाई हैं, जिसके लिए उसके विरुद्ध आईपीसी की धारा 153 B (imputations, assertions prejudicial to national integration) और धारा 505(2) (statements creating or promoting enmity between classes) के अंतर्गत शिकायत दर्ज की गई है।” 

 

लेकिन समस्या आखिर किस बात की है? दरअसल, द वायर ने कुछ दिनों पहले एक रिपोर्ट निकाली थी, जिसमें ये दावा किया गया कि जिस किसान की मृत्यु ट्रैक्टर पलटने से हुई थी, उसे दिल्ली पुलिस ने ही गोली मारी, लेकिन पुलिस ये बात जानबूझकर छिपा रही है। इसके लिए एक कथित डॉक्टर के बयान भी दिए गए, जिसका सच्चाई से कोई वास्ता नहीं। ये वही मृत किसान है, जिसके बारे में गोली मारे जाने की गलत रिपोर्ट के कारण राजदीप सरदेसाई को इंडिया टुडे की नौकरी से ही हाथ धोना पड़ा।

लेकिन राजदीप सरदेसाई पर हुई कार्रवाई के बावजूद सिद्धार्थ वरदराजन ने झूठ फैलाना जारी रखा, जिसके विरुद्ध आखिरकार यूपी पुलिस ने FIR दर्ज करवाई। शिकायत में लिखा गया है, “सिद्धार्थ वरदराजन ने ट्विटर पर पोस्ट किया कि दिल्ली किसान आंदोलन में मारे गए नवनीत सिंह के दादा हरदीप सिंह ने आरोप लगाया कि पोस्टमॉर्टम करने वाले एक डॉक्टर ने उन्हे बताया कि मौत यकीनन गोली लगने से हुई है, परंतु इस बात को वह सार्वजनिक नहीं कर सकते, क्योंकि उनके ‘हाथ बंधे हुए हैं। इस रिपोर्ट से यही संकेत जाता है कि पुलिस का बयान गलत है, ताकि लोगों को भड़काया जा सके।” 

अब इस बात से स्पष्ट होता है कि सिद्धार्थ वरदराजन ने राजदीप सरदेसाई पर हुई कार्रवाई से कोई सबक नहीं लिया है, तभी उन्होंने एक फर्जी खबर को जानबूझकर हवा देने का प्रयास किया है, ताकि अशान्ति फैले और इसके लिए भी सरकार को दोषी ठहराया जा सके। इसी कारण से कुछ दिनों पहले यूपी पुलिस ने राजदीप सरदेसाई, कारवां इंडिया, शशि थरूर इत्यादि के विरुद्ध भ्रामक खबरें फैलाने के लिए FIR दर्ज की है, और अब सिद्धार्थ वरदराजन के विरुद्ध कार्रवाई होनी तय है।

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