ट्रम्प के बाद अब बोरिस जॉनसन पश्चिम में दुनिया के सबसे बड़े चीन विरोधी नेता बन गये हैं

बोरिस जॉनसन

डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति पद से हटने के बाद पश्चिम के सबसे बड़े चीन विरोधी नेता का स्थान अब UK के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने ले लिया है। अगर हम उनके फैसलों को या चीन विरोधी कदमों को देखे तो यह और स्पष्ट हो जायेगा। हालांकि, बोरिस जॉनसन ने चीन विरोधी रुख कोरोना शुरू होने के बाद ही अपना लिया था लेकिन तब डोनाल्ड ट्रंप सबसे बड़े चीन विरोधी नेता थे और लगातार एक के बाद एक चीन के खिलाफ कार्रवाई कर रहे थे। अब उनके जाने के बाद यह जिम्मेदारी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने उठा लिया है।

दरअसल, The Times की रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन के 12 विश्वविद्यालयों में चीन के साथ संबंध रखने वाले लगभग 200 शिक्षाविदों की जाँच की जाएगी। इन्हें अनजाने में चीनी सरकार को सामूहिक विनाश के हथियार बनाने में मदद करने के संदेह पर जांच के घेरे में लाया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार इन शिक्षाविदों पर अनजाने में निर्यात कानूनों को तोड़ने का संदेह है, जो अत्यधिक संवेदनशील विषयों में बौद्धिक संपदा को रोकने के लिए बनाए गए हैं। ब्रिटेन की बोरिस सरकार उन शिक्षाविदों को इन्फोर्समेंट नोटिस भेजने की तैयारी कर रही थी जिन पर विमान, मिसाइल डिजाइन और साइबर हथियार जैसी उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकी को स्थानांतरित करने का संदेह है। यानि जो काम पिछले वर्ष डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के शिक्षा जगत में चीनी घुसपैठ को रोकने के लिए उठाया था अब उसी तरह का कदम बोरिस जॉनसन उठा रहे हैं।

कई दिनों से BREXIT में उलझा ब्रिटेन अब तक चीन के खिलाफ अपना ध्यान केन्द्रित नहीं कर पा रहा था लेकिन अब BREXIT के बाद UK अपना पूरा ध्यान चीन के खिलाफ लगाने वाला है। BREXIT के नेता तथा बोरिस जॉनसन के करीबी माने जाने वाले Nigel Farage ने कुछ दिनों पहले ही चेतावनी दी थी कि “यूरोपीय संघ की तुलना में चीन हमारी स्वतंत्रता के लिए एक बड़ा खतरा” है और उससे निर्भरता समाप्त करना सबसे प्रमुख लक्ष्य। ट्विटर पर पोस्ट किए गए वीडियो में उन्होंने बताया कि अब वे बीजिंग पर “निर्भर नहीं हैं।” वीडियो के साथ कैप्शन में, फराज ने लिखा: “चीन को रोकना अगली बड़ी लड़ाई है”।

चाहे यूके के 5G नेटवर्क से Huawei को हटाना हो, हांग कांग पर चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के विरुद्ध बयान जारी करना हो, हांग कांग का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद में उठाना हो, या फिर 10 लोकतांत्रिक देशों को Huawei के विरुद्ध एकजुट करना हो, बोरिस जॉनसन ने इन सभी मामलों पर ब्रिटेन को चीन के सामने मजबूती से खड़ा किया है।

जब हांग कांग में लोकतान्त्रिक प्रदर्शन पिछले वर्ष शुरू हुआ था, परन्तु ब्रिटेन ने तब अपना मुंह बंद रखा था, और एक भी बयान चीन के विरुद्ध नहीं जारी किया था। परन्तु इस बार बोरिस के नेतृत्व में यूके ने ये गलती नहीं दोहराई और चीन के विरुद्ध उसने मोर्चा खोल दिया। चीन द्वारा प्रस्तावित सिक्योरिटी लॉ के विरुद्ध ब्रिटेन के आधिकारिक बयान के अनुसार, “ये नियम हांग कांग के लोगों की स्वायत्तता को खतरे में डालेगा और साथ ही यह हांग कांग की समृद्धि और उसकी स्वतंत्रता को भी नष्ट कर देगा।” ब्रिटेन के विदेश सचिव डोमिनिक राब ने हांग कांग पर कहा, “हम चीन से अनुरोध करते हैं कि वे इस गलत निर्णय से पीछे हट जाएं।” इसके अलावा राब ने यह भी घोषणा की चीन की मनमानी करने पर हांगकांग के ऐसे नागरिकों को नागरिकता की दी जायेगी जिनके पास ब्रिटिश नेशनल (ओवरसीज) पासपोर्ट है।

कोरोना वायरस से परेशान ब्रिटेन ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया था कि चीन से रिश्ते अब पहले जैसे कभी नहीं रहेंगे। कोरोना के कारण लोगों की मौत ही नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान उठना पड़ा था। यूनाइटेड किंगडम में किए गए शोध के अनुसार यह बात सामने आई थी कि, कोरोना वायरस के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को 3.2 ट्रिलियन पाउंड की हानि हुई है जो भारत की वित्तीय वर्ष 2019 के जीडीपी से भी अधिक है और इसके लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने चीन से आयात होने वाली वस्तुओं से अपनी निर्भरता को समाप्त करने के लिए कदम उठाने का निर्णय लिया था। इस प्लान का नाम ‘प्रोजेक्ट डिफ़ेंड’ रखा गया है जिसमें चीन से आयात होने वाली सभी गैर खाद्य वस्तुओं को हटाया जाएगा। अखबार ने बताया कि इस प्लान के तहत शत्रु देशों के खिलाफ ब्रिटेन की मुख्य आर्थिक कमजोरियों की पहचान की जाएगी। अखबार ने बताया कि इन प्रयासों का नेतृत्व विदेश सचिव डॉमिनिक राब कर रहे हैं। बता दें कि जॉनसन की सरकार में राब अपने चीन विरोधी पक्ष के लिए जाने जाते हैं और कुछ दिनों पहले ही उन्होंने कहा था कि चीन के साथ अब पहले की तरह व्यापार नहीं हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, एक सूत्र ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के लिए दो कार्य समूहों को स्थापित किया गया है, जिसका उद्देश्य सप्लाइ लाइन में विविधता लाने के लिए किसी भी एक देश पर निर्भरता को कम करने के उपायों पर काम करना है। इससे ब्रिटेन में आयात होने वाली वस्तुओं में विविधता आएगी तथा ट्रेड डिफिसिट कम होगा।

यानि देखा जाये तो डोनाल्ड ट्रंप के जाने के बाद पश्चिमी देशों के लिए बोरिस जॉनसन सबसे बड़े चीन विरोधी नेता हैं जिन्होंने चीन के खिलाफ किसी भी प्रकार से ढिलाई नहीं बरती है. यही नहीं आने वाले समय में बोरिस जॉनसन के तरफ से और भी अधिक चीन विरोधी कदम उठाये जायेंगे तो इसमें कोई हैरानी नहीं होगी।

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