PM मोदी ने ऐसा क्या अलग किया कि दुनिया Covid से जूझती रह गयी और भारत दोबारा ट्रैक पर आ गया

भारत की शानदार रणनीति के कारण GDP ग्रोथ फिर हुई positive!

भारत

हमारे देश की एक बड़ी विचित्र समस्या है – जब कोई समस्या आती है, तो इतना बवाल मचाया जाता है मानो प्रलय आ गई हो। लेकिन अगर देश में कुछ सकारात्मक होता है, तो ऐसा बर्ताव किया जाता है मानो कुछ हुआ ही नहीं। जहां एक तरफ दुनिया के बड़े-बड़े देश अभी भी वुहान वायरस के कारण उत्पन्न आर्थिक संकटों से जूझ रहे हैं, तो वहीं भारत ने महामारी के कारण उत्पन्न मंदी को मात देते हुए 2020-21 के तीसरे क्वार्टर में सकारात्मक ग्रोथ दर्ज की है, लेकिन दुर्भाग्यवश इस बारे में कोई चर्चा ही नहीं करना चाहता है।

हाल ही में भारत ने 2020–21 के तीसरे यानि अक्टूबर से दिसंबर वाली तिमाही में 0.4 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर्ज की है। जब से वुहान वायरस की महामारी ने मार्च 2020 में भारत में पसारना शुरू किया, तब से यह पहली बार है जब भारत ने सकारात्मक आर्थिक वृद्धि दर्ज की है। इससे पहले मार्च से जून की तिमाही में लगभग 23.7 प्रतिशत की गिरावट देखी, और उसके पश्चात लगभग साढ़े 7 प्रतिशत की गिरावट दूसरे तिमाही में देखने को मिली।

तो फिर ऐसा क्या हुआ कि भारत अन्य विकसित देशों की तुलना में मंदी से जल्दी बाहर आ गया? इसके पीछे दो प्रमुख कारण है – पूंजीगत व्यय और इनफ्रास्ट्रक्चर में मोदी सरकार का ताबड़तोड़ निवेश, और चरणबद्ध तरीके से अर्थव्यवस्था को खोलने की नीति। लेकिन यही एक बात नहीं है, जिसके कारण भारत में अब सकारात्मक आर्थिक वृद्धि देखने को मिल रही है। ज़ी न्यूज़ के बिजनेस पोर्टल के अनुसार, “तीसरे तिमाही में जिन क्षेत्रों में सर्वाधिक उन्नति देखने को मिली, वे थे कृषि, मत्स्यपालन क्षेत्र (3.9 प्रतिशत), मैनुफेक्चरिंग (1.6 प्रतिशत), बिजली, गैस, जल आपूर्ति एवं निर्माण सेवा (6.2 प्रतिशत), वित्तीय एवं अन्य प्रोफेशनल सेवा और रियल एस्टेट (6.6 प्रतिशत)”। ये सभी आंकड़े Ministry of Statistics and Programme Implementation ने साझा किए हैं।

इसका अर्थ क्या है? इन क्षेत्रों में सर्वाधिक वृद्धि निर्माण सेवा एवं वित्तीय सेवाओं में हुई है, जिसका अर्थ स्पष्ट है कि केंद्र सरकार ने पूंजीगत व्यय जैसे इनफ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश किया है। वुहान वायरस ने भले ही देश के कई उद्योगों की कमर तोड़ दी हो, परंतु सड़क निर्माण एवं अन्य इनफ्रास्ट्रक्चर से संबन्धित परियोजनाओं पर काम अनवरत जारी रहा, जिसमें थोड़ा योगदान चीन द्वारा पूर्वी लद्दाख पर किए गए आक्रमण का भी रहा।

अब यदि मोदी सरकार चाहती तो लोकलुभावन नीतियाँ अपनाके अर्थव्यवस्था को इकट्ठे ही खोल सकती थी। लेकिन ऐसा न करके उन्होने चरणबद्ध तरीके से अर्थव्यवस्था को दोबारा वृद्धि की ओर बढ्ने का अवसर दिया ।

जब देश सम्पूर्ण लॉकडाउन में था, तब भी कृषि और फार्मा जैसे कुछ क्षेत्र थे, जिनपर कोई विशेष रोकटोक नहीं लगी थी। इसी कारण से जो नुकसान वुहान वायरस के कारण बाकी देशों को हुआ, उतना नुकसान भारत को नहीं हुआ। तभी भारत दिसंबर में ही टेक्निकल तौर पर आर्थिक मंदी से बाहर आने में सफल रहा, जबकि यूके, अमेरिका जैसे कई बड़े-बड़े देश अब भी आर्थिक दुर्गति के कुचक्र से बाहर निकलने के लिए हाथ पाँव मार रहे हैं।

आज यदि भारत सकारात्मक आर्थिक वृद्धि की तरफ वापस आया है, आज यदि भारत दुनिया भर को मुफ्त में COVID-19 से लड़ने हेतु वैक्सीन प्रदान कर सकता है, तो इसके पीछे मोदी सरकार की समझी हुई सोच है, जिसने लोकलुभावन नीतियों के झांसे में ना आकर बुनियादी परियोजनाओं को बढ़ावा दिया, और परिणाम आप सबके सामने हैं।

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