WHO ने चीन को क्लीन चिट दी, जांच करने गए ऑस्ट्रेलियन वैज्ञानिक ने WHO और चीन की ही पोल खोल दी

WHO की पोल उसी के सदस्य खोल रहे!

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WHO की ओर से हाल ही में चीनी वायरस की उत्पत्ति को लेकर विवादों के घेरे में रही वुहान की Wuhan Institute of Virology यानि WIV लैब को क्लीन चिट दे दी गयी थी। इस मिशन का नेतृत्व कर रहे वैज्ञानिक Peter Ben Embarek ने एक बयान जारी कर कहा था “इसकी संभावना बेहद कम ही हैं कि कोरोना वायरस असल में वुहान की इस लैब से फैला होगा।” हालांकि, अब इस जांच मिशन पर गए वैज्ञानिकों की टीम से एक ऑस्ट्रेलियन वैज्ञानिक ने WHO और चीनी सरकार की पोल खोल दी है। मिशन का हिस्सा रहे प्रोफेसर Dominic Dwyer के दावे के मुताबिक इस बात के सबूत बेहद कम मिले हैं कि कोरोना की उत्पत्ति चीन से बाहर हुई होगी!

Dominic Dwyer सिडनी में एक microbiologist हैं और हाल ही में वे करीब 1 महीने लंबे चले जांच मिशन के बाद घर लौटे। उन्होंने आकर 9News को बताया “कोरोना शायद ही चीन से बाहर उत्पन्न हुआ। कोरोना की उत्पत्ति चीन से बाहर होने के सबूत बेहद कमज़ोर हैं और वे अच्छे नहीं हैं।” इतना ही नहीं, Dwyer ने चीनी ज़मीन पर अधिकारियों के बुरे व्यवहार का भी ज़िक्र किया। उनके मुताबिक वैज्ञानिक अलग-अलग देशों से होने के बावजूद अच्छे से ताल-मेल बना पा रहे थे, लेकिन कई बार चीनी टीम और WHO की टीम के बीच कई मुद्दों पर जोरदार बहस भी हुई।

Dwyer बताते हैं कि वैज्ञानिकों की टीम इस बात को जानने में दिलचस्पी दिखा रही थी कि कोरोना महामारी फैलने से ठीक पहले वुहान के बाज़ारों में किस प्रकार का रुझान देखने को मिल रहा था। उनके मुताबिक चीनी टीम बार-बार इस बात पर ज़ोर दे रही थी कि महामारी से पहले वायरस वुहान की Wet Markets से ही फैला था। हालांकि, प्रदान किए गए वायरसों के जेनेटिक विश्लेषण के बाद यह स्पष्ट होता है कि चीनी वायरस मध्य-नवंबर से ही फैलना शुरू हो चुका था। जांच के बाद Dwyer यह भी दावा करते हैं कि दिसंबर में आधिकारिक आंकड़ों के मुक़ाबले कई गुना अधिक मामले मौजूद हो सकते थे, जिन्हें दर्ज ही नहीं किया गया।

हालांकि, बड़ा सवाल यह है कि जांच करने गयी WHO की टीम के सदस्यों के बीच इस हद तक मतभेद होने के बावजूद WHO की ओर से चीन को क्लीन चिट कैसे दे दी गयी?

दरअसल, जांच करने गयी टीम का नेतृत्व कर रहे Peter Ben Embarek को लेकर कुछ ऐसे खुलासे हुए हैं, जो इस पूरी जांच की “निष्पक्षता” और “विश्वसनीयता” पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।

Peter Ben Embarek पर पूर्व में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से पैसा लेने और विवादों के घेरे में रही WIV लैब के साथ करीब 20 वर्षों तक काम करने के आरोप लगे हैं। आरोपों के मुताबिक Peter Ben Embarek अमेरिका में शोध संस्थान ecoHealth Alliance के अध्यक्ष हैं, जो पूर्व में कई प्रोजेक्ट्स पर WIV लैब के साथ मिलकर काम कर चुकी है। इसके साथ ही WIV लैब में चमगादड़ों पर की जा रही एक रिसर्च पर खुद Peter Ben Embarek 3.7 मिलियन डॉलर के एक प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर चुके हैं।

ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि WHO टीम का नेतृत्व कर रहे व्यक्ति पर बेहद ज़्यादा चीनी प्रभाव होने के कारण WHO की क्लीन चिट पर विश्वास नहीं किया जा सकता। दूसरी ओर यहाँ ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक Dominic Dwyer की जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम है क्योंकि उन्होंने चीनी दबाव के बावजूद मीडिया के सामने आकर ऐसे बयान दिये हैं जो चीन को पसंद नहीं आएंगे। यहाँ Dominic Dwyer ने अपने निजी हितों से ऊपर अपने देश के हितों को आगे रखा है, क्योंकि कोरोना की उत्पत्ति की जांच के बाद चीन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों का ऐलान किया था। इस आर्थिक युद्ध के दौरान चीन ने पहले ही ऑस्ट्रेलिया से आयात होने वाला कोयला, गेंहू, चीनी, शराब और लकड़ी पर पाबंदी लगाई हुई है, जिसका ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ चीन की अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। अब WHO की सहायता से आखिरकार चीन ने अपने आप को कोरोना की उत्पत्ति के आरोपों से मुक्त करने की कोशिश की है, लेकिन दुनिया को डबल्यूएचओ और चीन के झांसे में आने से बचना होगा। चीन के प्रोपेगैंडे के खिलाफ इस लड़ाई में Dominic Dwyer जैसे लोग अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं।

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