ऑस्ट्रेलिया सरकार का बिग टेक कंपनियों के साथ संघर्ष इन दिनों चर्चा का विषय है। स्कॉट मॉरिसन ने पहले गूगल के होश ठिकाने लगाए और अब वे Facebook के विरुद्ध अपना रवैया सख्त किये हुए हैं। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया सरकार और फेसबुक के बीच विवाद तब गहराया जब सरकार एक नए कानून को लेकर आई। इसके तहत फेसबुक और गूगल को ऑस्ट्रेलिया के लोकल मीडिया आउटलेट्स की खबरें अपने प्लेटफार्म पर दिखाने पर, मीडिया आउटलेट्स को पैसे देने पड़ेंगे।
सरकार के इस फैसले के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया करते हुए फ़ेसबुक ने अपने अकाउंट फ़ीड में न्यूज के आदान प्रदान पर रोक लगा दी। इसके चलते ऑस्ट्रेलिया के लोगों को फेसबुक के माध्यम से खबरें मिलना बंद हो गईं। साथ ही फेसबुक ने और अधिक धृष्टता करते हुए कई सरकारी विभागों के अकाउंट भी बंद कर दिए। अब मॉरिसन सरकार ने इसका जवाब देते हुए यह फैसला किया है की वह कोई सरकारी विज्ञापन फेसबुक को नहीं सौपेंगे।
Reuters की खबर के अनुसार ऑस्ट्रेलियाई सरकार Covid 19 को लेकर एक सरकारी प्रचार अभियान चला रही है लेकिन फेसबुक को इसमें शामिल नहीं किया गया है। ऑस्ट्रेलिया में Pfzier/BioNtech वैक्सीन के साथ टीकाकरण अभियान शुरू हो रहा है। ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य मंत्री, Gerg Hunt ने कहा कि सरकार जनजागृति अभियान चलकर यह सुनिश्चित करना चाहती है की लोग वैक्सीन लगवाने के लिए आगे आएं, विशेषतः ऐसे लोग जिन्हें अधिक खतरा है। इसके लिए ऑफलाइन और ऑनलाइन, दोनों तरह का अभियान शुरू हुआ है। लेकिन फेसबुक के जरिए प्रचार के लिए फंडिग पर प्रतिबन्ध बरक़रार रहेगा, जब तक की यह विवाद सुलझ नहीं जाता।
Gerg Hunt ने ऑस्ट्रेलिया ब्राडकास्टिंग कॉर्पोरेशन को बताया “मेरी देख रेख में जब तक यह मुद्दा सुलझ नहीं जाता तब तक कोई फेसबुक विज्ञापन नहीं होंगे।” उन्होंने आगे कहा “जब से यह विवाद उठा है तब से अब तक एक भी विज्ञापन नहीं दिया गया है। मूल बात यह है कि ये बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियां संप्रभु गुंडों जैसी होती जा रही हैं और ये ऐसा व्यवहार रखकर वे आगे नहीं बढ़ सकेंगी।”
फेसबुक ने इस पुरे विवाद में इतना कहा है कि वह इस मुद्दे को सुलझाने के लिए सरकार से बातचीत कर रहे हैं। Reuters के अनुसार फेसबुक के प्रतिनिधि ने एक ईमेल में कहा “हम ऑस्ट्रेलिया कि सरकार के साथ संपर्क में हैं जिससे हम उनके प्रस्तावित कानून को लेकर अपनी चिंताओं को उन्हें जाहिर कर सकें।”
वैसे फेसबुक बातचीत कि टेबल पर भी तभी आया है जब ऑस्ट्रेलिया कि सरकार ने अन्य सरकारों से फेसबुक के रवैये कि शिकायत शुरू की। ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने इस सन्दर्भ में भारतीय प्रधानमंत्री से भी बातचीत की थी। अब ऑस्ट्रेलिया की सरकार फेसबुक को आर्थिक क्षति पहुंचाकर उसे मजबूर कर रही है की वह मीडिया संस्थानों को उनकी खबरों के बदले उचित रॉयल्टी प्रदान करें।
उदारवादी विचारों का मसीहा बनने की कोशिश करने वाले फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग ऑस्ट्रेलियाई मीडिया संस्थानों को उनके अधिकार की धनराशि देने नहीं चाहते, उनकी मेहनत से तैयार कंटेंट को फेसबुक अपने प्लेटफार्म पर फ्री में छापना चाहता है। अब जब ऑस्ट्रेलिया की सरकार उनके अधिकारों के लिए नए कानून लाने वाली है तब जुकरबर्ग और फेसबुक अड़ियल व्यवहार कर रहे हैं। फेसबुक इतना अड़ियलपन इसलिए दिखा रहा है क्यूंकि ऑस्ट्रेलियाई लोकतन्त्र उन्हें ऐसा करने की सुविधा देता है, जहाँ विदेशी कंपनी के भी अधिकारों का सम्मान किया जाता है। यही फेसबुक चीन में प्रतिबंधित है।
फेसबुक, ट्विटर जैसी सोशल मीडिया जाइंट ने लोकतांत्रिक सरकारों और उनके नेताओं को बहुत कमजोर समझ लिया है। ट्रंप का अकाउंट जितनी सरलता से फेसबुक और ट्विटर ने ससपेंड किया, ऐसा वे कभी किसी तानाशाह सरकार के मुखिया के साथ करते, तो उन्हें अगले दिन ही उस देश के बाजार से उठाकर फेंक दिया गया होता। बिग टेक के खिलाफ जो रवैये ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने अपनाया है वह आदर्श है। इन कंपनियों को यह समझ आना बहुत आवश्यक है की संप्रभु लोकतान्त्रिक सरकारें कमजोर नहीं होती।