भारत के बाद ट्रम्प की पार्टी के शासन वाले राज्यों ने कहा “हम भी ट्विटर और फेसबुक को सबक सिखाएँगे”

ट्रम्प

अमेरिका के दो रिपब्लिकन शासित राज्य की सरकारें फ्लोरिडा और टेक्सास की बड़ी टेक कंपनियों की सेंसरशिप की नीतियों के खिलाफ लड़ाई छेड़ने के लिए तैयार दिख रही है। जिस तरह से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को कई सोशल मीडिया कंपनियों ने बैन लगा दिया, उसके बाद, अब यह स्पष्ट हो चुका है कि अमेरिका में कंजर्वेटीव विचारधारा गंभीर खतरे में है। मुख्यधारा की मीडिया का उपयोग पहले से ही प्रमुख रिपब्लिकन मतों का उपहास उड़ाने के लिए किया जाता है और अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मनमाने सेंसरशिप से लेफ्ट ब्रिगेड द्वारा विपक्षी विचारों को दबाया जा रहा है।

फ्लोरिडा राज्य सेंसरशिप, चुनाव हस्तक्षेप और प्राइवेसी संबंधी चिंताओं को दूर करने वाले कानून के साथ बड़ी तकनीक पर लगाम लगाने की कोशिश कर रहा है। फ्लोरिडा के गवर्नर Ron DeSantis ने इस महीने की शुरुआत में एक संवाददाता सम्मेलन में ऐसे कानून के बारे में बात की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि बड़ी टेक कम्पनियां “बिग ब्रदर की तरह बनने का प्रयास कर रही हैं।” DeSantis ने यह भी आरोप लगाया कि सोशल मीडिया कम्पनियाँ  “भेदभाव” करती हैं और पिछले चुनावों के दौरान एक राजनीतिक एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए “समन्वित प्रयासों” में लगी थी।

फ्लोरिडा के गवर्नर ने स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया कंपनियों पर सेंसरशिप स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा, “वे किसी भी उम्मीदवार को डी-प्लेटफॉर्म कर सकते हैं, एक मैसेज को दबा सकते हैं, और क्या यह ठीक है? मुझे ऐसा नहीं लगता।” उन्होंने खुलासा किया कि आगामी कानून “ट्रांसपेरेंसी इन टेक्नोलॉजी एक्ट” में प्रत्येक दिन एक उम्मीदवार को एक प्लेटफार्म से हटाए जाने के लिए  100,000 डॉलर का जुर्माना शामिल हो सकता है।

DeSantis ने बड़ी टेक कंपनियों के ट्रम्प को बैन करने के फैसले के लिए लताड़ भी लगायी। ट्रम्प के खिलाफ ट्विटर की कार्रवाई के बारे में बोलते हुए, DeSantis ने कहा, “यह सही नहीं था।” फ्लोरिडा के गवर्नर ने कहा, “उनके पास हर समय उस प्लेटफार्म पर इतना कचरा और गंदगी है। वे उसे सेंसर नहीं करते हैं।”

इस बीच, टेक्सास के गवर्नर Greg Abbott  ने भी घोषणा की, “हम फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्रोवाइडर को कंजर्वेटीव स्पीच को सेंसर करने से रोकने के लिए कानून पर Sen. Hughes के साथ काम कर रहे हैं।”

 

Hughes ने कानून के सार को बताया था और कहा, ” हम जो बिल लाने के लिए तैयार हैं, वह यह तय करेगा कि यदि कोई कंपनी आपके साथ भेदभाव करती है, आप को प्लेटफार्म से हटा देती है, आपको ब्लॉक कर देती है, आपके मत, आपकी राजनीति, आपके धर्म, दृष्टिकोण के आधार पर आपको बैन कर देती है तो यह कानून आपको वापस ऑनलाइन आने का मौका देगा। ”

Hughes ने कहा, “हम किसी भी टेक्सन को कार्रवाई करने का विकल्प देना चाहते हैं जिसके साथ भेदभाव हुआ है और हमें लगता है कि यह फेसबुक और ट्विटर का ध्यान आकर्षित करेगा, और उन्हें टेक्सास के साथ उचित व्यवहार करने के लिए मजबूर कर देगा।”

यानि देखा जाये तो फ्लोरिडा और टेक्सास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सेंसरशिप के खिलाफ एक नया मोर्चा खोल दिया है। जिस तरह से अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को दिग्गज टेक कंपनियों द्वारा बैन किया था, उससे एक भय पैदा हो गया था जिसका परिणाम अब सामने दिखाई दे रहा है। ऐसा लग रहा था कि अमेरिकी कानून सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को नियंत्रित करने में विफल रहे हैं।

अब दो रेड राज्य में नए कानून प्रस्तावों से पता चलता है कि सोशल मीडिया दिग्गजों को फ्री स्पीच पर अंकुश लगाने का लाइसेंस नहीं दिया जाएगा। यानि अब ये कम्पनियाँ अपने मनमाने ढंग से कंजर्वेटिव विचारों का सेंसर नहीं कर पाएंगे और अगर किया तो परिणाम भुगतने होंगे।

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