“भीष्म प्रवृत्ति द्वारा पार्टी पर कब्जा और मोदी के प्रति अंध विरोध” TMC छोड़ने के बाद दिनेश त्रिवेदी ने पार्टी को जमकर धोया

TMC में रहना हैं तो मोदी को बुरा-भला कहना हैं

TMC

राजनीति में पार्टी की विचारधारा के साथ चलना कभी-कभी बेहद मुश्किल हो जाता है, व्यक्ति पार्टी के अंदर रहता है, तो गलतियां नहीं उजागर कर सकता और यदि बोलता है तो पार्टी की मर्यादाएं टूटती हैं। TMC के दिग्गज राज्यसभा सांसद दिनेश त्रिवेदी की स्थिति भी कुछ ऐसी ही हो गई थी, उनका कहना था कि उन्हें अब पार्टी में घुटन-सी होती थी। अपने इस्तीफे के एलान के साथ ही त्रिवेदी ने बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के मोदी विरोधी अनैतिक एजेंडे की खूब आलोचना की और TMC में रहने के दौरान खुलकर ना बोलने की स्थिति की तुलना “भीष्म पितामह” की स्थिति से कर डाली।

TMC के लिए पर्दे के पीछे रहकर संगठन का काम करने वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता दिनेश त्रिवेदी ने राज्यसभा से सार्वजनिक तौर पर इस्तीफे का एलान कर ममता बनर्जी को बेहाल कर दिया है। दिनेश त्रिवेदी ने अपने इस्तीफे के साथ ही ममता को ऐसे झटके दे दिए हैं जो कि ममता के लिए विधानसभा चुनाव से पहले बेहद ही खतरनाक साबित होंगे।

और पढ़ेंदिनेश त्रिवेदी का त्यागपत्र अर्थ है ममता की बर्बादी, नतीजे आने से पहले ही नतीजे आ चुके हैं

दिनेश त्रिवेदी ने अपने इस्तीफे के बाद कहा है कि बंगाल में अब अनैतिक काम होने लगे हैं। उन्होंने इस दौरान ममता के काले कारनामों को उजागर करने के साथ ही कहा कि वो भीष्म पितामह कतई नहीं बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “हम इस अपर हाउस में लोगों के प्रतिनिधि के रूप में बैठे हैं, लेकिन कुछ नहीं कर सकते। मैं भीष्म पितामह नहीं बनना चाहता था। महाभारत में भीष्म पितामह को बिना एक शब्द कहे हिंसा और अन्याय को देखने के लिए दोषी ठहराया गया था। पार्टी में भ्रष्टाचार और बंगाल की सड़कों पर हिंसा होने पर मैं चुप नहीं रह सकता। जब बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमला किया गया, तो मैंने उस घटना की निंदा की थी जिसके बाद मुझे भी पार्टी मे अंदरखाने काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।”

दिनेश त्रिवेदी ने इस दौरान ये भी कहा है कि उनके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के कई नेताओं से अच्छे निजी संबंध हैं। ऐसे में प्रतिदिन बिना किसी मुद्दे के उनको गाली देना मेरे लिए मुश्किलों भरी बात है। उन्होंने कहा, “हर दिन मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गाली देने के लिए कहा गया। वह मेरी मूल प्रणाली नहीं है। मैं ऐसा नहीं कर सकता हूं। अगर प्रधानमंत्री कुछ अच्छा करते हैं, तो हमें इसकी सराहना करनी चाहिए और अगर सरकार कुछ गलत करती है तो हमें उसपर ध्यान आकर्षित करना चाहिए और शालीनता बनाए रखते हुए सशक्त विरोध करना चाहिए।”

और पढ़ेंमुकुल, शुभेन्दु और अब शायद त्रिवेदी- BJP ने TMC से दिग्गज नेताओं को चुना है, अब TMC में सिर्फ गुंडे बचे हैं

दिनेश त्रिवेदी ने इतना सब कहने के बाद TMC की वर्तमान कार्यशैली पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जो दर्शाता है कि TMC अब कुछ कॉरपोरेट लोगों के हाथों में जा चुकी है और ममता का TMC पर कब्जा नहीं रहा है। उन्होंने कहा, “हमने TMC बनाई, इसमें दो महासचिव थे– मुकुल रॉय और दिनेश त्रिवेदी। मैं ऐसी पार्टी में नहीं रह सकता जहाँ बहुत कड़वाहट हो। मैं ममता बनर्जी का बहुत सम्मान करता हूं और आगे भी करता रहूंगा। मुझे नहीं लगता कि पार्टी अब सुश्री बनर्जी के नियंत्रण में है; यह कुछ कॉर्पोरेट सलाहकारों द्वारा चलाया जा रहा है।”

विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दिनेश त्रिवेदी का इस्तीफा पश्चिम बंगाल की राजनीति में ममता बनर्जी के लिए किसी भूचाल से कम नहीं है। TMC के संगठन के लिए बेहद ही खास कड़ी माने जाने वाले दिनेश का जाना ममता के लिए चुनावी हार से पहले का वो झटका है, जो कि कही-न-कहीं ममता को रणनीतिक रूप से कमजोर ही कर देगा क्योंकि मुकुल रॉय के बाद अगर कोई TMC के लिए सबसे प्रमुख रणनीतिकार थे, तो वो केवल दिनेश त्रिवेदी ही थे।

Exit mobile version