Biden ने Foreign Policy की अपनी पहली स्पीच में भारत का उल्लेख नहीं किया, अमेरिका ट्रम्प के सबसे भरोसेमंद साथी को खो सकता है

भारत

ट्रम्प प्रशासन के समय अमेरिका ने भारत को अपनी विदेश नीति के केंद्र में रखा था, लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि बाइडन प्रशासन की भारत नीति क्या होगी? हाल ही में राष्ट्रपति बाइडन ने राष्ट्रपति बनने के बाद विदेश नीति पर अपना पहला भाषण दिया, लेकिन उनके इस भाषण से यह स्पष्ट हो गया कि दक्षिण एशिया उनकी प्राथमिकता है ही नहीं! उन्होंने अपने इस भाषण में एक बार भी भारत, दक्षिण चीन सागर, Indo-Pacific या फिर Quad का नाम नहीं लिया! दूसरी ओर अपने 20 मिनट लंबे भाषण में बाइडन ने 5 बार चीन का नाम लिया और 8 बार रूस का!

सिर्फ एक महीने पहले तक Indo-Pacific और Quad देशों का समूह यानि भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश अमेरिकी विदेश नीति के स्तम्भ माने जाते थे, लेकिन बाइडन ने अपने पहले ही भाषण में इस नीति में बड़े बदलाव करने के संकेत दे दिये हैं। बाइडन प्रशासन की विदेश नीति में भारत को शायद वो स्थान नहीं मिलेगा, जो कि ट्रम्प प्रशासन के समय मिलता था। राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडन ने अब तक भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत भी नहीं की है। ट्रम्प प्रशासन के समय अमेरिका चीन को अपने लिए सबसे बड़े खतरे के रूप में देखता था, जिसके कारण ट्रम्प सरकार भारत और Quad देशों की सहायता से चीनी खतरे से निपटने की रणनीति पर काम कर रही थी, लेकिन अब लगता है कि अमेरिका की इस नीति में बड़ा यू-टर्न देखने को मिल सकता है।

इतना ही नहीं, बाइडन प्रशासन दूसरी ओर रूस से हथियार खरीदने के कारण भारत पर प्रतिबंध लगाने के विचार को आगे बढ़ा चुका है। हाल ही में भारत में मौजूद अमेरिकी दूतावास के प्रमुख Don Heflin ने कहा था “भारत को S-400 के लिए अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट देने के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया है, लेकिन हम अपने साथियों और साझेदारों से यही कहना चाहेंगे कि वे रूस के साथ किसी भी प्रकार के सैन्य समझौते को आगे बढ़ाने से परहेज करें क्योंकि ऐसा करने के बाद हमारी कांग्रेस द्वारा पारित CAATSA कानून के तहत उनपर प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।”

बाइडन प्रशासन अपने शुरुआती दिनों में कई ऐसे कदम उठा चुका है जिससे यह साफ़ होता है कि बाइडन की चीन नीति आक्रामक तो बिलकुल नहीं रहने वाली! सत्ता में आने के कुछ समय बाद ही बाइडन प्रशासन ने अमेरिकी विदेश विभाग की वेबसाइट को अपडेट किया था। इसी दौरान चीन के प्रोफाइल पेज को भी अपडेट किया गया। ट्रम्प प्रशासन के समय प्रोफ़ाइल का शीर्षक था “चीनी कम्युनिस्ट पार्टी: वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए खतरा,” लेकिन अब इस पर लिखा है कि, “चीन के साथ अमेरिकी संबंध”। ट्रम्प प्रशासन ने जिन दो मुद्दों, यानी 5G सुरक्षा और चीन, की चुनौती को फ्लैग किया था उसे भी बाइडन प्रशासन ने हटा दिया है। इसका अर्थ है कि बाइडन 5G और रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मुद्दों पर चीन पर नर्म रहेंगे। ऐसे में बाइडन के लिए भारत की महत्ता कम हो सकती है।

हालांकि, भारत को इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। यूरोप या पारंपरिक रूप से अमेरिका के साथी देशों की तरह भारत अपनी सुरक्षा के लिए कभी अमेरिका पर निर्भर नहीं रहा है। ट्रम्प प्रशासन के समय भी भारत ने अपनी विदेश नीति को स्वतंत्रता के साथ ही आगे बढ़ाया। भारत आगे भी अपने हित को आगे रखते हुए ऐसा ही करता रहेगा। हालांकि, यहाँ अमेरिकी लोगों के लिए बड़ा संदेश अवश्य छुपा है। सत्ता परिवर्तन अमेरिका में हुआ है, चीन में नहीं! चीन आज भी अमेरिका के लिए सबसे बड़ा खतरा है और रहेगा! बाइडन उसपर अपनी आँख मूंदकर भारत जैसे देशों के साथ को खोने की बड़ी गलती कर रहे हैं, जिसके कारण भविष्य में अमेरिका को बड़ी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

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