बाइडन के विदेश मंत्री भी हैं ट्रम्प की विदेश नीति के मुरीद, Blinken में दिख रही Pompeo की झलक

बाइडन के राज में सबकुछ बदलेगा पर विदेश नीति वही रहेगी!

बाइडन

अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रशासन एक के बाद ट्रम्प की नीतियों को पलटता जा रहा है। हालांकि, अमेरिका के नए विदेश मंत्री Antony Blinken अमेरिकी प्रशासन के इकलौते ऐसे मंत्री दिखाई देते हैं, जो अभी भी ट्रम्प की विदेश नीति का ही समर्थन करते दिखाई देते हैं। चीन से लेकर ईरान तक और अफगानिस्तान से लेकर Indo-Pacific तक, Blinken बाइडन प्रशासन की चर्चित नीतियों के अंतर्गत रहकर भी अमेरिकी विदेश मंत्रालय में अपने पूर्ववर्ती Pompeo की नीतियों का ही अनुसरण करने के संकेत दे रहे हैं। इस प्रकार Blinken का कार्यकाल Pompeo के कार्यकाल का दूसरा भाग भी कहा जा सकता है।

Blinken किस प्रकार चीन को लेकर Pompeo की नीतियों को ही आगे बढ़ा रहे हैं, उसपर खुद चीनी मीडिया भी अपनी चिंता जता चुकी है। बीजिंग के अधिकारी इस बात को लेकर चिंतित है कि Blinken की नीति भी चीन-अमेरिका के रिश्तों में तनाव पैदा कर सकती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि हाल ही में Blinken ने ट्रम्प की चीन नीति का समर्थन करते हुए कहा था “चीन के खिलाफ सख्त रुख अपनाने को लेकर ट्रम्प सही थे। चीनी अखबार The People’s daily ने इसपर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा था “बाइडन प्रशासन अमेरिकी समस्या का हल नहीं हो सकते हैं।”

Blinken शिंजियांग के मुद्दे पर भी Pompeo का समर्थन करते दिखाई दे रहे हैं। Pompeo ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में कहा था कि चीन शिंजियांग में जो कुछ भी कर रहा है, वो “नरसंहार” है। इसपर चीन ने बेहद सख्त लहजे में अपना विरोध जताया था, लेकिन Blinken ने आते ही Pompeo के दावे का समर्थन किया। Blinken ने पद संभालते ही अगले दिन कहा “मेरा मानना है कि चीन ने उइगर मुस्लिमों के खिलाफ असल में नरसंहार को ही अंजाम दिया है, वहाँ अभी कुछ बदल नहीं गया है।” हैरानी की बात तो यह है कि इससे पहले यह खबरें आई थी कि बाइडन प्रशासन उइगरों को लेकर “नरसंहार” शब्द के प्रयोग पर पुनर्विचार कर सकता है। हालांकि, Blinken ने अपने बयान से इन खबरों का खंडन कर दिया।

ईरान को न्यूक्लियर डील में शामिल करने को लेकर भी बाइडन प्रशासन आमदा दिखाई देता है, लेकिन Blinken अपने बयानों से यह संकेत दे चुके हैं कि वे न्यूक्लियर डील में वापस आने की ईरान की राह को आसान तो बिलकुल नहीं रहने देंगे! अमेरिकी राजनयिक यह पहले ही साफ़ कर चुके हैं कि वे ईरान पर प्रतिबंधों को जारी रखेंगे और जब तक ईरान 2015 की न्यूक्लियर डील की शर्तों का पालन नहीं करता है, तब तक उन प्रतिबंधों को नहीं हटाया जाएगा। ईरान की मांग यह है कि पहले अमेरिका की ओर से प्रतिबंध हटाये जाएँ, उसी के बाद ईरान न्यूक्लियर समझौते की शर्तों को मानेगा। ऐसे में Blinken ने अपने एक बयान से यहाँ भी ईरान के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

इसी प्रकार अफगानिस्तान में भी Blinken ट्रम्प की नीति को आगे बढ़ाते हुए सभी अमेरिकी सैनिकों की घर वापसी का समर्थन कर चुके हैं। पिछले महीने Blinken ने एक बयान में कहा था, “हम इस लड़ाई को हमेशा के लिए खत्म करना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि हमारे सभी सैनिक वापस घर आयें। आतंकवाद के खात्मे के लिए हम नेतृत्व करना कायम रखना चाहते हैं।” बता दें कि बाइडन प्रशासन पहले तालिबान-अमेरिकी शांति समझौते पर पुनर्विचार करने की बात कह चुका है, जिसके बाद यह डर बढ़ गया था कि बाइडन अमेरिकी सैनिकों की घर वापसी के राह में रोड़ा अटकाने का काम कर सकते हैं।

Blinken की नीतियों में ट्रम्प की नीतियों का ही प्रभाव दिखाई देता है, जिसे खुद चीनी मीडिया भी स्वीकार चुकी है। बाइडन बेशक अपने प्रशासन में कई चीन से जुड़े अधिकारियों को शामिल कर चुके हैं, लेकिन Blinken ने अपने शुरुआती दिनों में स्पष्ट किया है कि वे अपनी विदेश नीति को Pompeo की विदेश नीति की विपरीत दिशा में नहीं ले जाएंगे।

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