केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाख कोशिशों के बावजूद ऐसा लगता है कि पंजाब सरकार किसानों के हित में कम और बिचौलियों के हित में अधिक है। किसानों के भुगतान के लिए केंद्र की मोदी सरकार द्वारा ऑनलाइन प्रक्रिया अपनाने के लिए कहे जाने के बाद अब फिर से पंजाब की सरकार ने असमर्थता जताई है और कहा है कि वो अचानक से आढ़तियों की भूमिका समाप्त नहीं कर सकते।
दरअसल, मोदी सरकार ने किसानों को सीधे ऑनलाइन भुगतान सुनिश्चित करने के लिए पंजाब और हरियाणा दोनो से कहा था। परन्तु कुछ दिनों बाद अब हरियाणा ने तो कहा है कि वह तैयार है, लेकिन पंजाब ने फिर से मना कर दिया।
The Print की रिपोर्ट के अनुसार पंजाब की कांग्रेस सरकार ने कहा कि उसके पास बुनियादी ढांचा है, लेकिन कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा गया है कि प्रतिनिधियों या बिचौलियों को चेन ऑफ़ पेमेंट से अभी नहीं हटाया जा सकता है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि सरकार गेहूं की फसल के मौसम से पहले सीधे ऑनलाइन भुगतान प्रक्रिया लाने की कोशिश कर रही है जिससे किसानों को सीधे फायदा हो।
इसी कारण हरियाणा और पंजाब के भीतर, अढ़तियों ने आगामी गेहूं की कटाई के मौसम का बहिष्कार करने की धमकी दी है। प्रस्ताव के सामने आने पर दोनों राज्यों में इसी तरह के विरोध सामने आए हैं।
केंद्र सरकार 2012 से ही दोनों राज्यों के किसानों के लिए ऑनलाइन भुगतान प्रणाली को लागू करने की कोशिश कर रही है, क्योंकि यह ना सिर्फ पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी, बल्कि किसानों को पैसों के वितरण में भी आसानी होगी। यह नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए कृषि सुधार कानूनों से जुड़ा नहीं है, लेकिन किसानों को बिचौलियों से मुक्त करने और बेहतर कीमतों के साथ शीघ्र भुगतान सुनिश्चित करने के लिए एक बेहतरीन कदम है।
हालांकि, किसानों को सीधे ऑनलाइन भुगतान के आह्वान से, पंजाब और हरियाणा में आढ़तियों के माध्यम से होने वाले भुगतान का विरोध हो रहा है।
आढ़तियों जो किसानों को कभी कभी कर्ज़ भी देने के लिए जाने जाते है, वो खरीद में 2.5 प्रतिशत का कमीशन कमाते हैं। किसानों को सीधे ऑनलाइन हस्तांतरण से उन्हें मिलने वाला यह 2.5 प्रतिशत मिलना बंद हो जाएगा।
हालांकि, दोनों सरकारों ने ऑनलाइन भुगतान को आंशिक रूप से अपनाया था लेकिन कई तकनीकी गड़बड़ियों का सामना करना पड़ा है।अब तो आढ़तियों का विरोध भी एक बाधा बन चुका है।
नतीजतन, भुगतान का एक बड़ा हिस्सा अब तक आढ़तियों के माध्यम से ही ऑफ़लाइन भुगतान किया गया है। पंजाब खाद्य और नागरिक विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वो ऑनलाइन शिफ्ट करने के लिए तैयार हैं, लेकिन वो “भुगतान प्रणाली से आढ़तियो को नहीं हटा सकते हैं”।
अधिकारी का कहना है कि आढ़तियों को किसानों की ओर से भुगतान प्राप्त करने के लिए राज्य के पास APMC अधिनियम के तहत “वैधानिक शक्ति” है।
अधिकारी ने कहा, “आढ़तियो को भुगतान कमीशन का प्रचलन Punjab Agriculture Produce Marketing Act, 1961 के वैधानिक प्रावधानों और शासनादेशों के अनुसार है।”
पंजाब एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट्स (जनरल) रूल्स, 1962 के नियम 24A में कहा गया है कि यह कमीशन गेहूं-धान के बिक्री मूल्य के 2.5 फीसदी की दर से भुगतान होगा।
उन्होंने कहा, “हमने किसानों के लिए 2020 में भुगतान के लिए अनाज खरीद पोर्टल से ऑनलाइन प्रत्यक्ष भुगतान प्रणाली की शुरुआत की। हालांकि, कोविड प्रतिबंधों के कारण, आढ़तियो के अन्य सत्यापन और उनके तहत आने वाले किसानों के KYC को पूरा नहीं किया जा सका है, इसलिए हम अगले साल तक ऑनलाइन प्रत्यक्ष मोड के माध्यम से सभी भुगतान नहीं कर सकते हैं। “
किसानों को सीधे भुगतान के संभावित विकल्प के बारे में चर्चा करते हुए, अधिकारी ने कहा, “हम एक बार अढ़तियों के कमीशन को जारी कर सकते हैं,लेकिन जब वह किसान के खाते को पूरे पैसे क्रेडिट नहीं करता है, जो कि हम उन्हें दंडित कर सकते हैं।”
आधिकारिक तौर पर, पंजाब में 12 लाख से अधिक किसानों और उनके आढ़तियों का एक डेटाबेस है, जो चल रहे खरीफ धान के मौसम के दौरान तैयार किया गया है।
केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “किसानों के खातों में सीधे भुगतान से न केवल विभिन्न बिचौलियों को हटाकर बेहतर मूल्य की प्राप्ति होगी, बल्कि उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार मौजूदा कर्ज चुकाने में भी आसानी होगी”।
अधिकारी ने कहा, “किसानों के लिए भुगतान के ऑनलाइन मोड के पूर्ण कार्यान्वयन के साथ, न केवल 48 घंटों में उन्हें अपने खाते में भुगतान प्राप्त होगा, बल्कि भारतीय खाद्य निगम (FCI) 72 घंटों के भीतर सब्सिडी की राशि के साथ state procurement एजेंसियों को भी क्रेडिट करेगा।”आढ़तियों का कहना है कि किसानों को सीधे भुगतान कुछ ही वर्षों में दोनों राज्यों की मंडी व्यवस्था को नष्ट कर देगा।
परन्तु ऐसा लगता है कि पंजाब सरकार को किसानों की नहीं, बल्कि बिचौलियों की अधिक चिंता है। शायद इसीलिए वो केंद्र द्वारा बार-बार कहे जाने के बावजूद इन बिचौलियों को सिस्टम से नहीं हटाना चाहते है। ऐसा लगता है कि पंजाब सरकार इन आढ़तियों के सामने घुटने टेक चुकी है जो किसानों की गरीबी के प्रमुख कारण है। किसानों को यही बात समझनी होगी कि अगर ये बिचौलिए नहीं होंगे तो उनकी आमदनी अपने आप बढ़ जाएगी।