लगता है ट्विटर ने टिक टॉक के अनुभव से कुछ भी सीख नहीं ली है। हाल ही में भ्रामक खबरें फैलाने वाले कई Twitter हैंडल्स के विरुद्ध केंद्र सरकार ने एक्शन लेते हुए ट्विटर को उनके अकाउंट्स ब्लॉक करने का निर्देश दिया था। इन अकाउंट्स को कुछ समय के लिए ब्लॉक भी किया गया, लेकिन कुछ ही घंटों बाद सभी अकाउंट्स बहाल हो गए, जिससे अब ये स्पष्ट होता है कि Twitter ने ट्रम्प की भांति केंद्र सरकार को भी चुनौती देने का निर्णय लिया है।
हाल ही में मिनिस्ट्री ऑफ इन्फॉर्मैशन टेक्नॉलोजी ने ट्विटर को निर्देश दिया कि 250 से अधिक ट्विटर अकाउंट को भ्रामक खबरें फैलाने के लिए निलंबित किया जाए। यह अकाउंट यह झूठ फैला रहे थे कि मोदी सरकार किसानों के नरसंहार का खाका बुन रही है, और #ModiPlanningFarmerGenocide जैसे बेहूदा ट्रेंड Twitter पर ट्रेंड कर लगे।
Priorities of the worlds largest democracy. Building concrete barricades to silence the farmers protest. Mass blocking twitter account of journalists to censor the truth from reaching the world. You are such a failure Prime Minister @narendramodi ? https://t.co/N2VaaBdpbS
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) February 1, 2021
फलस्वरूप ट्विटर ने 250 से ज्यादा अकाउंट निलंबित कर दिए, जिनमें कारवां इंडिया का Twitter पोर्टल, अभिनेता सुशांत सिंह, सोशल मीडिया ‘विशेषज्ञ’ संजुक्ता बासु, कथित आदिवासी नेता हंसराज मीणा, किसान एकता मोर्चा जैसे अकाउंट्स भी शामिल थे। इन अकाउंट्स द्वारा प्रमुख तौर पर मोदी सरकार द्वारा किसानों के नरसंहार की झूठी अफवाह को बढ़ावा दिया गया था, और यह लोग CAA लागू होने के समय से ही अराजक तत्वों को बढ़ावा देने में जुटे हुए थे।
https://twitter.com/Kisanektamorcha/status/1356178902847115264?s=20
https://twitter.com/mourinhian/status/1356184558459211779?s=20
फिर क्या था, इसपर बवाल मच गया और वामपंथी स्वभावानुसार रुदाली मचाने लगे। कई लोगों ने ट्विटर को मोदी का गुलाम तक बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आलोचनाओं के बाद अमेरिकी टीम ने रिव्यु कर सभी अकाउंट्स को बहाल कर दिया, मानो वे सब के सब किसी ‘टेक्निकल एरर’ के कारण निलंबित हुए थे।
इसपर ट्विटर ने सफाई दी कि भारत सरकार के कहने पर अकाउंट्स को बैन किया गया था परन्तु जांच में सभी कंटेंट फ्री स्पीच योग्य लगे इसलिए उन्हें फिर से बहाल कर दिया। #ModiPlanningFarmerGenocide जैसे हैशटैग किसानों को भड़काने और किसान आंदोलन को और उग्र बनाने के मकसद से किया गया था ऐसे में कैसे ये फ्री स्पीच है, ये समझ से परे है, जबकि इसके विपरीत अमेरिका के कैपिटोल हिल पर जब भीड़ जमा हुई थी तो Twitter ने बिना किसी जांच के ही अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प और उनके समर्थकों का अकाउंट ही बैन कर दिया। भले ही उनके ट्वीट फ्री स्पीच के योग्य ही क्यों न थे परन्तु अपनी पक्षपाती नीति के तहत ट्विटर के ये कदम उठाया था।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति के बाद भारत सरकार के खिलाफ ट्विटर के इस फैसले से ये संदेश जा रहा है कि Twitter किसी भी सरकार को अपने उंगलियों पर नचा सकता है, और यह इस कंपनी के लिए शुभ संकेत नहीं है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि ट्विटर और फ़ेसबुक जैसी कंपनियों ने किस प्रकार से अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप किया था। लेकिन जिस प्रकार से ट्विटर अराजकतावादियों का बचाव कर रहा है, वह एक तरह से अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार रहा है। Twitter शायद ये भूल रहा है कि यह वही भारत है, जिसने डेटा सुरक्षा के लिए टिक टॉक जैसे प्रभावशाली एप पर भी स्थाई प्रतिबंध लगा दिया था, यह जानते हुए भी कि इस एप के लिए भारत कितना महत्वपूर्ण है।
वैसे भी पिछले दो वर्षों से ट्विटर कई ऐसे काम कर रहा है, जिससे स्पष्ट होता है कि वह भारत सरकार के धैर्य का अनावश्यक लाभ उठा रहा है। कुछ ही महीनों पहले Twitter ने जानबूझकर लेह लद्दाख को भारत के हिस्से के रूप में दिखाया था, और इसी ट्विटर ने बिना किसी ठोस कारण के भारत के गृह मंत्री अमित शाह का अकाउंट भी कुछ घंटों के लिए ब्लॉक कर दिया था।
ऐसे में ट्विटर ने पहले अकाउंट सस्पेंड कर, और फिर कुछ ही घंटों में बहाल कर केंद्र सरकार को स्पष्ट चुनौती दी है। लेकिन जब टिक टॉक और वॉट्सएप नहीं टिक पाए, तो Twitter की क्या हस्ती, और हाँ, जाने से पहले टिक टॉक की ओर से ट्विटर के लिए एक अहम संदेश –
हम भी नापे गए थे, तुम भी नापे जाओगे!