चीन अपने देश के युवाओं में ‘Manliness’ यानि पौरुषत्व की कमी महसूस कर रहा है और इसी लिए अब चीनी शिक्षा अधिकारियों ने देश के युवा पुरुषों में अधिक पौरुषत्व भरने के लिए स्कूलों में अधिक शारीरिक फिटनेस कक्षाओं के लिए आह्वान किया है। चीन एक ऐसा देश है जो अपने One Child Policy के गंभीर परिणाम आज तक भुगत रहा है और अब यह समस्या शीर्ष स्तर तक पहुँच चुकी है कि चीनी अधिकारी भी वहां के युवाओं की नाजुकता से परेशान हैं।
गुरुवार को घोषित शिक्षा मंत्रालय की योजना के मुताबिक, स्थानीय सरकारों और स्कूलों को जल्द ही जिम शिक्षकों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ उन शिक्षण विधियों को भी लाया जायेगा, जो “पौरुषत्व” को बढाती हैं। इस पहल का उद्देश्य स्कूली बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करना है। यही नहीं, मंत्रालय इस समस्या से निपटने के लिए आगे अनुसंधान भी कर रही।
चीन के शीर्ष राजनीतिक सलाहकार Si Zefu ने सुझाव दिया था कि देश को वहां के युवकों में बढ़ते “स्त्रीत्व” का मुकाबला करने की आवश्यकता है, जिसके कारण वे बेहद ही “नाजुक और कायर” हो चुके हैं।
एक दस्तावेज में, सी ने कहा कि राष्ट्र को जरूरत है कि वह युवाओं को ‘effeminate’ होने से रोके। हैरानी की बात तो यह है कि उन्होंने उन युवाओं में स्त्रीत्व गुण के लिए परिवारों की महिलाओं जैसे माताओं, दादी और महिला शिक्षकों को दोष दिया है। उन्होंने “राष्ट्र के विकास और अस्तित्व के लिए खतरा” पर चिंता व्यक्त करते हुए “समस्या का सामना करने” के लिए अधिक पुरुष शिक्षकों की भर्ती का आह्वान किया।
हालाँकि, इस प्रस्ताव के बाद कई gender and sexuality विशेषज्ञों ने मंत्रालय की आलोचना की, जो यह मानते हैं कि इस प्रस्ताव का समाज पर विनाशकारी प्रभाव हो सकता है,और घरेलू हिंसा में बढ़ोतरी हो सकती है।
बता दें कि चीन में इस तरह का “पौरुषत्व संकट” लंबे समय से चीनी अधिकारियों के लिए एक बड़ी समस्या बना हुआ है। पहले भी कई उपाए किये गए हैं, जिनमें स्कूलों में पौरुषत्व के मूल्यों को बढ़ाने के लिए अधिक पुरुष शिक्षक की भर्ती करने और अधिक पुरुष-आधारित शिक्षा का आह्वान किया गया है।
2018 में, चीन के पूर्वी शहर हांगझोऊ के एक मिडिल स्कूल ने रॉक क्लाइम्बिंग क्लासेस शुरू की थी, जिसमें स्कूल के प्रिंसिपल जियांग झिमिंग ने कहा था कि: “लड़के बहुत कमजोर और नाज़ुक हैं, उन्हें पौरुषत्व बढ़ाने वाले खेल की जरूरत है।”
पिछले साल, चीनी लड़को के बैंड S.K.Y को एक कार्यक्रम में अधिकारियों ने शामिल नहीं होने दिया था और उसका कारण उन्होंने उनके रंगे बाल और फुल फेशियल मेकअप बताया था जिसमें वे “पुरुष” नहीं दिख रहे थे।
यह एक दिन में पैदा हुई समस्या नहीं है बल्कि यह वर्ष 1979-80 के दौरान चीन में लागू किये गए “one child policy” का परिणाम है, जिसे शुरू-शुरू में चीन के लिए वरदान समझा गया, क्योंकि चीन को लगा था कि इससे सिर्फ अभिभावकों पर लालन पालन का बोझ नहीं पड़ेगा और पढे-लिखे, तथा समझदार नौजवान ही सामने आयेंगे, लेकिन बाद में चीनी प्रशासन ने पाया कि ये बच्चे तो बड़े ही कायर, लाड़-प्यार से पाले हुए, और “बिगड़ैल” हैं। यही हाल सेना में भरती होने वाले चीनी युवाओं का है।वर्ष 2016 में छपी The Guardian की एक रिपोर्ट के मुताबिक जब चीनी सैनिक UN peacekeeping मिशन के तहत सूडान में तैनात थे, तो उनपर एक बार सूडान के विद्रोहियों ने हमला बोल दिया था। उन चीनी सैनिकों पर एक civilian protection site की सुरक्षा करने का जिम्मा था, लेकिन विद्रोहियों को देखकर चीनी सैनिकों के पसीने छूट गए और वे अपनी जगह को छोड़कर भाग गए। उन चीनी सैनिकों की कायरता की वजह से ना सिर्फ कई मासूमों की जान चली गयी, बल्कि कई महिलाओं का यौन शोषण भी किया गया।
यानि चीन एक भयंकर भविष्य का सामना करने वाला हैं जहाँ उसके देश के युवा न सिर्फ डरपोक होंगे बल्कि किसी बड़ी मुश्किल के समय भी वे भाग खड़े होंगे।