बेइज्जती किसे कहते हैं, ये चीन से बेहतर शायद ही कोई बता पाएगा। भले ही अमेरीका में बाइडन प्रशासन सत्ता में आ गया है, और भले ही चीन अपने आप को कूटनीतिक तौर पर श्रेष्ठतम सिद्ध करने में जुटा हुआ है, परंतु सच्चाई तो इससे कोसों दूर है। अमेरिका और कुछ दल बदलू देश छोड़कर कोई भी देश चीन के साथ निवेश तो छोड़िए, चीन की वैक्सीन तक लेने को तैयार नहीं है, और अब पाकिस्तान भी चीन के वैक्सीन को ठेंगा दिखा रहा है।
हाल ही में चीनी प्रशासन ने पाकिस्तान के लिए अपने Sinovac वैक्सीन की एक बड़ी खेप भेजी थी। 5 लाख डोज़ से भरी खेप चीन ने पाकिस्तान के लिए भेजी, ताकि पाकिस्तान वुहान वायरस से मुकाबला करने में सक्षम हो। लेकिन पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने सभी को चकित करते हुए कहा कि वे इस महामारी से लड़ने वाले असली योद्धाओं, यानि स्वास्थ्यकर्मियों को पहले वैक्सीन देंगे –
अब आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर पाकिस्तान कब से अपने स्वास्थ्यकर्मियों के बारे में इतना सोचने लगा? दरअसल यह भलमनसाहत नहीं, बल्कि China के वैक्सीन को एक तरह से ठेंगा दिखाने के समान है। सभी को ज्ञात है कि चीन की Sinovac Vaccine कितनी भरोसेमंद है। स्थिति तो इतनी बुरी है कि चीन के सबसे विश्वसनीय साथी तो छोड़िए, स्वयं चीन के निवासी भी चीन की वैक्सीन स्वीकारने से मना कर रहे हैं।
China के न्यूज चैनल NTD के रिपोर्ट के अनुसार चीनी शहर शंघाई में आयोजित एक स्थानीय सर्वेक्षण में, लगभग 90 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कहा कि वे चीन में विकसित वैक्सीन नहीं लगवाएंगे। नागरिकों ने वैक्सीन की वैधता और दुष्प्रभाव को इसका कारण बताया। 2020 के अंत में करवाए गए इस सर्वेक्षण ने चीनी प्रशासन को परेशान कर दिया है। यह सर्वे ऐसे समय में आया जब चीन आक्रामक रूप से कई देशों को अपनी वैक्सीन कूटनीति के जरीए लुभाने की कोशिश कर रहा था। उदाहरण के लिये NTD की रिपोर्ट के अनुसार सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि शहर में स्थित एक रियल एस्टेट कंपनी के केवल तीन श्रमिकों ने ही चीनी वैक्सीन के टीकाकरण के लिए हामी भरी।
ये भी पढे – केवल दो हफ़्तों में राष्ट्रपति बाइडन ने भारत के अमेरिका के साथ संबंधों की धज्जियां उड़ा दी हैऐसे में China को याद आया अपना प्रिय गुलाम पाकिस्तान, जो China से कर्जे की आस में अपने नागरिकों की बलि तक चढ़ाने को तैयार था। इसी परिप्रेक्ष्य में चीन ने वैक्सीन की पाँच लाख डोज़ भेजी, जो अमूमन पाकिस्तानी सैनिकों को पहले मिलती, फिर बाद में किसी पाकिस्तानी नागरिक को, और जिस प्रकार से पाकिस्तान में आर्मी का बोलबाला रहा, उसमें पाकिस्तानी सैनिकों से पहले किसी और को वैक्सीन मिलन लगभग असंभव था।
लेकिन पाकिस्तान ने जिस प्रकार से अपने स्वास्थकर्मियों को पहले वैक्सीन लगवाने का निर्णय किया, उससे स्पष्ट होता है कि स्वयं पाकिस्तान को चीन के वैक्सीन पर भरोसा नहीं है। इसके अलावा पाकिस्तान UN के COVAX प्रोग्राम के अंतर्गत अपने लिए वैक्सीन मंगवाना चाहता है, और ऐसे में ये स्पष्ट है कि पाकिस्तान अपनी सेना के जवानों को चीन के दोयम दर्जे के वैक्सीन देकर उनकी बलि कतई नहीं चढ़ाना चाहेगा।