दुनियाभर के वामपंथी लोग ट्विटर पर भारत में चल रहे तथाकथित किसानों के आंदोलनों पर अंतरराष्ट्रीय सेलिब्रिटीज के ट्वीट्स को लेकर भारत की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे थे। इसके बावजूद अब ये साबित हो रहा है कि ये पूरा काम हजारों डॉलर्स के दम पर भारत विरोधी एजेंडा चलाकर किया गया है। पॉप स्टार रिहाना से लेकर पॉर्न स्टार मिया खलीफा तक सभी भारत सरकार के खिलाफ और अराजकता फैलाने वाले लोगों के पक्ष में पैसे के लिए बिना किसी प्राथमिक जानकारी के ट्वीट कर भारत की छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं। दिलचस्प बात ये है कि अब इस पूरे एजेंडे का पर्दाफाश हो चुका है और इसका पर्दाफाश करने वाली कोई और नहीं बल्कि पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग हैं जिनकी बेवकूफी का अब सोशल मीडिया पर मजाक बनाया जा रहा है।
वामपंथियों ने भारत सरकार को बदनाम करने के लिए एक बेहतरीन योजना बनाई पर एक 'महान एक्टिविस्ट बच्ची' ने पूरी योजना को ही सार्वजनिक कर दिया।
अब जाकर 'How dare you' ने Dare का काम किया है।
लेफ्ट इकोसिस्टम की पोल खोलने वाली Nobel Prize की हकदार तो बनती है।#GretaThunbergExposed— Mahima Pandey (@Mahimapandey90) February 3, 2021
किसानों के मुद्दे पर ग्रेटा थनबर्ग ने भारतीय सरकार के खिलाफ बिना किसी जानकारी के ट्वीट कर दिया था, लेकिन आखिरकार वो भी एक बच्ची ही है। उन्होंने अब अपना बचपना साबित भी कर दिया है। अपने अगले ही ट्वीट में उन्होंने वामपंथियों के वैश्विक एजेंडे का पर्दाफाश करते हुए एक गूगल टूलकिट भी शेयर कर दिया था। इसके जरिए पूरी दुनिया ने ये समझ लिया कि दुनिया का वामपंथी धड़ा जानबूझकर इस मुद्दे पर भारत विरोधी एजेंडा चला रहा है। हालांकि ग्रेटा थनबर्ग ने अपने बचपने के कारण हुई गलती को सुधारने के लिए ट्वीट डिलीट तो कर दिया लेकिन तब तक वामपंथियों का नुकसान हो चुका था और उनकी असलियत पूरी दुनिया के सामने आ गई थी।
इस पूरे मामले से ये साफ हो गया कि पॉप स्टार रिहाना से लेकर पॉर्न स्टार मिया ने अचानक ही भारत के किसानों के मुद्दे पर अनभिज्ञता के बावजूद ट्वीट्स नहीं किए थे बल्कि उन्हें इस पूरे एजेंडे के लिए ट्विटर पर चल रहे भारत विरोधी कैंपेन पर ट्वीट करने के लिए हजारों डॉलर दिए गए थे। ग्रेटा थनबर्ग ने भी इस कैंपेन का हिस्सा बनते हुए पैसे के लालच में सीएनएन की एक रिपोर्ट को ट्वीट करते हुए लिखा कि हम कैसे किसानों के इस मुद्दे पर चुप रह सकते हैं। हालांकि उनके बचपने के चलते उनके दूसरे ही ट्वीट में ये सारा एजेंडा सामने आ गया कि असल में कैसे भारत के खिलाफ एक नफरत ट्विटर पर भरी जा रही है।
If this "Google toolkit" showing an international conspiracy to defame India is anything to go by, @rihanna's tweet was fixed much before it was posted, along with the article she was supposed to post. The foolish lady copy pasted a suggested post itself? pic.twitter.com/nOwBmhn6vM
— Sanbeer Singh Ranhotra (@SSanbeer) February 3, 2021
गूगल टूलकिट का वो डॉक्यूमेंट पहली बार 20 जनवरी को पब्लिश हुआ था। इसके बाद ट्विटर पर करीब 100 मिलियन फॉलोअर्स वाली पॉप सिंगर रिहाना ने इस कैंपेन के आधार पर 2 फरवरी को ट्वीट किया। इसीलिए उस टूलकिट के सुझाव वाले सेक्शन में रिहाना का नाम दिख रहा था। इससे साबित होता है कि रिहाना ने किसानों के मुद्दे पर बिना किसी जानकारी के केवल ये ट्वीट भारत विरोधी भाड़े के चलाए जा रहे कैंपेन के आधार पर किया है और ग्रेटा थनबर्ग ने गलती से कैंपेन में भाग लेने के बाद इसे सार्वजनिक करके सारी पोल ही खोल दी। ऐसे में अगर ये कहा जाए कि देश की राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस के अवसर पर जो हिंसा हुई वो प्रायोजित थी तो शायद ये गलत नहीं होगा क्योंकि ग्रेटा के ट्वीट्स में अटैच गूगल किट इसका महत्वपूर्ण दस्तावेज है।
Uploading the whole pdf which Greta thunberg posted @swati_gs 🙏 pic.twitter.com/f5qETnH8Zn
— Aman Aditya (@amanaditya09) February 3, 2021
https://twitter.com/iabhinavKhare/status/1357136213409296384?s=20
ये दस्तावेज कहता है, “किसानों के समर्थन में बयानबाजी करो, संभव हो तो किसानों के बीच दिल्ली की सभी सीमाओं में जाकर उनके विरोध प्रदर्शनों में शामिल हो।” ये साबित करता है कि किसानों के आंदोलनों में 26 जनवरी की हिंसा प्रायोजित थी और विदेशों में बैठे लोग इस मुद्दे पर सोशल मीडिया के जरिए जहर घोल रहे थे जिससे इस तथाकथित किसान आंदोलन का अंतरराष्ट्रीयकरण हो गया है। इन सभी अराजकतावादियों को पता था कि परमिशन के बावजूद अराजकता वादी किसान नियमों की धज्जियां उड़ाएंगे।
खास बात ये है कि जिस दिन दिल्ली में तथाकथित किसान हिंसा कर रहे थे, उसी दिन इटली के रोम में भारतीय दूतावास के बाहर खालिस्तानी झंडे को उठाकर हमला किया था। इसके ठीक एक दिन बाद अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास के सामने खालिस्तानी अलगाववादियों ने किसान आंदोलन के समर्थन में प्रदर्शन किया था। गूगल का टूल किट लोगों से भारतीय दूतावास के सामने जाकर विरोध करने की अपील भी कर चुका था। इन लोगों ने इस मुद्दे पर सोशल मीडिया के जरिए सारा प्लान बनाया और अब उसी के जरिए 4-5 फरवरी को इनका एजेंडा एक्सपोज हो गया।
ये टूलकिट पूरी तरह से झूठ पर आधारित है जो कहती है कि भारत की मोदी सरकार ने तीन कृषि कानूनों के जरिए किसानों पर जुल्म किए हैं और शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे किसानों को पुलिस बल पूर्वक हटाने की कोशिश कर रही है। इन बेबुनियाद बातों के जरिए ही सोशल मीडिया पर भारत विरोधी लहर चलाई जा रही है। इस पूरे एजेंडे को एक्सपोज करने के बाद ग्रेटा थनबर्ग ने तुरंत अपना ट्वीट डिलीट किया और गूगल की उस टूलकिट को वांमपंथियों ने तुरंत एडिट करना शुरु कर दिया जिससे वो अलगाववादी कम प्रतीत हो। इस पूरे घटनाक्रम के बाद ट्विटर का भी एजेंडा एक्सपोज़ कर दिया है।
https://twitter.com/ItsShubhangi/status/1357058900110020610?s=20
ऐसे में गूगल टूलकिट साबित करती है कि ट्विटर पर किसानों के मुद्दे को लेकर भारत विरोधी एक भाड़े का कैंपेन चलाया जा रहा है, और इसके लिए दुनियाभर के वामपंथी लोगों से पैसे के दम पर बयान दिलवाए गए थे। ग्रेटा थनबर्ग भी उन सभी वामपंथियों का हिस्सा थीं लेकिन उनकी एक गलती ने सारा खेल एक्सपोज कर दिया है। इस मुद्दे पर पहले ही भारत के राष्ट्रवादी लोग इन वामपंथियों की आलोचना कर रहे हैं। वहीं, जब से इस पूरे मामले का खुलासा हुआ है तब से तो ग्रेटा थनबर्ग का खूब मजाक भी बनाया जा रहा है। वहीं संवेदनशीलता के मुद्दे पर इस मामले में अब भारत सरकार पहले से ज्यादा सक्रिय और सजग भी हो गई है।