हिंदू बहन प्रियंका,रॉबर्ट को भी राम मंदिर के लिए दान करने को कहो, वो तो सीधा मना कर रहा है

प्रियंका के सॉफ्ट हिन्दुत्व की पति वाड्रा ने बखिया उधेड़ दी

रॉबर्ट वाड्रा

PC: NEW INDIAN EXPRESS

गांधी-वाड्रा परिवार का विचित्र हिसाब गज़ब ही हैं। हाथी के दाँत खाने के और, दिखाने के और जैसी कहावत इनके कार्यों पर बिलकुल सटीक बैठती है। एक तरह प्रियंका गांधी ,वाड्रा-गांधी परिवार के हिन्दू धर्म के प्रति आस्था को दिखाने के लिए प्रयागराज के संगम में डुबकी लगाने को तैयार हैं, तो वहीं दूसरी तरफ उनके पति रॉबर्ट वाड्रा न केवल राम मंदिर के लिए दान देने से मना करते हैं, बल्कि इसके पीछे एक बेहद बचकाना तर्क भी देते हैं।

जयपुर में एक पत्रकार से बातचीत के दौरान रॉबर्ट कहते हैं, “अगर मैंने पहले कभी चर्च, मस्जिद या गुरुद्वारे के लिए दान दिया होगा, तो मैं राम मंदिर के लिए भी दान दूंगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि मैं दान तब दूंगा जब दिखेगा कि देश में समान तरीके से चंदा एकत्रित किया जा रहा है”

https://twitter.com/AHindinews/status/1365215702739652609

अपने ही किए कराये पर कैसे पानी फेरना है, ये कोई गांधी-वाड्रा परिवार से सीखे। आगामी चुनावों को मद्देनजर रखते हुए कांग्रेस अपनी छवि को सुधारने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रही थी। इसके लिए जहां एक तरफ अपनी जनता फ्रेंडली छवि को बनाए रखने के लिए राहुल गांधी केरल और पुडुचेरी में मछुआरों के साथ मुलाक़ात कर रहे थे, तो वहीं दूसरी तरफ प्रियंका गांधी वाड्रा न केवल किसानों के साथ खड़े होने का दावा कर रही है, बल्कि पार्टी के नरम हिन्दुत्व की छवि को भी बढ़ावा दे रही है, जिसके पीछे उन्होने हाल ही में संगम में डुबकी भी लगाई।

कांग्रेस पार्टी अपना खोया जनाधार पाने के लिए नरम हिन्दुत्व के कार्ड को किस हद तक खेलने को तैयार है, ये आप इसी बात से समझ सकते हैं की कैसे मध्य प्रदेश की कांग्रेस  इकाई ने स्थानीय निकाय चुनाव से ठीक पहले ऐसे लोगों को शामिल किया, जो पार्टी के विचारधारा के ठीक उलट चलते हैं, जैसे बाबूलाल चौरसिया, जो हिन्दू महासभा के सदस्य होने के साथ-साथ प्रखर गोडसे समर्थक भी हैं।

तो इसका रॉबर्ट वाड्रा के वर्तमान बयान से क्या संबंध? दरअसल रॉबर्ट वाड्रा ने श्री रामजन्मभूमि परिसर के लिए चंदा देने से मना करके कांग्रेस के सारे किए कराये पर जाने अंजाने में पानी फेर दिया। जो कांग्रेस भाजपा के हिन्दुत्व नीति को अपने अनोखे हिन्दुत्व से मात देने के सपने देख रही थी, उसे एक बार फिर रॉबर्ट वाड्रा ने अपने बचकाने बयान से ध्वस्त कर दिया। यदि उन्हे नहीं देना था, तो वो स्पष्ट कह सकते थे, लेकिन अपने अजीबोगरीब तर्क से वो बस ये सिद्ध करना चाहते थे की चाहे कुछ हो जाये, पर कांग्रेस सनातन धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को बढ़ावा नहीं देगी, खासकर वो, जो सनातन संस्कृति के पुनरुत्थान में एक अहम भूमिका निभाए।

Exit mobile version