बंगाल जीतने के लिए ममता बनर्जी का नया दांव : मुसलमानों में फूट डालो और राज करो

ममता

ममता बनर्जी अपनी सत्ता को बचाने के लिए कितनी तत्पर हैं, ये आप इस बात से समझ सकती है कि वो अपने प्रिय वोट बैंक में भी फूट डलवाने को तैयार हैं। हाल ही में बंगाल के मुसलमानों के एक धड़े ने ममता के विरुद्ध विद्रोह करने की घोषणा की, लेकिन अब उन्हीं में  से कुछ लोग उस गुट को चुनौती देने के लिए सामने आए हैं।

अब यह कैसे संभव है? दरअसल, ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि बंगाली मुसलमानों में लोकप्रिय फुरूफुरा शरीफ के सदस्यों में फूट पड़ सकती है। इस टूट से माना जा रहा है कि पीरजादा अब्बास को बड़ा झटका लगा है।

परन्तु यह पीरजादा अब्बास है कौन? बंगाल में मुस्लिम हितों को मुद्दा बनाकर फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास ने राजनीति में एंट्री का ऐलान किया था। यह फुरफुरा शरीफ के प्रबंधकों में से एक है, और ये ममता को बंगाल में दे रहे AIMIM समर्थित इंडिया सेक्युलर मोर्चा के संस्थापक भी हैं।

यही नहीं, पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने दावा किया कि उनका साथ कांग्रेस और वाम गठबंधन जैसे दल भी दे सकते हैं, हालांकि, वहां अभी तक सीट शेयरिंग को लेकर उनकी बात नहीं बनी है। वहीं पीरजादा अब्बास का समर्थन असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी भी कर चुकी है।

तो फिर इनका क्या असर पड़ सकता है, जिसकी वजह से फुरफुरा शरीफ में फूट इतनी सुर्खियां बंटोर रही हैं? दरअसल ,फुरफरा शरीफ का पूरे पश्चिम बंगाल में करीब 120 मस्जिदों पर असर है, जिसके कारण इस बार मुस्लिम वोटों का टीएमसी से अलग होने का अनुमान जताया जा रहा था।

हालांकि, अब जब त्वोहा सिद्दीकी ने ममता का समर्थन कर दिया है, तो अब माना जा रहा है कि चुनाव से पहले ममता बनर्जी की पार्टी के लिए यह एक बड़ी राहत है, क्योंकि जब टीएमसी विरोधी पार्टियों जैसे एआईएमआईएम को अल्पसंख्यक वोट मिलेंगे ही नहीं, तो ममता को कैसे नुकसान होगा?

बता दें कि त्वोहा सिद्दीकी फुरफुरा शरीफ के ही सदस्यों में से एक है, जिन्होंने पीरजादा अब्बास सिद्दीकी के विरुद्ध विद्रोह करके स्पष्ट किया है कि ममता बनर्जी को मिलने वाले अल्पसंख्यक वोटों को बांटने नहीं दिया जाएगा

अब यह सोच ममता के लिए डूबते को तिनके का सहारा समान है, इसलिए उनके पास और कोई विकल्प नहीं है। लेकिन सच्चाई यह भी है कि ममता धीरे-धीरे अपना जनाधार खो रही है, और वह हर उस व्यक्ति के पर कतरना चाहती हैं, जो उन्हें चुनौती दे सकता है, और एआईएमआईएम भी उनमें से एक है। ऐसे में दिल बहलाने को ममता बनर्जी यह ख्याल अच्छा है।

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